Friday, April 26, 2024
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समस्त दृश्य जगत् में ब्रह्म का ही औपाधिक रूप  

हरिद्वार 29 सितम्बर (कुलभूषण)  गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय हरिद्वार के पिछले छः दिन से चल रहे संस्कृत महोत्सव में वेदान्त कार्यशाला में अतिथि वक्ता के रूप मे दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो0 ओमनाथ विमली ने वेदान्त दर्शन के अद्वैत मत का प्रतिपादन करते हुए कहा कि आचार्य शंकर के अनुसार यह समस्त दृश्य जगत् में ब्रह्म का ही औपाधिक रूप है जगत् के कण.कण में विद्यमान चेतन ब्रह्म की ही सत्ता है वही उपाधिरूप से जड प्रतीत होता है। वस्तुतः सभी जड.चेतन चराचरद्ध जगत् ब्रह्म ही है।

वैज्ञानिक जिसे पदार्थ कहते हैं वह भी ब्रह्म का ही एक रूप है ब्रह्म  से भिन्न कुछ भी नहीं है उसका पारमार्थिक रूप ब्रह्म या ईश्वर है माया के कारण अल्पज्ञ जीव प्रतिभासित होता हैए जीव उसका प्रातिभासिक रूप है। माया ईश्वर के अधीन है जबकि जीव माया के अधीन होने से अल्पज्ञ या अज्ञानी होता हैद्य गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय ने वेदान्त कार्यशाला इसलिए आयोजित की कि जिससे मूल वेदान्त जिसमें त्रैतवाद वर्णित है तथा शांकर वेदान्त ;जिसमें अद्वैत वेदान्त हैद्ध दोनों वरिष्ठ विद्वानों के प्रवचन कराए जायें व चिन्तनशील श्रोताओं को निर्णय का अवसर दिया जाए।

कार्यशाला  में देशभर व अन्य देशों से सैकडों  प्राध्यापक शोधच्छात्र जुड़े रहे। संस्कृत विभाग के प्रो० सोमदेव शतांशुए
प्रो  ब्रह्मदेव विद्यालंकार  प्रो संगीता विद्यालंकार  प्रो विनय विद्यालंकार  डा  वीना विश्नोई  डा मौहर सिंह  डा  वेद व्रत डा  सुनीति आर्या आदि ने स्वागत व धन्यवाद किया। डा० प्राची आर्या ने कार्यक्रम का संचालन किया

 

परम्परागत जडी बूटियो ने कोरोना वायरस के खिलाफ मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाई

हरिद्वार 29 सितम्बर कुलभूषण गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हरिद्वार के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया जिसके प्रथम दिन भारत के सभी भागों से प्रतिभागियों ने आनलाइन माध्यम से जुड़कर कोविड.19 महामारी के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी प्राप्त की। वेबिनार के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रूप किशोर शास्त्री ने   कहा कोविड.19 वैश्विक महामारी से विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं रहा है संकट की घड़ी में सभी ने आपस में मिलकर कोरोना वायरस को हराने के लिये सार्थक प्रयास किये है। भारतीय परम्परा की अनेक जड़ी बूटियों ने अपनी कारगरता के कारण ही कोरोना वायरस के खिलाफ मानव शरीर में प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाई है जिसको आज विश्व भी स्वीकार करता है।

कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में प्रो  डी के  माहेश्वरी ने कोरोना वायरस के विभिन्न प्रारूपों एवं उनसे होने वाले विभिन्न दुष्परिणामों के बारे में बताया। मार्च 2020 से सम्पूर्ण देश के अन्दर लाकडाउन के साथ ही सभी गतिविधियों पर इस महामारी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा परन्तु वैक्सीन के प्रयोग एवं कोविड दिशा निर्देशों को पालन करते हुये सभी ने इस बीमारी पर काफी हद तक नियन्त्रण पाया है। कार्यक्रम के चेयरमेन एवं आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो आर सी  दुबे ने कोविड.19 के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की तथा इससे बचने के व्यापक उपायों को बताया। प्रथम सत्र में जवाहरलाल नेहरू दिल्ली के प्रो अरुण एस खरात ने कोविड.19 महामारी के कारण विश्वस्तर पर होने वाली मानव हानि को विभिन्न आंकड़ों के द्वारा बताया। उन्होंने कहा कि खानपान एवं आन्तरिक प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना वायरस के द्वारा उत्पन्न होने वाली इस महामारी का प्रसार भारत में कम हुआ और उसके दुष्प्रभाव भी अन्य देशों की तुलना में कम देखने को मिले।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की डा0 अन्जू पाई ने बताया कि कोरोना वायरस हमारे शरीर को प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है जिससे हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। उन्होने वैक्सीन के शोध में होने वाले अनुसस्धानों के बारे में बताया तथा कारोना से बचने के उपायों के बारे में प्रकाश डाला। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालयए देहरादून के प्रो सुरेश चैबे ने औषधीय पौधों के बारे में बताया कि काढ़ा जैसी आयुर्वेदिक पद्धति से कोरोना के संकट के समय में बहुत अधिक लाभ प्राप्त किया है। कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों अतिथियों का आभार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा सुनील कुमार ने किया।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी प्रतिभागियों का स्वागत भेषज विज्ञान विभाग के प्रो एस के राजपूत ने किया। कार्यक्रम में डा विनीत विश्नोई डा प्रिंस प्रशान्त शर्मा डा विपिन शर्मा अंकित कृष्णात्री पंकज चौहान मनोज दीपक सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे।

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