Wednesday, November 27, 2024
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प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ‘लिंगुड़ा’ सक्षम, सीमांत क्षेत्रों के लोग अचार बनाकर कर रहे हैं कमाई

बरसात के सीजन में स्वरोजगार का बन सकता है जरिया

(गजे सिंह बिष्ट)

चमोली (ग्वालदम), यह देवभूमि के जंगलों में पाए जाने वाली सब्जी लिंगुड़ा है। इसका वानस्पतिक नाम डिप्लाॅजियम ऐस्कुलेंटम है। उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह सब्जी प्रकृति की देन है। यह खुद ही जंगलों में उगाई जाती है। उत्तराखंड में कोस-कोस पर बदले पानी और कोस-कोस पर बदले वाणी के आधार पर कहीं लीगुड़ा, लीगड़ा, ल्यूड़ कहते हैं। असम में धेनकिर साक, सिक्किम में निगरु, हिमाचल राज्य में लिंगरी नाम से जानते हैं। दुनिया भर में लिंगड़ा की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह समुद्रतल से 1900 से 2900 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। हिमाचल के हिमालयन जैवप्रोधोगिकी पालमपुर के शोध के अनुसार लिंगड़ा में कैल्शियम, पोटेशियम ,आयरन, प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और विटामिन सी ,विटामिन बी काम्प्लेक्स , मिनरल्स, जिंक आदि अनेकों औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है। शुगर, कमजोर लिवर वालों तथा कैंसर जैसी घातक बीमारी पर अंकुश लगाने में सक्षम है। सबसे अहम पहलू यह है कि वैज्ञानिक इस पर शोध कर सकते हैं।

अगर यप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लिंगुड़ा सक्षम
यह देवभूमि के जंगलों में पाए जाने वाली सब्जी लिंगुड़ा है। इसका वानस्पतिक नाम डिप्लाॅजियम ऐस्कुलेंटम है। उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह सब्जी प्रकृति की देन है। यह खुद ही जंगलों में उगाई जाती है। उत्तराखंड में कोस-कोस पर बदले पानी और कोस-कोस पर बदले वाणी के आधार पर कहीं लीगुड़ा, लीगड़ा, ल्यूड़ कहते हैं। असम में धेनकिर साक, सिक्किम में निगरु, हिमाचल राज्य में लिंगरी नाम से जानते हैं। दुनिया भर में लिंगड़ा की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह समुद्रतल से 1900 से 2900 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। हिमाचल के हिमालयन जैवप्रोधोगिकी पालमपुर के शोध के अनुसार लिंगड़ा में कैल्शियम, पोटेशियम ,आयरन, प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और विटामिन सी ,विटामिन बी काम्प्लेक्स , मिनरल्स, जिंक आदि अनेकों औषधीय गुण पाए जाते हैं।

यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है। शुगर, कमजोर लिवर वालों तथा कैंसर जैसी घातक बीमारी पर अंकुश लगाने में सक्षम है। सबसे अहम पहलू यह है कि वैज्ञानिक इस पर शोध कर सकते हैं। अगर यह नमी वाले जगह पर उत्पादन किया जा सकता है तो स्वरोजगार का बेहतर जरिया बन सकता है। सीमांत क्षेत्रों में कुछ लोग जंगलों से लाकर इसका अचार बना रहे हैं। इसकी बाजार में बहुत मांग है। सीमांत क्षेत्रों में कुछ लोग जंगलों से लिंगुड़ा लकर इसका अचार बना रहे हैं। इसकी बाजार में बहुत मांग है। यह स्वरोजगार का बेहतर जरिया बन सकता है।

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