“सरकार के ढाई वर्ष का कामकाज, स्थानीय मुद्धे व प्रत्याशी चयन केदारनाथ विधान सभा उप चुनाव हार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगें”।
(देवेंन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- केदारनाथ विधान सभा उप चुनाव तारीखों की घोषणा होना अभी बाकी है लेकिन विधान सभा छैत्र में दावेदारों के साथ साथ सरकार व भाजपा संगठन की सक्रियता ने माहौल को अभी से चुनावी बना दिया है। संभावित दावेदारों का गाँव गाँव भ्रमण व छैत्रो में शक्ति प्रदर्शन का दौर भी शुरु हो चुका है। वर्तमान की बात करें तो यहाँ मुख्य मुकाबला भाजपा व काँग्रेस के बीच नजर आ रहा है। लेकिन भाजपा किसे दावेदार बनाती है असली तस्बीर उसके बाद सामने आयेगी। यह उप चुनाव सरकार व संगठन की प्रतिष्ठा से जुडा होने के कारण भाजपा को यहाँ प्रत्यासी चयन करना टेडी खीर साबित होगा।
राष्ट्रीय दलों की बात करें तो काँग्रेस से पूर्व विधायक मनोज रावत के साथ जनसंपर्क अभियान की कमान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल संभाले नजर आ रहे है ऐसे में अगर कुछ अप्रत्यासित नहीं होता है तो मनोज रावत का काँग्रेस से लड़ना तय माना जा रहा है । जबकि भाजपा में दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति दिखाई दे रही है।
बता दें कि भाजपा की विधायक शैला रानी रावत के असामयिक निधन होने के कारण खाली हुई केदारनाथ सीट पर उप चुनाव होना है। भाजपा की बात करें तो मुख्य दावेदारों में दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की पुत्री ऐश्वर्या रावत का दावा सहानुभूति लहर के कारण मजबूत माना जा रहा है। वहीं जाने माने समाज सेवी कुलदीप रावत लोक सभा चुनावों के समय भाजपा में शामिल हो गये थे, पिछले विधान सभा चुनावों पर नजर दौडाये तो उन्हे मिला जनसमर्थन व हार के बाबजूद छैत्र मे उनकी सक्रियता उनकी दावेदारी को मजबूत करता है। वहीं भाजपा की पूर्व विधायक व महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल की दस वर्ष के अंतराल बाद भी जनता में लोकप्रियता आज भी बरकरार है। ये सभी उम्मीदवार छैत्र में लगातार सक्रियता से जनसंपर्क में जुटे हुये हैं। सभी दावेदारों की सक्रियता के चलते भाजपा पशोपेश की स्थिति में जरूर होगी।
भाजपा के लिये सबसे बडी चुनौती समाज सेवी कुलदीप रावत ने खडी की है, छैत्र में उनकी सक्रियता ओर उनके स्वागत में नारायणकोटी व चोपता में आयोजित जनसमर्थन कार्यक्रम में जुटी भारी भीड़ के चलते पार्टी को उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।
लोक सभा चुनाव के नतीजों के बाद अभी हाल ही में सम्पन्न हुये बद्रीनाथ व मंगलोर विधान सभा उप चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद प्रचंड बहुमत की धामी सरकार को बडा झटका लगा है। ऐडी चोटी का जोर लगाने के बाबजूद भी भाजपा लोक सभा चुनाव नतीजों की खुशी को बरकरार नहीं रख पायी। अब केदारनाथ बिधान सभा सीट फतह करना भाजपा संगठन व सरकार के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है।
देश विदेश में धार्मिक महत्व व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ ड्रीम प्रोजक्ट से जुडी होने के कारण विपक्षी पार्टियों सहित पूरे देश की निगाह केदारनाथ विधान सभा उप चुनाव पर है।
भले ही चुनाव के नतीजों से प्रदेश सरकार की स्थिरता पर कोई फर्क नहीं पडेगा लेकिन बद्रीनाथ व मंगलोर में हुई हार की तरह इसे भी सरकार के कामकाज व जनता में विश्वास से जोड़कर जरुर देखा जायेगा। यही कारण है कि भाजपा संगठन व सरकार केदारनाथ विधानसभा सीट बरकरार रखने के लिये ऐडी चोटी का जोर लगाने में जुटी है।
उप चुनाव में सरकार के कामकाज, स्थानीय मुद्धे व प्रत्याशी चयन भी सीट के हार जीत में अहम भूमिका निभायेगें। फिलहाल संभावित दावेदारों के साथ साथ सरकार व संगठन की सक्रियता के कारण केदार नाथ विधानसभा छैत्र में अभी से चुनाव जैसा माहौल बना हुआ है। इस बीच प्रदेश में सत्तारुड़ भाजपा को प्रत्याशी चयन करना आसान नही होगा। अब देखना यह है कि भाजपा किस प्रत्यासी पर दाँव खेलती है।
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