हल्द्वानी/देहरादून, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा आज देश का किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ ही अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह के से उन्हें अधिकारों से वंचित किया जा रहा है वह सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को उजागर करने के लिए काफी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूंजीपतियों को मदद करने के लिए सरकार ने किसानों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है। यहां तक कि यह सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है। 2004 से 2014 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता तो आज उन्हें प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 3277 रुपये मिल रहा होता ना कि मौजूदा समय में जो मिल रहा है 2275 रुपए। किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं। वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर क़र्ज़ में 60 फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे उनकी स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले लाखों किसानों को उनके क्लेम के भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। सरकार के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक़ 21-22 में लगभग 2761 करोड़ रुपए के क्लेम लंबित थे।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के बड़े-बड़े दावों और भाषणों की आड़ में अन्नदाताओं की वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई। हक़ीक़त यह है कि किसान एक सम्मानजनक जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं। वे क़र्ज़ में डूबे हैं और उन्हें उनकी फ़सलों के नुक़सान के लिए बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है।
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाली सूट-बूट की सरकार है। भाजपा सरकार ने कभी किसानों के हित की बात नहीं की। यह सरकार किसान व मजदूर के दुख को नहीं समझ रही। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। कांग्रेस का समर्थन किसान, मजदूर और आढ़तियों के साथ है।
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