रुद्रप्रयाग- जानेमाने समाज सेवी कुलदीप रावत ने केदार नाथ यात्रा मार्ग में हुई अतिबृष्टि से उपजे हालातों पर सरकार की संवेदनशीलता व तत्परता के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि समय रहते राहत एँव बचाव कार्य त्वरित गति प्रदान करने के कारण इस दैवीय आपदा के प्रभाव को कम करने में सफलता मिली है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से यात्रा मार्ग में फँसे दस हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। उन्होने राहत एँव बचाव कार्य में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग की भी सराहना की जिन्होने एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रशासन का सहयोग किया। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार भी हर संभव मदद कर राहत एँव बचाव कार्य पर नजर बनाये हुये है। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने प्रभावित छैत्रों का दौरा कर प्रभावितों की कुशल झेम जानी व राहत एँव बचाव कार्य में लगे राहत दलों का हौसला बढाया। राहत एँव बचाव कार्य को गति प्रदान करने व यात्रीयों को जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिये चिनूक व एमआई 17 का सहारा लिया गया।
केदार घाटी के आपदा प्रभावित छैत्रों में पिछले कुछ दिनों से अपनी टीम के साथ प्रभावितों की मदद में जुटे समाजसेवी व भाजपा नेता कुलदीप रावत आज रुद्रप्रयाग गढ़वाल मंडल विकास निगम में पत्रकारों से मुखातिब हुए। उन्होने कहा कि काँवण यात्रा होने के कारण यात्रा मार्ग में यात्रियों की संख्या का सही अनुमान लगाना संभव नही हो पा रहा है । सरकार की पहली प्रार्थमिकता मार्ग में फँसे लोगों को सुरक्षित निकलना था जिसमें युद्ध स्तर पर सर्च आपरेसन कर फँसे लोगों को पैदल मार्गो व हेली सेवाओं से सुरक्षित निकाला गया। अब सेना की मदद से ध्वस्त हुए पैदल मार्गो को ठीक करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
उन्होने स्थानीय ग्रामीणो, ब्यापार संघ, टैक्सी यूनियन का आभार ब्यक्त किया जो प्रशासन के साथ कधें से कधां मिलाते हुए लगातार प्रभावितों की सहायता में जुटे हैं। उन्होने कहा कि स्वयँ वे ओर उनकी टीम भी आपदा के बाद से प्रभावित छैत्रों में मदद करने में जुटे थे। यात्रियों की भोजन ब्यवस्था व केदार घाटी से निःशुल्क वाहनों से गन्तब्य तक पहुचाँया गया। उन्होने विपक्षी पार्टियों से इस आपदा की घडी में राजनीती न कर सहयोग करने की बात कही। जिससे शीघ्रता से चुनौतियों से निपट कर केदारनाथ यात्रा को पुनः संचालित किया जा सके।
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