बोर्ड परीक्षार्थियों से रू-ब-रू हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक
बोर्ड परीक्षा समेत नीट, जेईई को लेकर जिज्ञासाओं को शांत किया
देहरादूनः समस्या है तो समाधान भी है। धैर्य को अपनाने से बाधाएं सुगमता में बदल जाती हैं। चुनौतियों का मुकाबला करने से आदमी निखर जाता है। विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने से हिम्मत में इजाफा होता है। लक्ष्य ही नहीं, संघर्ष और लगन भी महत्त्वपूर्ण होती है। समय लौटकर नहीं आता है, वह अमूल्य है, हमें उसका सदुपयोग करना है। जितना महत्त्वपूर्ण समय है, उतना ही अहम हमारा स्वस्थ्य भी।
स्वास्थ्य की रक्षा बहुत हद तक जागरूकता, सावधानी और नियमों के पालन करने पर निर्भर करती है। मेरे भारत ने कोविड की भयंकर विश्वव्यापी बाधा पार कर शिक्षा जगत में परचम लहराया है। यह मेरे 33 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों, एक करोड़, दस लाख शिक्षकों और कार्मिकों के कारण संभव हो पाया है। हम सफलता की ओर निरंतर अग्रसर हैं। आॅनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर हमने अपने बच्चों का समय बचाकर उनका भविष्य सुरक्षित किया है और बोर्ड परीक्षाओं की चुनौतियों को भी हम इसी प्रकार हंसते-हंसते पार कर जाएंगे।
उपरोक्त साहस और हिम्मत की प्रेरणा देते हुए बृहस्पतिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक देश के करोड़ों विद्यार्थियों से रू-ब-रू हुए। लाइव कार्यक्रम में उन्होंने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए, उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया और सुझावों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। डाॅ. निशंक ने कहा कि अब वे अभिभावकों से भी संवाद करेंगे।
उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे परीक्षा के तनाव को जिंदगी का हिस्सा न बनाएं, पढ़ाई से समय निकालकर योग करें, माता-पिता के साथ घर के काम में हाथ बंटाएं, उनसे रचनात्मक कार्य सीखें और कहानियां सुनकर उन्हें लिपिबद्ध करें। कोविड काल के अनुभवों को रोचक ढंग से लिपिबद्ध करें, ताकि भविष्य के लिए स्मृतियों की यह अमूल्य धरोहर सुरक्षित रह पाए।
सवालों के क्रम में एक छात्रा सुधा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक के समक्ष चिंता व्यक्ति की कि स्कूल खुल रहे हैं और बोर्ड परीक्षाएं हो रही हैं तो क्या विद्यार्थियों में संक्रमण नहीं फैलेगा?
इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-स्कूल खुल रहे हैं, परीक्षाएं हो रही हैं, यह बच्चों के हित में ही है। यदि एसओपी का पूरी तरह पालन किया जाए, बच्चों, अभिभावक और विद्यालयों की ओर से सावधानी बरती जाए तो संक्रमण का खतरा नहीं के बराबर रहेगा। असावधानी बरती तो संक्रमण घर में भी हो सकता है। हमने जेईई, नीट जैसी बड़ी परीक्षाएं नियमों के पालन और सावधानी के साथ करायीं और सफलता मिली। इसलिए मैं इस बात से इत्तफाक नहीं रखता कि सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल न खोल जाएं और परीक्षाएं न कराई जाएं या पीछे ले जाई जाएं। हमें अपने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों की चिंता है, इसलिए हम फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं।
’क्या मार्च में निर्धारित बोर्ड परीक्षाओं को आगे नहीं ले जा जाया जा सकता है?’ अभय सिंह नामक एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह पहले से ही तय है। परीक्षाएं आगे खिसकाने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि कोविड-19 का दुष्प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है। इसलिए हमें पढ़ाई के साथ ही अन्य परीक्षाओं का समय और तिथियां भी देखनी हैं। अतः ऐसा करना ठीक नहीं। छात्रों को चुनौतियों का सामना करने की आदत डालनी होगी।
प्रियांशु नामक छात्र ने समस्या रखी कि सीबीएसई द्वारा पाठ्क्रम से हटाए पाठों को लेकर भ्रम बना हुआ है। इसका समाधान क्या है?
इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-सीबीएसई ने जो चैप्टर हटाए, उनका विवरण उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं, न तो छात्र को और न ही शिक्षक को। हम सीबीएसई को कहेंगे कि इसका विवरण समस्त विद्यालयों को भी भेजा जाए।
अभिषम नाम छात्र का सुझाव था कि छात्रों को कोविड काल में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरी सुविधाएं नहीं मिल पायी हैं, इसलिए प्रतियोगी परीक्षाओं में से इस बार 20 प्रतिशत तक सिलेबस कम किया जाए।
डाॅ. निशंक ने कहा कि सीबीएसई अपने पाठ्यक्रम में से 30 प्रतिशत तक पाठ्यक्रम हटा चुका है, इस पर भी विचार करेंगे, इसके लिए समय की आवश्यकता होगी।
जिज्ञांश का सवाल था कि कोविड के कारण सीबीएसई के बारहवीं के छात्र स्कूल में जाने और लैब में जाकर प्रैक्टिकल करने का अधिक मौका नहीं मिल पाया, क्या ऐसे में प्रैक्टिकल परीक्षा रद या पोस्टपोंड हो सकती है?
जिज्ञांश की शंका का समाधा करते हुए डाॅ. निशंक ने कहा कि प्रैक्टिकल स्कूली स्तर पर होते हैं। इस संबंध में देखते हैं क्या संभावना बनती है। अभी हमें समय का इंतजार करना पड़ेगा। आपका सवाल महत्त्वपूर्ण है। इस पर हम निश्चित रूप से विद्यार्थी हित में विचार करेंगे।
अभय ने सवाल पूछा कि सीबीएसई ने कोविड-19 के कारण अपना पाठ्क्रम कम कर दिया है, क्या ऐसे में जेईई मेंस में भी सिलेबस कम किया जाना चाहिए?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया-सीबीएसई ने तो सिलेबस कम किया है, लेकिन अन्य कई बोर्डों ने कम नहीं किया है। हम इस मसले पर विचार कर रहे हैं। हमें उन विद्यार्थियों की समस्या का भी ध्यान रखना है, जिनका सिलेबस कम हुआ है। इसलिए हम चाहते हैं कि जैसे इस प्रकार व्यवस्था बने कि प्रश्नपत्र इस प्रकार का हो कि दोनों प्रकार के छात्र उससे कवर हो जाएं। किसी को नुकसान न हो।
जेईई परीक्षा की के आयोजन को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इसकी तारीख फिक्स की जाए? नवीन नामक छात्र ने ये सवाल किया तो इसके उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा-हम इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे कि जेईई परीक्षा की तिथि पहले तय हो जाए। हमारे पास यह भी सुझाव और सवाल आए हैं कि क्या जेईई की परीक्षा साल में दो, तीन, चार बार नहीं हो सकती? क्योंकि इससे छात्रों के सामने परीक्षा देने के अवसर बढ़ जाएंगे? इन सवालों और सुझावों पर भी हम गंभीर हैं और हमें उचित लगा तो इस पर निर्णय लेंगे।
कृपा पटेल ने समस्या रखी कि जेईई मेंस और सीबीएसई प्रैक्टिकल परीक्षा के बीच कोई टकराव न हो। कृपा ने जेईई परीक्षा का पाठ्यक्रम और इसकी तारीख भी जाननी चाही।
डाॅ. निशंक ने कहा कि हमने अधिकारियों को इसके लिए कह दिया है कि दोनों परीक्षाओं में कोई टकराव न हो। यदि ऐसा होता भी है तो प्रभावित छात्र को अवसर दिया जाए। उसे नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। डाॅ. निशंक ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम जेईई मेंस का पाठ्यक्रम निश्चित कर दें।
नीट परीक्षा स्थगित हो और यह जुलाई के फस्र्ट वीक में हो। केशवराव कुमार के इस सुझाव पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह बिलकुल नहीं हो सकता। हम पिछली बार इसे तीन बार बार पीछे ले गए। कुछ लोगों ने इसके लिए आंदोलन किया, जबकि हमारे छात्र और उनके अभिभावक मांग कर रहे थे कि परीक्षाएं कराएं, आखिर बच्चे कब तक तैयारी करते रहे। हमने पूरी सुरक्षा के साथ नीट की परीक्षा कराई। 99 प्रतिशत प्रतियोगियों को उनके पसंदीदा सेंटर दिए। हम चाहते तो परीक्षा निरस्त भी करा सकते थे, लेकिन हमने यह सोचकर कि बच्चे का एक-एक क्षण हमारे लिए कीमती है, इसलिए हमने हर हाल में परीक्षा करायी और इसमें सफल हुए।
पीएस कोहली ने पूछा कि नीट के संचालन की विधि क्या होगी आॅनलाइन या आॅफलाइन?
इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-अभी तक हमने नीट आॅफलाइन किया है, संभावनाएं आॅनलाइन की बन सकती हैं। वैसे अब इस पर विचार करेंगे। हम वही करेंगे, जो प्रतियोगियों के लिए सुगम और उनके हित में हो।
(डाॅ. वीरेंद्र बर्त्वाल)
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