Tuesday, April 22, 2025
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हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान ने किया ‘जल पूजन’ कार्यक्रम का शुभारंभ

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), जल संकट की चुनौती के समाधान के लिए हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान (जाड़ी) वर्ष 2025 को जल वर्ष के रूप में मना रहा है।
जल वर्ष 2025 के अंतर्गत पृथ्वी दिवस के अवसर पर संस्थान द्वारा नदी, तालाब, कुएं, नौलों, धारों पनियारो को पूजने उन्हें सम्मान देने के लिए पूजन कार्यक्रम की शुरुआत एमकेपी महाविद्यालय देहरादून से की गई। शुभारंभ के अवसर पर जल स्रोत की पूजा, आरती, भजन के साथ छात्र छात्राओं के द्वारा गीत गाए गये। जलस्रोत के पास ही सारे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस अवसर पर कल के लिए जल अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि पानी का पूजन एवं सम्मान हमारी संस्कृति में था, पिछले कुछ दशकों में इसमें कमी आई है जिसके कारण आज प्रकृति समाज से रूठ गई है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में क्लाइमेट चेंज कहा जा रहा है, आधुनिकता के फेर में लोग अपनी पंपराओं से दूर होते गए जिसके कारण पानी भी दूर जाता रहा, जिसके परिणाम हमारे सामने है।
नई पीढ़ी अपनी पंपराओं को जाने जलस्रोतों को सम्मान दे जिस तरह अपने घर में स्थित पूजा घर एवं मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर का सम्मान करते है ठीक उसी तरह जलस्रोतों, नदी, तालाब, नोलो, झरनों का भी सम्मान करे इस उद्वेश्य से जल पूजन कार्यक्रम का शुरू किया गया।
इस अवसर पर पर्वतीय विकास शोध के नोडल अधिकारी डॉ अरविंद दरमोड़ा ने कहा कि जल संकट के समाधान के लिए द्वारिका प्रसाद सेमवाल के द्वारा किए गए कार्यों का संज्ञान प्रधान मंत्री ने भी किया, उनके द्वारा विद्यालयों को जलस्रोतो को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वह काफी लोकप्रिय हो रहा है।
महाविद्यालय में कार्यक्रम की आयोजक हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अलका मोहन ने बताया कि जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए जल स्रोतों का संरक्षण महत्वपूर्ण है, जल नहीं तो कल नहीं ये एक नारा नहीं बल्कि एक चेतावनी है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सरिता कुमार ने अतिथियों का बुके देकर सम्मान किया। उन्होंने महाविद्यालय की संस्थापिका महादेवी जी के पुण्यतिथि पर तालाब बनाने की बात कही।
इस अवसर पर प्रो यतीश वशिष्ठ, भारती आनंद, विकास पंत, प्रज्वल उनियाल, डॉ पुनीत सैनी, अंजना, कुसुम, राशि, दीपा, शीना, काजल, प्रतिभा, शीबा, मोनिका, रंजना मधुर दरमोड़ा शामिल रहे।

टौंस नदी जल पूजन कार्यक्रम :

हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी एवं डीडी कॉलेज निम्बुवाला के द्वारा कॉलेज के एनएसएस अधिकारी श्री मयंक बंगारी के नेतृत्व में छात्रों के द्वारा टपकेश्वर के नजदीक टौंस नदी की सफाई के साथ टौंस नदी की पूजा की गयी, जल पूजन के उद्देश्य पर कल के लिए जल अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जल पूजन यानी अपनी संस्कृति, परंपरा की ओर वापसी का माध्यम है, जो दर्जा घर में पूजा स्थान का होता, मंदिर, तीर्थों का होता है वही जल का होना चाहिए। हमारी संस्कृति परंपरा और धर्म शास्त्रों में जल को विष्णु कहा गया है, देश के कही हिस्सों में आज भी नव विवाहित दुल्हन अपनी ससुराल में धारा पूजन से करती है, छोटी पूजा से भागवत महापुराण की शुरुआत जल पूजन से होती है तो फिर आज जल स्रोत, नदी, तालाब गंदगी ढोने के वाहक क्यों बना दिए गए। नई पीढ़ी ही बदलाव ला सकती है नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति परंपरा से जोड़ने के लिए जल पूजन कार्यक्रम शुरू किया गया।
डीडी कॉलेज और जाड़ी संस्थान मिलकर टौंस नदी को पुनर्जीवित करने उसके जल स्तर को बढ़ाने के लिए कार्य करेगा।
डीडी कॉलेज के एनएसएस अधिकारी मयंक बंगारी ने कहा कि जल पूजन कार्यक्रम के माध्यम से नदी तालाब और जलस्रोतों के सम्मान के लिए ये अनोखी पहल है। पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए सभी को प्रकृति प्रदत संसाधनों का सदुपयोग एवं सम्मान करना चाहिए। आने वाले समय में जल पूजन कार्यक्रम निरंतर आयोजित किए जाएंगे।
इस अवसर पर डॉ. अरविंद दरमोड़ा, विकास पंत, भारती आनंद, प्रज्वल उनियाल, पायल, सालनी, दिव्यांशु, नितिन राणा सही कॉलेज के तीन दर्जन से अधिक बच्चे मौजूद रहे।

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