Sunday, July 7, 2024
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नियति का खेल : 13 साल की उम्र में गायब हुआ मोनू 19 साल बाद वापस लौटा, बचपन में हुआ था अपहरण

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून, नियति का खेल भी निराला है, कहां और किसको कैसे मिलाना है यह सब ईश्वर के खेल पर निर्भर है, मानव तो मात्र उसका खिलौना है, ऐसा ही एक वाकया उत्तराखण्ड़ की राजधानी दून के लोहिया का नगर से सामने आया है जहां 13 साल की उम्र में गायब हुआ एक बच्चा 19 साल बाद सकुशल अपने घर पहुँचा | अपनी आप बीती बताते हुये हुए मोनू ने कहा कि वह बचपन में घर के नजदीकी मंदिर में भंडारा खाने जा रहा था जब वह वापस लौट रहा था तो उसे कुछ लोगों ने अगवाह कर उसे अपने साथ ले गये, वहां वह ऐसे माहौल में पहुँचा जहां चारों ओर रेत के अलावा कुछ नजर नहीं आता | भारत में ऐसी जगह है राजस्थान, देहरादून से राजस्थान पहुँचे इस बच्चे से वह लोग कड़ी मेहनत करवाते और भरपेट खाना न देते, सुबह 4 बजे से रात तक बहुत मेहनत करवाते थे | ऐसे ही काम करते करते 19 साल का वक्त बीत गये, भावुक होते हुये मोनू ने बताया इसी दौरान एक दिन ईश्वर ने फरिश्ते के रूप में एक ट्रक ड्राइवर भेजा जिसने उसे कैद से निकालकर उसे दिल्ली छोड़ा, खुद की पहचान की तलाश में निकला यह युवा खुद का नाम भी भूल चुका था | उसके हाथ में राजू नाम गुदा हुआ था, अपनों को ढूंढने के लिए राजू ट्रेन में बैठकर देहरादून आ गया, यहां भी उसे न घर का पता याद था और न ही घरवालों का कुछ अता- पता, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने इस युवा को अपने परिवार वालों तक पहुंचाने के लिए एक ऑपरेशन चलाया, जिसमें उन्होंने सभी संस्थाओं और ग्रुपों के जरिये उसका प्रचार प्रसार करवाया | बालिग होने के चलते उसके ठहरने की कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी तो उसे रैन बसेरे में ठहराया गया, अखबारों में खबर प्रकाशित हुई तो उसके घरवालों तक यह ख़बर जा पहुँची और बरसों पहले खोए अपने लाल को देखने के लिए उसके मां बाप उसे लेने चले आए, मां- बाप को उसने देखा तो पता चला कि उसका असली नाम राजू नहीं बल्कि मोनू है |

मोनू को घर वापस आया देख उनका परिवार बहुत खुश है. मोनू की मां आशा ने बताया कि यह उनका एकलौता बेटा है जो बचपन में खो गया था, उसे ढूंढने के लिए वह लोग परेशान थे, उसका पूरा बचपन ऐसे ही बीता. आज उन्हें वह वापस मिल गया है और वह बहुत खुश है. मोनू की बहन शिल्पी ने कहा कि वह रक्षाबंधन और सभी त्यौहार पर बहुत रोया करती थीं कि भाई होता तो साथ मनाते लेकिन अब भाई लौटा है तो वह अब खुशी से त्यौहार मना सकेंगे |

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के प्रभारी प्रदीप पंत ने बताया कि हफ्तेभर पहले यह युवक हमारे पास आया था, हमने सभी चौकियों और अखबारों में इसके बारे में बताया, परिजनों को अखबार के जरिये इसका पता चला और इसे घरवालों के पास भेज दिया गया |

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