उत्तरकाशी। द्रौपदी का डांडा (डीकेडी) बेस कैंप में रखे 27 में से अब तक 26 शवों को लाया जा चुका है। आज मंगलवार को एक और शव को लाया जाना है।
वहीं दो पर्वतारोही अभी भी लापता हैं। जिनकी खोजबीन के लिए आज हेली रेस्क्यू किया जाना है। लेकिन इस कार्य में मौसम लगातार बाधा डाल रहा है। उत्तरकाशी जिले में सुबह से हल्की बारिश हो रही है। द्रौपदी का डांडा क्षेत्र में बर्फबारी जारी है। मौसम अनुकूल न होने के कारण अभी हेली रेस्क्यू शुरू नहीं हो पाया है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) उत्तरकाशी का 42 सदस्यीय प्रशिक्षु व प्रशिक्षक दल चार अक्टूबर को एवलांच की चपेट में आ गया था। जिसमें दो प्रशिक्षक समेत 29 प्रशिक्षु लापता हुए थे। आज घटना को सात दिन का समय बीत चुका है। खोजबीन अभियान अभी भी जारी है।
हिमस्खलन घटना की कराएंगे उच्चस्तरीय जांच :
द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन की घटना में मारे गए प्रशिक्षु युवाओं के स्वजन में निम के विरुद्ध जमकर आक्रोश है। गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला और पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने रोते बिलखते स्वजन को ढांढस बांधा।
गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने स्वजन को आश्वासन दिया कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराएंगे। यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में है, जिससे आगे किसी अन्य घर के बच्चों के साथ ऐसी घटना घटित न हो।
इस घटना में जान गंवाने और लापता हुए प्रशिक्षु युवाओं के स्वजन घटना के दिन से ही परेशान हुए। सही जानकारी न मिलने, शवों को उत्तरकाशी पहुंचाने में हो रही देरी सहित कई लापरवाहियों को लेकर हर दिन स्वजन निम प्रशासन के विरुद्ध आक्रोशित हो रहे थे।
सोमवार को भारत तिब्बत सीमा पुलिस के मातली परिसर में असहज सी स्थिति उत्पन्न हुई। जब गुरुग्राम निवासी अशोक सिंघल ने घर के इकलौते चिराग रजत सिंघल का शव देखा। रोते-बिलखते हुए वृद्ध अशोक सिंघल और उनके साथ आए रिश्तेदारों ने मौके पर मौजूद निम के अधिकारियों को खरीखोटी सुनाई।
वह तो वहां मौजूद विधायक सुरेश चौहान और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनको ढांढस बंधाया। मीडिया से बात करते हुए अशोक सिंघल ने कहा कि बर्फबारी से एवलांच के खतरे को देखते हुए नेपाल सरकार ने एवरेस्ट पर्वतारोहण अभियान को रोका, केदारनाथ में तीन बार हिमस्खलन की घटना हुई।
दो अक्टूबर को भूकंप भी आया। इसके अलावा लगातार बर्फबारी भी होती रही। पर निम प्रशासन ने इन सभी प्राकृतिक चेतावनी को नजरंदाज किया और 29 प्रशिक्षुओं की जान खतरे में डाली। निम के जिम्मेदार अधिकारियों के कारण जहां कई घरों के चिराग बुझ गए वहीं स्वजन को जिंदगी भर का सदमा दे गए।
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