देहरादून, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में स्मार्ट सिटी दून को शामिल कर काउंटर मैग्नेट सिटी बनाने की योजना पर संयुक्त नागरिक संगठन ने जताई आपत्ति। संगठन की ओर से शहरी विकास से संबंधित केंद्र तथा राज्य सरकार के मंत्रियों, विभागाध्यक्षों, सचिवों को भेजे गये सामुहिक बयान मे कहा गया है कि प्रस्तावित योजना में एनसीआर की बढ़ती आबादी का दबाव खत्म करने, दिल्ली जैसी बिजली पानी चिकित्सा शिक्षा, रेलवे कनेक्टिविटी, ऊचे दर्जे के इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे उद्देश्यों को गूंथा गया है। इसमें पर्यावरणीय हितों की उपेक्षा की गयी है जबकी दून में कंक्रीटीकरण के परिणाम स्वरुप हरियाली एक प्रतिशत ही बची है।
दून में शहरी विकास विभाग, एमडीडीए, नगर निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, स्मार्ट सिटी आदि विभागों द्वारा बनाई गई योजनाओं से भी आम जीवन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में कोई सफलता नहीं मिली है। यहां बढ़ता प्रदूषण, कूड़े कचरे का ऊंचा होता पहाड़, सड़कों पर लगता वाहनों का जाम, सड़कों बाजारों में अतिक्रमण, हाईराइज बिल्डिंग, रिस्पना बिंदाल की गंदगी ने पर्यावरण प्रेमियों और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियो की भावनाओं पर कुठाराघात किया है।
बयान में आगे कहा गया की दून घाटी को यदि हम आज से 30-वर्ष पीछे पलटकर देखें तों हरे वृक्षों की लगातार घटती हुई कतार औऱ सड़कों से गायब होती हरियाली के साथ ही चारों ओर कंक्रीट का बढ़ता हुआ ज़ाल एवं सड़कों के साथ टेढ़ी मेढ़ी नालियां व गड्ढे दिखते हैं।यहा बढ़ते अतिक्रमण के साथ बिन्दाल व रिस्पना नदियों को गन्दे नाले में परिवर्तित होते हुये देखना दूनवासी की मजबूरी है।बयान मे सुझाव दिया गया है की स्मार्टसिटी दून मे जारी विकास योजनाओं को पूरा होने के बाद ही काउन्टर मैग्नेट सिटी की योजनाएं क्रियान्वित की जाए।
बयान के हस्ताक्षरकर्ताओं में आर एस धुन्ता, जगमोहन मेहंदीरता, लै.कर्नल बीएम थापा, आशा टम्टा, एसपी डिमरी, ब्रि.केजी बहल, दिनेश भंडारी, सुशील त्यागी, कर्नल केएस मान, प्रदीप कुकरेती,कर्नल बीके सिंह आदि शामिल है।
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