नई दिल्ली, कृषि कानूनों को सरकार निरस्त नहीं करेगी इधर किसानों को विरोध में दिल्ली में डेरा डाले दो हफ्ते हो रहे हैं। सरकार के साथ कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही, अब सरकार की ओर से किसानों को एक प्रस्ताव भेजकर उनकी शंकाओं का समाधान करने की बात कही गई है।
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने के लिए सरकार ने आज एक प्रस्ताव उनके पास भेजा है। इसमें कई महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं। आइए जानते हैं कि किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार ने लिखित रूप में क्या आश्वासन दिया है। यहां प्रस्ताव को हूबहू बिंदुवार तरीके से रखा जा रहा है।
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 उठाए गए मुद्दों पर प्रस्ताव।
मुद्दा 1- आशंका है कि मंडी समितियों द्वारा स्थापित मंडियां कमजोर होंगी और किसान निजी मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा।
• नए प्रावधान पुराने विकल्प को चालू रखते हुए फसल बेचने के अधिक विकल्प उपलब्ध कराते हैं। किसान अब मंडी के बाहर किसी भंडारगृह से, कोल्ड स्टोरेज से या अपने खेत से भी फसल बेच सकेगा।
• किसान की फसल को खरीदने में अधिक प्रतिस्पर्धा होगी क्योंकि नए व्यापारी भी फसल के खरीदार हो सकेंगे जिससे किसान को अधिक मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
• अंतर-राज्य एवं राज्य के भीतर व्यापार के सभी बंधन हट जाएंगे।
• किसान को नए विकल्पों के अतिरिक्त पूर्व की तरह मंडी में बेचने तथा समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी केंद्र पर बेचने का विकल्प यथावत रहेगा।
प्रस्ताव –
• अधिनियम को संशोधित करके यह प्रावधानित किया जा सकता है कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सके। साथ ही ऐसी मंडियों से राज्य सरकार एपीएमसी मंडियों में लागू सेस/शुल्क की दर तक सेस/शुल्क निर्धारित कर सकेगी।
मुद्दा 2- व्यापारी के पंजीकरण की व्यवस्था न करके मात्र पैन कार्ड के आधार पर किसान से फसल खरीद की व्यवस्था है जिससे धोखा होने की आशंका है।
• नए अधिनियमों में किसान को विपणन के अधिक विकल्प प्रदान करने की दृष्टि से पैन कार्ड के आधार पर व्यापारी को कृषि व्यापार करने की व्यवस्था है।
• कानून में केंद्र सरकार को व्यापारियों के पंजीकरण, व्यापार के तरीके तथा भुगतान की व्यवस्था के संबंध में नियम बनाने की शक्ति है।
• पैन कार्ड के अतिरिक्त अन्य दस्तावेजों को आधार बनाकर पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने का प्रावधान पूर्व से है।
प्रस्ताव –
• उठाई गई शंका के समाधान हेतु राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें।
मुद्दा 3- किसान को विवाद समाधान हेतु सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प नहीं है जिससे न्याय न मिलने की आशंका है।
• किसानों को त्वरित, सुलभ एवं कम व्यय पर न्याय मिल सके तथा विवाद का समाधान स्थानीय स्तर पर 30 दिन के भीतर हो सके, ऐसा प्रावधान किया गया है।
• दोनों अधिनियमों में प्रथम व्यवस्था सुलह बोर्ड के माध्यम से आपसी समझौते के आधार पर विवाद निराकरण की है।
प्रस्ताव –
• शंका के समाधान हेतु विवाद निराकरण की नए कानूनों में प्रावधानित व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
मुद्दा 4- कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है।
• कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 के अंतर्गत पूर्व से ही राज्य सरकार द्वारा करारों के पंजीकरण की व्यवस्था बनाने का प्रावधान है।
• पंजीकरण प्राधिकरण की स्थापना का अधिकार भी राज्य सरकार को है।
प्रस्ताव –
• जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी।
मुद्दा 5- किसान की भूमि पर ब़ड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। किसान भूमि से वंचित हो जाएगा।
• कृषि करार अधिनियम के अंतर्गत कृषि भूमि की बिक्री, लीज तथा मार्टगेज पर किसी प्रकार का करार नहीं हो सकता है।
• यह प्रावधान है कि किसान की भूमि पर किसी प्रकार की संरचना का निर्माण नहीं किया जा सकता, और यदि निर्माण किया जाता है तो उसे करार की अवधि समाप्त होने पर फसल खरीददार हटायेगा।
• यदि संरचना हटाई नहीं जाती तो उसकी मिल्कियत किसान की होगी।
प्रस्ताव –
• प्रावधान पूर्व से ही स्पष्ट है फिर भी यह स्पष्ट कर दिया जाएगा कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीददार (स्पांसर) द्वारा किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना उसके द्वारा बंधक रखी जा सकेगी।
मुद्दा 6- किसान की भूमि की कुर्की हो सकेगी।
• कृषि करार अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत यह स्पष्ट प्रावधान है कि किसान की भूमि के विरुद्ध किसी प्रकार की वसूली हेतु कुर्की नहीं की जा सकती है।
• इस अधिनियम में किसान के ऊपर कोई पेनाल्टी नहीं लग सकती जबकि खरीददार व्यापारी के विरुद्ध बकाया राशि के 150 प्रतिशत का जुर्माना लग सकता है।
• जहां व्यापारी करार के अंतर्गत फसल को पूरे मूल्य पर खरीदने के लिए बाध्य है वहीं किसान पर कोई बंधन नहीं है।
प्रस्ताव –
• प्रावधान स्पष्ट है, फिर भी किसी भी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो उसे जारी किया जाएगा।
मुद्दा 7- किसान को अपनी उपज समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसी के माध्यम से बेचने का विकल्प समाप्त हो जाएगा और समस्त कृषि उपज का व्यापार निजी हाथों में चला जाएगा।
• नए अधिनियमों में समर्थन मूल्य की व्यवस्था तथा सरकारी खरीदी में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है।
• समर्थन मूल्य के केंद्रों की स्थापना का अधिकार राज्य सरकारों को है तथा वह इन केंद्रों को मंडियों में स्थापित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
• केंद्र सरकार द्वारा लगातार समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था मजबूत की गयी है जिसका उदाहरण इस वर्ष की रबी और खरीफ की बम्पर खरीदी है।
प्रस्ताव –
• केंद्र सरकार एमएसपी की खरीदी व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी।
मुद्दा 8- बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को समाप्त किया जाए।
• बिजली संशोधन विधेयक अभी चर्चा हेतु रखा गया है।
• डीबीटी के संबंध में प्रस्तावित है कि राज्य सरकार अग्रिम तौर पर सब्सिडी का भुगतान सीधे उपभोक्ता के खाते में जमा कराएगी।
प्रस्ताव –
• किसानों से बिजली वितरण कंपनी द्वारा विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
मुद्दा 9- एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आफ एनसीआर ऑर्डिनेंस, 2020 को समाप्त किया जाए।
• वर्तमान प्रावधान के अंतर्गत पराली के जलाने पर जुर्माना तथा आपराधिक कार्रवाई हो सकती है।
प्रस्ताव –
• पराली को जलाने से संबंधित प्रावधान एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आफ एनसीआर आर्डिनेंस, 2020 के अंतर्गत किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाएगा।
मुद्दा 10– कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करना।
प्रस्ताव
•कानून के वे प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है, उन पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है(साभार NBT)|
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