Wednesday, November 13, 2024
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संयुक्त नागरिक संगठन ने सीएम को भेजा पत्र : पर्यावरण संरक्षण/वृक्षारोपण का दायित्व किसी स्थानीय विधायक को दिये जाने दिया सुझाव

देहरादून, वृक्षारोपण अभियान को फाईलों के फर्जी आकड़ों से खींचकर धरातल पर मूर्त रूप देने हेतु पर्यावरण संरक्षण/वृक्षारोपण का दायित्व स्थानीय ईमानदार विधायक को दिये जाने का सुझाव प्रेषित करते हुए संयुक्त नागरिक संगठन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखा, प्रेषित पत्र में कहा गया कि राज्य में पांच वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्यावरण मंत्रालय के विशेष महत्व को दृष्टिगत रखकर इसका स्वतंत्र रूप से गठन कर इसे वन विभाग से अलग कर पर्यावरण निदेशालय स्थापित करके इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बायोडायवर्सिटी बोर्ड, स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी, स्टेट एन वायरमेंट असेसमेंट कमेटी जैसे विभाग शामिल किए थे। यह सब सफेद हाथी बने हुए है और धरातल पर अयोग्य ही साबित हुए है। संगठन सचिव सुशील त्यागी ने बताया की दून में पर्यावरणीय विनाश को हम कंक्रीटीकरण के रूप में देख रहे हैं। यहां हरित क्षेत्र घटकर लगभग एक प्रतिशत रह गया है। इससे यहां प्रदूषण बढ़ा है जो जन सामान्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
दूसरी तरफ भूजल स्तर लगातार घटता जा रहा है जिससे पानी के लिए मारामारी बनी हुई है। रिस्पना बिंदाल नदियां गंदगी से भरी पड़ी है जिनके लिए सभी जिम्मेदार है। संगठन के सचिव त्यागी ने आगे कहा है कि राज्य में वनागनि की घटनाएं वर्ष 2021 में 2813, वर्ष 2022 में 2080, वर्ष 2023 में 1600 और वर्ष 2024 में अब तक 2400 हेक्टेयर वनक्षेत्र वनागनि से राख हो गया है। पर्यावरण की इस त्रासदी के अलावा भी बहुत से अन्य कारण है, जिनकी वजह से राज्य के हम पर्यावरण प्रेमी दुखी हैं।
राजधानी की अधिकांश सड़कें चौड़ीकरण के चलते हजारों पेड़ों के कटान से शमशान बन चुकी है। वहीं वृक्षारोपण की सर्वोच्च प्राथमिकता और इनका अनुरक्षण यहां जरूरी है। जनसहयोग से इसे मूर्त रूप दिया जाना जरूरी है। पत्र में कहा गया कि पर्यावरण विषय की गंभीरता को दृष्टिगत रखते दून के ही किसी योग्यतम, जुझारू विधायक को ही वृक्षारोपण का दायित्व दिया जाना जरूरी है जो स्थानीय पर्यावरणविदों का सहयोग, सलाह से प्रभावी पर्यावरण संरक्षण नीति बनाने और इसको व्यापक स्तर पर क्रियान्वित करने में आपको सहयोग दे सके। संयुक्त नागरिक संगठन ने पत्र की प्रतिलिपि राज्यपाल, मुख्यसचिव, केन्द्रीय पर्यावरण सचिव को भी आवश्यक कार्रवाई हेतु भेजी है। संगठन ने आशा व्यक्त की है सरकार जल्द ही इस ओर सकारात्मक कदम उठायेगी |

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