Sunday, November 24, 2024
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गढ़वाली लेखक भीष्म कुकरेती “चिट्ठी सम्मान -2022” से हुये सम्मानित

“चिट्ठी-पत्री के वार्षिक अंक 2022 व डा. प्रीतम अपछ्याण के गढ़वाली उपन्यास ‘यकुलांस’ का हुआ लोकार्पण”

देहरादून, हिमालय लोक साहित्य एवं विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में रविवार, 28 अगस्त को चिट्ठी-पत्री संस्था के द्वारा सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के साथ गढ़वाली कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
ओएनजीसी महिला पालिटेक्निक संस्थान के सभागार मे तीन चरणों मे आयोजित इस कार्यक्रम मे सर्वप्रथम ‘चिट्ठी-पत्री’ पत्रिका की सम्पूर्ण विकास यात्रा को रेखांकित करते हुये प्रधान संपादक मदन मोहन डुकलाण ने स्थानीय भाषाओं के अस्तित्व पर संकट का जिक्र किया तथा समाज व सरकार के द्वारा इस दिशा मे विचार किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके बाद गढ़वाली साहित्य को इन्टरनेट पर उपलब्ध कराने वाले तथा सोशलमीडिया पर सबसे सक्रिय गढ़वाली लेखक भीष्म कुकरेती जी को ‘चिट्ठी सम्मान -2022 से सम्मानित किया गया। स्वास्थ्य कारणों से समारोह मे उपस्थित न होने के बाबजूद भी उन्होंने फोन से जुड़कर अपना सम्बोधन किया तथा इस सम्मान को सम्पूर्ण गढ़वाली भाषा साहित्य का सम्मान बताया।May be an image of 6 people and people standing
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में ‘चिट्ठी-पत्री’ के वार्षिक अंक 2022 व डा. प्रीतम अपछ्याण के गढ़वाली उपन्यास ‘यकुलांस’ का लोकार्पण उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी जी के कर कमलों से किया गया। चिट्ठी-पत्री के नये वार्षिक अंक पर बोलते हुए वरिष्ठ गढ़वाली कवि देवेंद्र प्रसाद जोशी ने कहा कि चिट्ठी-पत्री का यह अंक पठनीय भी है और संग्रहणीय भी, क्योंकि इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी को संकलित किया गया है जो शोध छात्रों व भाषा प्रेमियों के लिए बहुत संजोकर कर रखने योग्य है। इसके उपरांत ‘वर्तमान में पत्रकारिता व चुनौतियां’ विषय पर प्रसिद्ध उद्घोषक व पत्रकार गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने स्थानीय भाषा में पत्रकारिता के संदर्भ मे आ रही कठनाईयों का उल्लेख किया। तथा सरकार से इस ओर ध्यान दिये जाने की अपील की। चिट्ठी-पत्री के वार्षिक अंक के साथ लोकार्पित डां प्रीतम अपछ्याण के उपन्यास ‘यकुलांस’ पर बोलते हुये युवा गढवाली कवि आशीष सुन्दरियाल जी ने कहा कि ‘यकुलांस’ गढ़वाली उपन्यास के विकास क्रम में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जब गढ़वाली उपन्यास सामाजिक विद्रूपताओं के साथ मनुष्य के मनोभावों व मनोविकारों पर केन्द्रित होकर भी लिखे जाने लगा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि समाजसेवी कवीन्द्र इष्टवाल ने गढ़वाली साहित्य संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाये जाने की आवश्यकता बतायी। विशिष्ट अतिथि हर्षमणी व्यास जी ने समाज को अपनी मातृभाषा के लिए काम करने का आवाह्न किया।May be an image of 14 people, people sitting and people standing
कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि नयी पीढ़ी अपनी मातृभाषा मे लेखन की ओर प्रवृत हो रही है।May be an image of 6 people and people standing

युवा रचनाकारों ने किया काव्य पाठ :

युवाओं को अपनी मातृभाषा में लेखन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से कार्यक्रम के अन्तिम चरण ‘कवि सम्मेलन’ में गढ़गौरव नरेंद्र सिंह नेगी जी की उपस्थिति में युवा रचनाकारों को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया गया। गढ़वाली की वरिष्ठ कवियत्री बीना बेंजवाल जी के संचालन में आयोजित इस कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम युवा कवियत्री आकृति मुण्डेपी ने अपनी दो रचनाओं- ‘सुबेरौ सुपन्या’ अर ‘स्मार्ट फोन’ में आज के तकनीकी विकास के दुष्परिणाम की ओर संकेत किया। इसके बाद युवा कवि दिवाकर बुडा़कोटी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पहाड़ की पीड़ा को बयां किया। नेहा सिलवाल की कविताएँ स्त्री-विमर्श पर केन्द्रित थी। वहीं कान्ता घिल्डियाल ने अपनी कविता में पहाड़ की नारी की पीड़ा को उकेरने का प्रयास किया। युवा गीतकार अखिलेश अंथवाल ने सुन्दर श्रंगारिक गीत प्रस्तुत किया। अनिल सिंह नेगी ने अपनी कविता के माध्यम से विकास के नाम पर हो रहे विनाश को इंगित करने की कोशिश की। कवि सम्मेलन का संचालन कर रही गढ़वाली की वरिष्ठ कवियत्री बीना बेंजवाल ने पुरानी पहाड़ की जीवन शैली को अपनी रचना में पिरोया। गढ़वाली गीत-संगीत के सिरमौर लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने अपनी कविता ‘बाटो’ का पाठ किया तथा अपना एक पुराना गीत… ‘स्वर्ग मा छौं…. ‘ सुनाकर श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर देहरादून के अनेक जाने माने साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी रंगकर्मी व भाषा प्रेमी उपस्थित रहे जिसमें कुलानन्द घनशाला, रामेन्द्र कोटनाला, दिनेश शास्त्री, ललित मोहन लखेड़ा, गोकुल पंवार, दीपक रावत, नीता कुकरेती, दीपू सकलानी, हरीश जुयाल कुटज, रमेश बडोला, यतीन्द्र गौड़ बीना कण्डारी, सचिदानंद तिवाड़ी आदि प्रमुख हैं। कार्यक्रम का संचालन गिरीश सुन्दरियाल व धर्मेन्द्र नेगी जी ने किया।May be an image of 5 people and people standing

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