“गंगा गंगोत्री से उत्पन्न होती है और गंगा सागर में विसर्जित हो जाती है। इतनी लंबी यात्रा में गंगा ने अपना नाम और चरित्र नहीं छोड़ा, यही गंगा की सार्थकता है : राष्ट्रपति”
ऋषिकेश, राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि गंगा गंगोत्री से उत्पन्न होती है और गंगा सागर में विसर्जित हो जाती है। इतनी लंबी यात्रा में गंगा ने अपना नाम और चरित्र नहीं छोड़ा, यही गंगा की सार्थकता है। गंगा के बिना भारत अधूरा है और भारत के बिना गंगा। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। रविवार को पत्नी सविता कोविन्द और पुत्री स्वाति के साथ परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश पहुंचने पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का आचार्यों ने पुष्प वर्षा, शंख ध्वनि व मंत्रोच्चार के साथ स्वागत किया |
राष्ट्रपति ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंट करने के बाद सांध्यकालीन गंगा आरती में भाग लिया। इस दौरान स्वामी चिदानंद ने राष्ट्रपति व सविता कोविन्द का इलाइची की माला पहनाकर स्वागत किया। आरती से पूर्व राष्ट्रपति ने परिवार के साथ गंगा तट पर विश्व शांति के लिए यज्ञ में आहुति दी।
गंगा तट पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि वह मोक्षदायिनी गंगा के तट पर आकर स्वयं को अभिभूत महसूस कर रहे हैं। यह वास्तव में हृदय को स्पर्श करने वाला क्षण है। गंगा के बारे में जितना कहा जाए कम है। सृष्टिकर्ता ने अपने कर कमलों से विश्व कल्याण के लिए ही गंगा को भारत भूमि पर भेजा है। हमें भी गंगा के प्रति अपनी मर्यादाओं का पालन करना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वह विश्व के कई देशों में गए। स्विट्जरलैंड जैसे खूबसूरत देश में भी लोग भारतीय संस्कृति, अध्यात्म व शांति को याद करते हैं। यह हम सबके लिए गौरव की बात है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने राष्ट्र की सेवा के लिए राष्ट्रपति की प्रतिबद्धता और उनके अद्भुत नेतृत्व के साथ कुंभ मेला प्रयागराज यात्रा की स्मृतियों को ताजा किया। कहा कि यह यात्रा स्वयं से स्वयं की यात्रा है, अनेकता से एकता की यात्रा है। राष्ट्रपति के रूप वह एक ऐसे संत हैं, जो सहज व महान भी हैं। साधारण परिवार में पैदा होकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और जात-पात की भावना से ऊपर उठकर देश की सेवा में लगे हैं।
परमार्थ निकेतन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के आगमन पर गंगा आरती कार्यक्रम में विश्व प्रसिद्ध ग्रैमी पुरस्कार विजेता गायिका स्नातम कौर आनलाइन जुड़ीं। उनके साथ ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित देवा प्रेमल और मितेन, कृष्णा दास, सीसी व्हाइट और अन्य साथियों ने ‘गंगा गान’ (गंगा एंथम) प्रस्तुत किया। यह गान गंगा को प्रदूषण से बचाने और संरक्षित करने का संदेश देता है।
इस अवसर पर ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अंतरराष्ट्रीय महासचिव डा. साध्वी भगवती ने कहा कि जिसे अपनी युवावस्था में स्कूल जाने के लिए प्रतिदिन आठ किमी पैदल चलना पड़ता था, आज वही हर जाति, धर्म, रंग व संप्रदाय के लिए न्याय, समानता और अखंडता के पथ प्रदर्शक के रूप में भारत का नेतृत्व कर रहा है। इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व पूर्व मुख्यमंत्री एवं गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत भी मौजूद रहे।
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