देहरादून, दून की प्रतिभा थपलियाल ने मध्य प्रदेश के रतलाम में आयोजित नेशनल सीनियर वूमेन बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। अब उनका अगला लक्ष्य पहले एशिया फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत हासिल करना है। इसके ट्रायल के लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है। खास बात यह है कि दो किशोरों की मां 41 वर्षीय प्रतिभा ने अपने मेहनत और जज्बे के बूते सिर्फ दो साल में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कामयाबी पाई।
थायराइड डिसआर्डर के चलते शुरू हुए फिटनेस के सफर को उन्होंने उपलब्धि में बदल दिया। अब प्रतिभा पूरी दुनिया को बताना चाहती हैं कि पहाड़े को अपने कंधों पर उठाने वाली उत्तराखंड की महिलाएं न केवल कर्मठ होती हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत होती हैं। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल में यमकेश्वर ब्लाक के आमड़ी गांव निवासी प्रतिभा की शिक्षा-दीक्षा ऋषिकेश में हुई। वर्तमान में वह अपने पति भूपेश थपलियाल और दो बेटों के साथ दून के धर्मपुर में रहती हैं। प्रतिभा ने बताया कि स्कूल के दिनों में वो खेल प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी, लेकिन उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि बॉडी बिल्डिंग में हाथ आजमाएंगी।
2018 में थायराइड बढ़ने से वजन बढ़ने पर डाक्टर ने उन्हें फिटनेस पर ध्यान देने की सलाह दी थी। इसके बाद उन्होंने पति के साथ जिम जाना शुरू किया और कुछ ही महीने में 30 किलो वजन कम कर लिया। एक दिन पति ने उनके मसल देखे और कहा कि, तुम बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकती हो। उन्होंने इस सलाह को गंभीरता से लिया और 2021 से बॉडी बिल्डिंग की तैयारी शुरू कर दी। 2022 में उन्होंने सिक्किम में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और चौथा स्थान प्राप्त किया। वह उत्तराखंड से बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली पहली महिला थीं।
उन्होंने अपनी कमजोरियों से सीखा और इस बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रतिभा ने ट्रेनिंग कोच और अपने पति भूपेश के साथ चार महीने का कठोर प्रशिक्षण किया। साथ ही डाइट पर भी ध्यान दिया और नतीजा जीत के रूप में सामने आया। प्रतिभा कहती हैं, बॉडी बिल्डिंग को खासतौर से पुरुषों का खेल माना जाता है। ऐसे में इस क्षेत्र में जाने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन मुझे कुछ अलग करना था। हालांकि ससुराल से लेकर मायके तक परिवार ने उन्हें पूरा सहयोग किया, लेकिन आस-पड़ोस की महिलाएं तरह-तरह की बातें करती थीं। उनकी नजर में यह खेल महिलाओं के लिए सही नहीं है।
शुक्र है कि गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनका नजरिया तो बदला ही है, मेरे प्रति व्यवहार भी बदल गया है। दोनों बेटों ने भी मुझे काफी हिम्मत दी। प्रतिभा ने बताया कि उत्तराखंड बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन के जनरल सेकेट्री मुकेश पाल की पहल पर प्रदेश में पहली बार बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन कप का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता का आयोजन इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन (आइबीबीएफ) की ओर से हल्द्वानी में 14 और 15 अप्रैल को किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में देशभर से 600 से अधिक प्रतियोगी हिस्सा लेंगे।
घटिया निर्माण : ट्रक का वजन भी नहीं सड़क दो सप्ताह पहले लगाया पुस्ता ट्रक समेत खाई मेी समाया
पौड़ी, विकास कार्यो की बानगी देखिये कि 15 दिन पूर्व बनी सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गये, जहां जनपद के मोटर मार्ग पर बैंज्वाड़ी गांव के पास एक ट्रक देखते ही देखते खाई में जा गिरा, गनीमत रही कि ट्रक के खाई में गिरने से पहले ही ट्रक चालक और परिचालक सुरक्षित ट्रक से बाहर. निकल गए | पास स्थित गांव के कुछ लोगों ने खाई में गिर रहे ट्रक का वीडियो भी बना लिया जो खूब देखा जा रहा |
यह घटना पौड़ी जनपद के बैंज्वाड़ी गांव के पास है।जानकारी के मुताबिक ट्रक सड़क पर पेंटिंग कार्य में लगा हुआ था… जिस जगह पर ट्रक खाई में गिरा उस स्थान पर सड़क पर खाई की तरफ से दो सप्ताह पूर्व दीवार/पुस्ता का निर्माण किया गया था।इस जगह पर सड़क पर चल रहे ट्रक का पहले पिछला टायर धसा और धीरे-धीरे ट्रक खाई में गिर गया। ट्रक के खाई में गिरने से सड़क पर हो रहे निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पोल भी खुल गयी।ग्रामीण सड़क का चौड़ीकरण की लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं लेकिन विभाग के द्वारा सड़क का डामरीकरण किया जा रहा है और ट्रक भी डामरीकरण के कार्य पर लगा हुआ था। आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय विद्यालय भी इसी मोटर मार्ग पर स्थित है और रविवार होने के कारण एक बड़ा हादसा होते होते इस मोटर मार्ग टला है, गनीमत रही कि यह घटना रविवार की थी और इस मार्ग पर केंद्रीय विद्यालय जाने वाले सभी वाहन छुट्टी में थे।
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 90 देशों के योग साधक, भारतीय परिधानों की ओर हो रहे आकर्षित
ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के नब्बे देश से 1100 से अधिक योग साधक पहुंचे हैं। योग महोत्सव का यह आयोजन एक लघु विश्व की झलक प्रस्तुत कर रहा है। इन योग साधकों की बोली, भाषा, वेशभूषा और खान-पान भले ही अलग-अलग है। मगर, सबके मन में योग की ही एक धुन है। खास बात यह भी है कि विदेशी साधक भारतीय परिधानों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। संस्कृति और परिधान का ताल-मेल बहुत पुराना है। किसी भी देश की संस्कृति को जानना हो तो वहां के दैनिक जीवन के तौर-तरीके और वेशभूषा को देखा जाता है। मुख्य रूप से भारतीय परंपरा व संस्कृति इस मामले में सर्वोत्तम रही है।
यही वजह है कि योग महोत्सव में बड़ी संख्या में ऐसे भी विदेशी साधक हैं जो भारतीय पारंपरिक परिधान पहनकर योग कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं। विदेशी महिला साधकों को साड़ी पहनना, बिंदिया और कुमकुम लगाना खूब भा रहा है। आस्ट्रेलिया निवासी मारिया अपनी तीन साथियों के साथ अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में पहुंची हैं। यह तीनों अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कान) से भी जुड़ी हैं। इन्हें भारतीय संस्कृति और खास तौर पर भारतीय परिधान पसंद आते हैं। उन्होंने अपना पहनावा पूरी तरह से भारतीय परिधान को बनाया है। यह तीनों साड़ी, ब्लाउज पहने रहती हैं।
इसके अलावा उन्हें हाथों में हल्की चूड़ियां और माथे पर बिंदी और कुमकुम के टीके लगाना पसंद है। कनाडा की जेश विल का कहना है कि भारतीय परिधान में साड़ी एक सबसे सुंदर पोशाक है। इस पांच से छह गज लंबी साड़ी को पहनने के लिए शुरुआत में खासी मशक्कत करनी पड़ी। मगर अब वह स्वयं तथा अन्य साथियों को भी साड़ी पहनाती हैं। इतना ही नहीं योग महोत्सव में कई विदेशी महिलाएं साड़ी और सलवार-कुर्ता पहनने के साथ सिर पर शीशफूल और कजरा भी सजा रही हैं। विदेशी महिलाओं में ही नहीं पुरुषों में भी भारतीय परिधानों के प्रति खासी रुचि है। इसमें सबसे अधिक लोकप्रिय पारंपरिक भारतीय पोशाक कुर्ता-पायजामा है।
इंग्लैंड निवासी जानथिन मैन्न ने बताया कि उन्हें सूती कुर्ता-पायजामा पहनना सबसे अच्छा लगता है। ध्यान तथा योगाभ्यास करने में कुर्ता-पायजामा अधिक आरामदायक है और इसे पहनना भी बेहद आसान है। बहरहाल अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में जीवन के कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। भारतीय संस्कृति में रंगे विदेशी योग साधकों को देखकर यह अहसास जरूर होता है कि योग में वास्तव में पूरी दुनिया को जोड़ने की ताकत है।
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