Wednesday, November 13, 2024
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सरकार व जिला प्रशासन पर बरसे पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, कहा अनुभवी व पहाड़ की परिस्थितियों को समझने वाले अधिकारी हो जिले में तैनात

रुद्रप्रयाग- पूर्व कबीना मंत्री व काँग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने केदारनाथ आपदा को लेकर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को आडे हाथ लिया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाऊस में पत्रकार वार्ता में उन्होने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता पर आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जिसमें प्रदेश सरकार नाकाम रही 2013 की आपदा के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया जिसका नतीजा फिर केदार नाथ यात्रा मार्ग में देखने को मिला। सरकार व जिला प्रशासन को आडे हाथ लेते हुए उन्होने कहा कि आपदा के तीन दिन बाद भी कोई स्पष्ट जानकारी साझा करने को तैयार नहीं है। जबकि कई स्थानीय लोगों व यात्रियों का परिजनों से संपर्क नहीं हो पाया। उन्होने इस जल प्रलय में भारी जानमाल की आशंका जतायी है।
पूर्व कैविनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने आपदा को लेकर सरकार को कठगरे में खडा करते हुये कहा कि उत्तराखंड मे आपदाओं की संवेदनशीलता को देखते हुये उनके आपदा प्रबंधन मंत्री रहते हुये जिला स्तर पर आपदा प्रबधन केन्द्र की स्थापना की गयी थी । लेकिन आज तक सरकार उसके ढांचे में कोई सुधार नहीं कर पाई। उन्होने कहा की आपदा की दृष्टि से संवेदनशील जिलों में प्रशिक्षित व दक्ष आपदा राहत दलों की तैनाती की जानी आवश्यक है।
उन्होने कहा कि स्थानीय लोगों से मिलकर पता चला की उनके परिजन चार दिनो से ला पता है उनकी कोई जानकारी नही मिल पा रही है लेकिन अभी तक लापता लोगों व मवेशियों की हानि की कोई जानकारी स्पष्ट नहीं की जा रही है। उन्होने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील जनपद रुद्रप्रयाग मे विशेष प्रशिक्षित टीम तैनात की जानी अति आवश्यक है क्योंकि यहाँ केदार धाम में लाखों की संख्या मे लोग आते है इसको देखते हुए जनपद में ऐसे अधिकारियों की तैनाती की जानी चाहिये जो पर्वतीय छैत्र की भौगोलिक परिस्थियों से अवगत हो, ओर जो पहाड की चुनौतियों का सामना कर सके। उन्होने
जिला प्रशासन पर आपदा की स्थिति स्पष्ट न करने का आरोप लगाया ओर कहा कि जिला प्रशासन को आपदा पर पत्रकारों से स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। केदार नाथ मंदिर मे सोना गायब होने व दिल्ली में केदा धाम से मंदिर निर्माण पर उन्होने कहा कि केदार बाबा के साथ ठगी करोगे तो त्रासदी होगी उन्होने कहा कि सरकार के पापो का खामियाजा उत्तराखंड वासियों को भुगतना पड रहा है।
जिला प्रशासन की निगरानी में आज भी जारी रहा रेसक्यू कार्य।
पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने जानकारी देते हुए बताया कि 31 जुलाई 2024 की रात्रि को केदारनाथ धाम यात्रा पैदल मार्ग अतिवृष्टि के चलते हुए भूस्खलन के कारण पैदल मार्ग काफी स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुआ है। लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। काफी लोगों का बारिश के चलते व नेटवर्क न रहने के कारण उनके परिजनो से सम्पर्क नहीं हो पा रहा था, इनमें से रेस्क्यू के उपरान्त काफी लोगों का उनके परिजनो से सम्पर्क हो गया है और अधिकांश लोग अपने घर सकुशल पहुंच भी गए हैं।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कतिपय माध्यमों से ऐसी भी सूचनाएं चल रही हैं “कि इस पूरे घटनाक्रम में बड़ी संख्या लोग लापता हैं”। उन्होंने कहा कि जितने भी लोगों की सूचना पुलिस के पास है, लगभग सभी अपने घरों को पहुंच गए हैं। किसी भी तरह से अगर कोई भ्रामक सूचनाएं फैलाता है तो उस पर विश्वास न करें। अगर आपका परिजनो से सम्पर्क नहीं हो रहा है तो पुलिस से जरूर सम्पर्क करें।
जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन रुद्रप्रयाग में आपके सहयोग के लिए है। परिवार जनों से सम्पर्क न हो पाने का कारण यह है कि मौसम खराब होने व नेटवर्क की समस्या के चलते यह समस्या बनी हुई है। किसी भी प्रकार की भ्रामक सूचना से बचें।
जिला पुलिस व जिला प्रशासन के स्तर से जारी हेल्पलाइन नम्बर का विवरण
01364-233727, 2331077, 297878, 297879, 233387, 7579257572, 8958757335, 8078687829, 7579104738।
क्या कहा सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन के अनुसार 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते केदारनाथ तथा केदारनाथ मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू अभियान युद्धस्तर पर जारी है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं। दिनांक 02 अगस्त 2024 तक कुल 7234 यात्रियों का रेस्क्यू किया गया है। वहीं दिनांक 03 अगस्त 2024 को 1865 यात्रियों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। दिनांक 03 अगस्त तक कुल 9099 यात्रियों का रेस्क्यू किया जा चुका है। करीब 1000 यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए अभियान जारी है। मा0 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी रेस्क्यू अभियान की स्वयं मॉनीटरिंग कर रहे हैं। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि दिनांक 02 अगस्त 2024 तक 15 यात्री केदारनाथ से एयरलिफ्ट किए गए। लिंचौली और भीमबली से 1354 यात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। भीमबलीध्लिंचौली से पैदल 365 यात्री चौमासी-कालीमठ पहुंचे तथा गौरीकुंड से सोनप्रयाग पैदल पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 5500 रही।
दिनांक 03 अगस्त को केदारनाथ से 43 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया। लिंचौली और भीमबली से कुल 495 यात्री एयरलिफ्ट किए गए। वहीं 90 यात्री भीमबलीध्लिंचौली से पैदल चौमासी-कालीमठ सुरक्षित पहुंचे। गौरीकुंड से सोनप्रयाग आने वाले यात्रियों की संख्या 1162 रही। चीड़बासा ;गौरीकुंडद्ध से 75 तीर्थयात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। वहीं विभिन्न स्थानों पर फंसे करीब 1000 यात्रियों को सुरक्षित निकालने की कार्रवाई गतिमान है।
वहीं 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 15 लोगों की मृत्यु हुई है। वहीं 01 अगस्त को देहरादून के सहसत्रधारा में स्नान करते समय पैर फिसलने से 02 लोगों की मौत हुई, जो मानवीय भूल की श्रेणी में दर्ज है। इस प्रकार कुल 17 यात्रियों की मृत्यु हुई है। वहीं अलग-अलग स्थानों पर हुए हादसों में 10 लोग घायल हुए और 01 व्यक्ति अभी लापता है। जिलावार टिहरी में 03, हरिद्वार में 04, देहरादून में 06, चमोली में 01, रुद्रप्रयाग में 03 लोगों की मृत्यु हुई है।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही वायुसेना के चिनूक तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के 83 जवान, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ तथा पीआरडी के 168 जवान, पुलिस विभाग के 126, अग्निशमन के 35 कार्मिक अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं। 35 आपदा मित्रों के साथ ही लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यरत 150 मजदूर अवरुद्ध मार्गों को खोलने में लगाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के 12 डाक्टरों के नेतृत्व में 32 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राजस्व विभाग के 57, जीएमवीएन के 68, खाद्य विभाग के 27 कर्मचारी संबंधित व्यवस्थाओं को दुरुस्त बनाने में जुटे हैं। इस प्रकार कुल कुल 882 जवानध्कार्मिक युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं।
बता दें कि जैसे ही मा0 मुख्यमंत्री को केदारनाथ यात्रा मार्ग में यात्रियों के रुके होने की सूचना मिली, उन्होंने भारत सरकार से वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मांग की। भारत सरकार ने तुरंत 01 चिनूक तथा 01 एमआई-17 हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए। मा0 मुख्यमंत्री के निर्देश पर नागरिग उड्डयन विभाग ने भी 05 अन्य हेलीकॉप्टर यात्रियों के रेस्क्यू हेतु उपलब्ध कराए। मा0 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जो यात्री अभी भी रुके हैं, जिला प्रशासन की टीमों ने उनके रहने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की है। उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से पूरे रेस्क्यू अभियान की सतत मॉनीटरिंग की जा रही है। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। मौसम की वजह से कुछ दिक्कतें रेस्क्यू अभियान में आ रही हैं, मौसम जैसे-जैसे साफ हो रहा है, वैसे-वैसे यात्रियों का रेस्क्यू किया जा रहा है।

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