भारत में Corona और उसके वैरियंट ओमिक्रॉन के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने क्लिनिकल गाइडलाइंस में संशोधन किया है। इसको लेकर सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की है। इसके तहत डॉक्टर्स को कोरोना मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा गया है। इस नई सरकारी गाइडलाइन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)-कोविड-19 राष्ट्रीय कार्यबल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संयुक्त निगरानी समूह (DGHS) की तरफ से जारी किया गया है।
इस नई गाइडलाइंस में बताया गया है कि यदि किसी मरीज की ऊपरी श्वास नली में कोरोना के लक्षण आते हैं और मरीज को सांस लेने में दिक्कत या हाइपॉक्सिया जैसी दिक्कत नहीं है तो इसे हल्के लक्षणों में माना जाता है। ऐसे मरीज के लिए होम आइसोलेशन में ही इलाज की सलाह दी गई है। हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए सलाह जारी की गई है कि यदि उन्हें सांस लेने में समस्या है या तेज बुखार या 5 दिनों से तेज खांसी है तो उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति को लगातार खांसी है या दो-तीन हफ्तों से ठीक नहीं हो रही तो उसे ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) या ऐसी ही किसी दूसरी बीमारी के लिए टेस्ट कराना जरूरी है।
इसके अलावा यदि किसी मरीज में ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से 93 फीसदी बीच में फ्ल्क्चुएट कर रहा है साथ ही सांस लेने में दिक्कत है तो अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। कोरोना के ये मध्यम लक्षण हैं और ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना जरूरी है।
इसके अलावा इस संशोधित नई गाइडलाइंस में बताया गया है कि स्टेरॉयड्स वाली दवाएं अगर जरूरत से पहले, या ज्यादा डोज में या फिर जरूरत से ज्यादा समय तक यूज की जाएं तो इनसे म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
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