(दीपिका गौड़)
देहरादून, शहर में बड़ी संख्या में अनियोजित क्षेत्र के कामगार निवास करते हैं जिनमें एक हिस्सा घरेलू कामगार महिलाएं भी हैं जो पड़ोसी राज्यों और पहाड़ी इलाकों से यहाँ रोज़गार के चलते शहर में परिवार सहित बसी हैं और पास की उच्च आय वाले इलाकों में काम करती हैं | इन घरेलू कामगार महिलाओं की मजदूर के रूप में कोई पहचान नहीं है और ये बेहद कम आय में अनियमित घंटों घरों में काम करती हैं, काम की जगह पर ये महिलाएं लगातार शोषण झेलती हैं और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अमानवीय परिस्थितियों में जीवन काटती हैं |
कृति/अस्तित्व संस्था 2008 से देहरादून के दक्षिण पश्चिम इलाके की बस्तियों और पास के उप नगरीय क्षेत्र में बसी घरेलू कामगार महिलाओं के मुद्दों पर काम कर रही है, संस्था ने विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत इन कामगार महिलाओं के मुद्दों को चिह्नित किया व सहयोग दिया है | संस्था के कार्य का उद्देश्य घरेलू कामगार महिलाओं को संगठित कर उनके मुद्दों को सरकार के समक्ष रख कर एक घरेलू कामगारों के हित में एक ठोस नीति तैयार करने का प्रयास करना है |
लखनऊ स्थित संस्था एक्शन ऐड भी पिछले 50 सालों से मानवाधिकारों के मुद्दे पर कार्यरत है, देहरादून में एक्शन ऐड घरेलू कामगार महिलाओं के मुद्दों को समझने और उनके लिए एक ठोस नीति बनने के प्रयास में कृति/अस्तित्व संस्था को सहयोग कर रही है |
इसी विषय पर जिला देहरादून की घरेलू कामगार महिलाओं के साथ मंगलवार 28 मार्च को उत्तराँचल प्रेस क्लब में प्रात: 11 बजे से एक गोष्ठी आयोजित की गयी, इस गोष्ठी का उद्देश्य घरेलू कामगार महिलाओं के काम से संबंधित चुनौतियों के लिए समाधान खोजना है जिससे कि ये कामगार महिलाएं गरिमापूर्ण तरीके से काम कर सकें और बेहतर जीवन जी सकें, गोष्ठी में समाज कल्याण विभाग, श्रम विभाग, बैंक, जिला परियोजना अधिकारी व जिला विधिक प्राधिकरण से प्रतिनिधि भाग लेंगे और घरेलू कामगार बहनों की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक रोड मैप तैयार करेंगे
आप अपने घरों में काम करने वाली घरेलू कामगार बहनों को इस कार्यक्रम में आने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और छुट्टी भी दे सकते हैं |
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