देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, चमोली, उत्तरकाशी, नैनीताल, चंपावत समेत तमाम जिलों के पदाधिकारी जुटे। उन्होंने कहा कि एक साल से लाभांश का पैसा न मिलने, एनएफएसए का लाभांश बंद होने के कगार पर होने से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। इसके चलते वे 23 जनवरी से राशन नहीं उठाएंगे। कोरोनाकाल में हर वर्ग को प्रोत्साहित किया गया, मगर उनका मानदेय तक नहीं दिया गया।
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पांडे, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रेवाधर बृजवासी, प्रदेश महामंत्री संजय शर्मा, राजेंद्र सिंह बांगा, जिलाध्यक्ष दून दिनेश चौहान, मनोज पांडे, नरेंद्र शर्मा, उमेद रावल, देवेंद्र सिंह चौहान, राममूर्ति गुप्ता, हरीश पंत, कृष्ण गुसाईं, दिनेश जोशी मौजूद रहे।
राशन डीलरों ने सरकार से उठाईं प्रमुख मांगें
सस्ता-गल्ला विक्रेताओं को 50 हजार रुपये मानदेय मिले। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभांश बंद न हो। राज्य खाद्य योजना का लाभांश राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के बराबर 180 रुपये प्रति कुंतल हो। खाद्यान्न के साथ विक्रेताओं के माध्यम से उचित लाभांश पर कार्ड धारकों के लिए चीनी, रिफाइंड, नमक, तेल, साबुन जैसी नॉन पीडीएस वस्तुएं बांटने के लिए दी जाएं।
बायोमैट्रिक वितरण के लिए नेट के रीचार्ज की राशि दी जाए। राशन वितरण को उच्च गुणवत्ता के लैपटॉप और पीओएस मशीनें दी जाएं। डोर स्टेप डिलिवरी से विक्रेताओं को आ रही देर से खाद्यान्न डिलिवरी एवं घटतौली की शिकायतों का निस्तारण किया जाए।
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