पौड़ी, गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय एक दिसंबर को आयोजित हो रहे दीक्षा समारोह में ढोल सागर विद्या के मनीषी सोहन लाल को डाक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित करेगा। लगभग 57 वर्षीय पुजारगांव चंद्रवदनी (टिहरी) के मूल निवासी सोहन लाल पांडव, गोरिल, नागराजा, दिशा धांकुड़ी, बगड़वाल सहित ढोल वादन के अन्य सभी आयामों में पारंगत हैं। लगभग पांच साल की उम्र से ही उन्होंने अपने पिता ग्रंथी दास से ढोल वादन सीखने के साथ ही माता लौंगा देवी से चैत गीत (चैत्वाली), नागराजा गीत गाना भी सीखना शुरू कर दिया था। जिसके बाद बचपन से ही वह सिद्धपीठ मां चंद्रवदनी मंदिर में ढोल वादन करते रहे।
सोहन लाल की ढोल वादन विधा को समाज के सम्मुख लाने का श्रेय रंगकर्मी और गढ़वाल केंद्रीय विवि लोक कला केंद्र विभाग के प्रोफेसर डा. डीआर पुरोहित को है।
प्रो. पुरोहित ने बताया कि सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी अमेरिका के स्टेफान थिरमोल और आस्ट्रेलिया के प्रो. एंड्रयू आल्टर भी सोहन लाल से ढोल सागर विद्या का प्रशिक्षण लेकर विदेशों में ढोल विद्या का प्रचार कर रहे हैं। सोहन लाल ने कहा कि गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा ढोल-दमाऊं के साथ ही पहाड़ के पारम्परिक वाद्य यंत्रों के कलाकारों का सम्मान करना बहुत प्रशंसनीय कार्य है। इससे पहाड़ के अन्य कलाकार भी उत्साहित होंगे।
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षा समारोह आगामी एक दिसंबर को विवि चौरास परिसर में आयोजित होने जा रहा है। जिसके लिए विवि प्रशासन द्वारा युद्ध स्तर पर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि कुल 4531 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की जाएंगी। जिसमें पीएचडी के 76 और स्नातकोत्तर के 246 छात्र-छात्राओं ने दीक्षा समारोह में उपाधि प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण कराया है। अपने-अपने विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को 59 स्वर्ण पदक भी दीक्षा समारोह में प्रदान किए जाएंगे।
कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा ने कहा कि इनमें 45 स्वर्ण पदक विश्वविद्यालय और 14 स्वर्ण पदक दानदाताओं की ओर से प्रदान किए जाएंगे। भारत सरकार के नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और पहल इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजीव कुमार दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि हैं।
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