Monday, November 25, 2024
HomeStatesUttarakhandजी 20 समिट : विदेशी अतिथियों ने किये बाघ और हाथी दीदार,...

जी 20 समिट : विदेशी अतिथियों ने किये बाघ और हाथी दीदार, कार्बेट नेशनल पार्क देख हुए रोमांचित

नैनीताल (रामनगर), उत्तराखंड़ जी 20 समिट कार्यक्रम में आये विदेशों अतिथियों ने आज जिम कार्बेट नेशनल पार्क में बाघ और हाथी के दीदार किए, अपने आसपास हाथी और बाघ को देखकर विदेशी मेहमान रोमांचित होकर प्रदेश के प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा जिम कॉर्बेट प्रशासन का आभार जताया ।

आज जिम कार्बेट नेशनल पार्क के अलग-अलग स्थानों से जी 20 सीएसआर सेमिनार में आए विदेशी अतिथियों ने भ्रमण के दौरान मचान चौड़ में बाघ एवं चीतल रोड पर हाथी के दीदार किए | रामनगर में सीआरएस जी20 समिट के दौरान विदेशों से पहुंचे 34 डेलिगेट्स तथा 23 स्वदेशी डेलिगेट्स ने जिम कार्बेट भ्रमण के दौरान जैव विविधता से भरे इस पार्क का अवलोकन किया |
इस दौरान विदेशी अतिथियों को कार्बेट टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. धीरज पांडे ने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व का उद्देश्य एशिया महाद्वीप की दो महत्वपूर्ण लुप्तप्राय ध्वज प्रजातियां बाध व हाथी का संरक्षण कर उसके माध्यम से समस्त इकोसिस्टम का संरक्षण पर कार्य करना है | उनका उद्देश्य बन जीव पर्यटन के माध्यम से जन सामान्य जीवों के प्रति जागरूकता जागृत कर उनका संरक्षण में सहयोग करना है | उन्होंने कहा की पार्क प्रशासन इस बात को लेकर पूरी तरह से संवेदनशील है की स्थानीय लोगों को पार्क में रोजगार उपलब्ध कराया जाए | उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक वाहन पार्क के अंदर सैलानियों को घुमाने हेतु पार्क प्रबंधन के दिशा निर्देशन पर ही कार्य करता है |May be an image of 7 people, people standing and road

इस दौरान विदेशियों को घुमा रहे नेचर गाइडों ने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व में वर्तमान समय में स्तनपाई की 55 प्रजातियां, पक्षी की 580 प्रजातियां, सरीसृप एवं जलीय प्राणियों में मगर, घड़ियाल किंग कोबरा पाइथन आदि की 33 प्रजातियां पाई जाती है | वहीं स्तनपाई वर्ग में बाघ, बंदर, हाथी, सांभर, चीतल, काकड़, पाडा, जंगली सूअर, नीलगाय. भालू प्रमुख है, मत्स्य की बात की जाए तो यहां बह रही नदियों में 7 प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें महाशीर मछली का पाया जाना कार्बेट की विशेषता को दर्शाता है. पक्षियों में प्रवासी एवं प्रवासी पक्षी आकर्षण बढ़ाते हैं जिनकी कुल संख्या 685 अब तक रिकॉर्ड की गई है .कार्बेट टाइगर रिजर्व की प्रमुख विशेषता रामगंगा नदी व उसकी सहायक नदियों के किनारे पाए जाने वाले घास के मैदान है जो आकर्षण का केंद्र बिंदु रहते हैं .इस दौरान विदेशी बिजरानी गेट पर कार्बेट टाइगर रिजर्व तथा विभाग द्वारा शुरू की गई संरक्षण गतिविधियों पर चार लघु फिल्म भी दिखाई गई तथा बिजरानी वन परिसर में एक निर्भीक बाघ नामक एक प्रदर्शनी वह देखा जहां विदेशी डेलीगेट ने इसकी सराहना की इसके बाद बिजरानी गेट पर कार्बेट टाइगर रिजर्व के विभागीय पालतू हाथियों से उन्हें रूबरू कराया गया इस दौरान विदेशी डेलिगेट्स काफी प्रसन्न एवं प्रफुल्लित दिखाई दिए।
कार्बेट टाइगर भ्रमण के दौरान आयुक्त दीपक रावत, प्रमुख वन संरक्षक होफ उत्तराखंड विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख वन संरक्षक वन जीव मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ धीरज पांडे, आईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे, उपनिदेशक टाइगर रिजर्व दिगंथ नायक, पार्क वार्डन अमित कुमार ग्वासीकोटी उप प्रभागीय वन अधिकारी बिजरानी शालिनी जोशी आदि थे।

 

भगवा ध्वजों के साथ बाइक रैली के साथ मनायी गयी रामनवमी, हनुमान चालीसा व सुंदर कांड का भी किया पाठ

 

May be an image of 3 people, people standing, people sitting, motorcycle and road
नैनीताल, रामनवमी के पर्व पर नगर में धार्मिक हर्षोल्लास का माहौल रहा। इस दौरान पूरा शहर जय श्री राम एवं गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीराम चरित मानस के सुंदर कांड तथा हनुमान चालीसा के पाठ से गूंजता रहा। इसके अलावा पहली बार इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में भगवा रंग की धर्म ध्वजाओं के साथ तल्लीताल धर्मशाला से मल्लीताल तक मॉल रोड होते हुए दोपहिया वाहनों की रैली निकाली गई।
रैली के उपरांत बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने नगर के श्री राम सेवा समिति सहित कुछ अन्य प्रबुद्ध संगठनों के लोगों के साथ भगवा ध्वजों के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया। रैली में भाजपा के मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट, नितिन कार्की, सोशल मीडिया प्रभारी अरुण कुमार, युवा मोर्चा अध्यक्ष आशु उपाध्याय, विश्व हिंदू परिषद के नगर मंत्री विवेक वर्मा, भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के पूर्व सरपंच मनोज पवार, रुचि तिवारी, भूपेंद्र बिष्ट, देवेंद्र बगड़वाल, प्रकाश पेले, चंदन जोशी व सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

 

दून-दिल्ली एक्सप्रेस के नीचे बनाया जा रहा एशिया का सबसे लंबा एलीफेंट कॉरिडोरMay be an image of outdoors and text that says 'PROPOSED ELEPHANT UNDERPASS BETWEEN DAAT KALI DEVI TEMPLE To DEHRADUN (SECTION OF GANESHPUR DEHRADUN'

देहरादून, दून-दिल्ली एक्सप्रेस के नीचे गजराज और तमाम छोटे बड़े वन्य जीवों का राजपथ बनाया जा रहा है। वन्य जीवों के गुजरने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) एक्सप्रेस वे के नीचे एलीफेंट कॉरिडोर बना रही है। छोटे वन्यजीवों के गुजरने के लिए एक दर्जन से ज्यादा कैटल अंडर पास बनाए जा रहे हैं। इस तरह दून दिल्ली एक्सप्रेस एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा बनने जा रहा है। एनएचएआई की महत्वाकांक्षी परियोजना दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। अगले साल यानी चुनावी वर्ष तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद दिल्ली से दून तक का सफर केवल ढाई घंटे में पूरा हो जाएगा।

देहरादून से गणेशपुर (यूपी) तक पूरा क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र के तहत आता है। ये करीब 20 किलामीटर का इलाका है। एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ घने जंगल हैं। इस हिस्से में वन्यजीवों की आवाजाही बनी रहती है। यही वजह है कि परियोजना में 12 किमी हिस्सा पिलर डाल कर हवा में बनाया जा रहा, ताकि नीचे से वन्य जीवों की आवाजाही हो सके। केवल सात किमी हिस्से में ट्रैफिक जमीन पर गुजरेगा।

दून के आशारोड़ी से डाट काली मंदिर तक 200-200 मीटर के दो एलीफेंट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। इसकी ऊंचाई सात मीटर होगी। इसके बीच से हाथी भी सड़क के इस पार से उस पार निर्बाध रूप से आ जा सकेंगे। एलीफेंट कॉरिडोर का करीब 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इसके अलावा आशारोड़ी से डाट काली मंदिर तक छह छोटे एनिमल अंडर पास (कैटल पास) भी बनाए जा रहे हैं। इन अंडर पास से बाघ, गुलदार, चीतल और अन्य छोटे वन्यजीव आसानी से आर पार जा सकेंगे। एक्सप्रेस-वे परियोजना में जमीन पर रेंगने वाले सांप बिच्छू और अन्य अति सूक्ष्म जीवों का भी ख्याल रखा गया है। इनके लिए विशेष तौर पर 12 माइनर अंडर पास बनाए जा रहे हैं, जो बरसात में पानी की निकासी का भी काम करेंगे।

आशारोड़ी क्षेत्र में निर्माणाधीन दो एलीफेंट कॉरिडोर के लिए स्थान का चयन देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआईआई) के तीन साल के अध्ययन के बाद किया गया। इस दौरान संस्थान ने करीब साढ़े तीन किमी हिस्से में कई जगह ट्रैप कैमरा लगाए। इसके बाद संस्थान ने अपनी जो रिपोर्ट दी, उसमें बताया गया कि कहां हाथी गलियारे बनाए जाने हैं, कहां मिनी एनिमल अंडरपास बनाए जाने और कहा माइनर अंडर पास बनाए जाने हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments