चंडीगढ़/ नई दिल्ली, केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में ‘रेल रोको’ प्रदर्शन के तहत पंजाब और हरियाणा में बृहस्पतिवार को किसान कई जगहों पर ट्रेन की पटरियों पर बैठ गए। अधिकारियों को एहतियात के तौर पर ट्रेनों को स्टेशनों पर ही रोकना पड़ा। पटरियों पर किसानों के बैठने के कारण विभिन्न रेल मार्गों पर ट्रेनों का सामान्य आवागमन बाधित रहा।
संयुक्त किसान मोर्चे ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ‘रेल रोको’ प्रदर्शन किया जाएगा। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान गीता जयंती एक्सप्रेस के इंजन पर चढ़ गए। ट्रेन उस समय खड़ी हुई थी। कुरुक्षेत्र में एक रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘‘ट्रेन कुरुक्षेत्र स्टेशन से अपराह्न तीन बजे के बाद रवाना होने वाली थी।’’ अधिकारियों ने बताया कि पंजाब में किसान दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर रेल मार्ग पर कई जगह ट्रेन की पटरियों पर बैठ गए। उन्होंने बताया कि जालंधर में किसानों ने जालंधर छावनी-जम्मू रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। किसानों ने लुधियाना में लुधियाना-फिरोजपुर रेल मार्ग पर मुल्लांपुर, डाखा और जगरांव में भी ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध कर दिया।
बठिंडा में बठिंडा-दिल्ली रेल मार्ग और अमृतसर-तरनतारन रेल मार्ग को भी प्रदर्शनाकरियों ने अवरुद्ध कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा में प्रदर्शन करने वालों में महिलाएं भी शामिल रहीं। प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, पंचकूला, रोहतक, सोनीपत, हिसार और फतेहाबाद जिलों में जगह-जगह ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध किया। जींद और फतेहाबाद जिलों सहित कुछ स्थानों पर किसान ट्रेन पटरियों पर बैठकर हुक्का पीते भी देखे गए। अंबाला से भारतीय किसान यूनियन के नेता गुलाब सिंह मानकपुर के नेतृत्व में किसानों का एक समूह अंबाला छावनी स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूर शाहपुर गांव में पटरियों पर बैठ गया।
किसान नेता ने कहा, ‘‘कृषि कानून वापस लिए जाने तक हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।’’ अधिकारियों ने बताया कि किसानों के ‘रेल रोको’ आह्वान के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए और राजकीय रेलवे पुलिस तथा राज्य पुलिस बल के कर्मियों को तैनात किया गया। फिरोजपुर के मंडल रेल प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने कहा कि किसानों ने लगभग 50 स्थानों पर धरना दिया। उन्होंने हालांकि, कहा कि आंदोलन के चलते न तो किसी ट्रेन को रद्द किया गया और न ही किसी ट्रेन का मार्ग बदला गया। उत्तर रेलवे के फिरोजपुर मंडल ने कुछ ट्रेनों को स्टेशनों पर ही रोक दिया जिससे कि यात्रियों को ज्यादा परेशानी न उठानी पड़े। रोकी गईं ट्रेनों में फगवाड़ा रेलवे स्टेशन पर मालवा एक्सप्रेस, जालंधर छावनी स्टेशन पर सुपर एक्सप्रेस ट्रेन, पठानकोट छावनी स्टेशन पर मालवा एक्सप्रेस और लुधियाना रेलवे स्टेशन पर पश्चिम एक्सप्रेस शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे के बीच चलने वाली ट्रेनों को भी उनके संबंधित स्टेशनों पर रोक दिया गया।
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इन ट्रेनों में धनबाद एक्सप्रेस को फिरोजपुर छावनी तथा शहीद एक्सप्रेस को अमृतसर में रोका गया। अधिकारियों ने कहा कि किसानों के ‘रेल रोको’ आह्वान के कारण ट्रेन देरी से चल सकती हैं।हरियाणा में रेलवे पुलिस के अलावा राज्य पुलिस के कर्मियों को भी बड़ी संख्या में प्रदर्शन स्थलों और विभिन्न स्टेशनों पर तैनात किया गया। अंबाला रेल मंडल के प्रबंधक जी. एम. सिंह ने बताया कि ‘रेल रोको’ आह्वान के कारण कोई ट्रेन रद्द नहीं हुई है।
उन्होंने हालांकि, कहा कि मेल और मालगाड़ियों को उत्तर प्रदेश के सहारनुपर, हरियाणा के अंबाला और पंजाब के सरहिंद में रोका गया। ये तीनों स्टेशन उत्तर रेलवे के अंबाला मंडल के अंतर्गत आते हैं। जींद में बारसोला गांव के नजदीक रेल पटरियों को अवरुद्ध किया गया जहां बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हो गए। यमुनानगर और बहादुरगढ़ में भी ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध किया गया। इसके अलावा हिसार-सादुलपुर, हिसार-भिवानी, हिसार-सिरसा और हिसार-जाखल मार्ग पर भी ट्रेन पटिरयों को अवरुद्ध किया गया। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बताया कि संगठन के सदस्यों ने पंजाब के नाभा, मनसा, बरनाला, बठिंडा, फिरोजपुर, जालंधर और तरन तारन सहित 22 जगहों पर ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध किया।
किसानों का ‘रेल रोको प्रदर्शन’ का रेलगाड़ियों के परिचालन पर बहुत मामूली असर : रेलवे
राष्ट्रीय परिवाहक रेलवे के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा किए गए ‘रेल रोको प्रदर्शन’ का उसकी सेवाओं पर असर नगण्य या न्यूनतम रहा। प्रवक्ता ने बताया कि अधिकतर जोनल रेलवे ने सूचित किया है कि उनके क्षेत्र में प्रदर्शन की घटना नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘‘रेल रोको प्रदर्शन बिना किसी अप्रिय घटना के समाप्त हो गया। पूरे देश में रेलगाड़ियों के परिचालन पर इसका नगण्य या न्यूनतम असर रहा। सभी जोन में रेलगाड़ियों की आवाजाही सामान्य रही।’’ प्रवक्ता ने बताया, ‘‘अधिकतर जोन में प्रदर्शनकारियों द्वारा रेलगाड़ियों को रोकने की एक भी घटना दर्ज नहीं की गई। कुछ रेलवे जोन में कुछ रेलगाड़ियों को रोका गया लेकिन अब ट्रेनों का परिचालन सामान्य है एवं वे बिना बाधा चल रही हैं। रेल रोको प्रदर्शन के दौरान सभी संबंधित पक्षों द्वारा अधिकतम संयम बरता गया।’’ इससे पहले प्रदर्शन के चलते रेलवे ने करीब 25 रेलगाड़ियों को पुन: व्यवस्थित किया था।
किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन : उत्तर रेलवे जोन में 25 ट्रेनों के परिचालन में परिवर्तन किया गया
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के ‘रेल रोको’ आह्वान के चलते उत्तर रेलवे जोन में बृहस्पतिवार को लगभग 25 ट्रेनों के परिचालन में परिवर्तन किया गया। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा, ‘‘अब तक लगभग 25 ट्रेनों के परिचालन में बदलाव किया गया है। आंदोलन के चलते रेल सेवाओं पर न्यूनतम असर हुआ है।’’ संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि बृहस्पतिवार को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक देशभर में ट्रेनों को रोका जाएगा। रेलवे ने देशभर में, खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में रेलवे पुलिस सुरक्षा बल की 20 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं। हालांकि, किसानों के ‘रेल रोको’ आह्वान के प्रभाव का पूरा ब्योरा रेलवे ने अभी उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन एक अधिकारी ने कहा कि इसका प्रभाव अंबाला में देखा जा सकता है जहां बड़ी संख्या में भीड़ एकत्र हो गई। अधिकारी ने कहा कि बताया जा रहा है कि दिल्ली के पास रेलवे स्टेशनों पर भी प्रदर्शनकारी पटरियों पर जुटे। वे गाजीपुर बॉर्डर के नजदीक मोदीनगर रेलवे स्टेशन के पास भी एकत्र हुए। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी ‘रेल रोको’ का कुछ असर दिखा जहां किसान गीता जयंती एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन पर चढ़ गए जो उस समय खड़ी हुई थी।
पुणे स्टेशन पर रेल रोककर किसानों ने की नारेबाजी
केन्द्र. के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बृहस्पतिवार को विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों से जुड़े सदस्यों ने महाराष्ट्र के पुणे रेलवे स्टेशन पर ‘‘रेल रोको’’ आंदोलन किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए पिछले सप्ताह ‘रेल रोकने’ की घोषणा की थी। मोर्चा ने कहा था कि पूरे देश में दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक रेलें रोकी जाएंगी। श्रमिक कल्याण कार्यकर्ता नितिन पवार ने कहा कि बृहस्पतिवार की दोपहर को कांग्रेस, शिवसेना, राकांपा और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं समेत विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने पुणे रेलवे स्टेशन पर रेल रोको प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
देश भर में रेल रोको प्रदर्शन हुए, विरोध केवल पंजाब, हरियाणा तक सीमित नहीं: किसान नेता
देशभर में छोटे-बड़े स्टेशनों पर रेल पटरियों को बाधित किए जाने के बीच सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि यह आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता भजन सिंह ने कहा कि सरकार लगातार यह कह रही है कि नए कृषि कानूनों का विरोध केवल दो राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के किसान ही कर रहे हैं लेकिन रेल रोको प्रदर्शन ने सरकार को गलत साबित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘ विभिन्न राज्यों के किसानों ने रेल रोको प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
इसलिए, रेल पटरियों पर प्रदर्शन करना हमारे लिए महत्वपूर्ण था। जिस तरह रेलवे का देशभर में नेटवर्क है, उसी तरह हमारा प्रदर्शन भी देशभर में हो रहा है।’’ पंजाब और हरियाणा के कई रेलवे स्टेशनों के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में रेल रोको प्रदर्शन किया गया। वहीं, किसान नेता अमरीक सिंह ने कहा कि इस तरह के विरोध-प्रदर्शन के जरिए किसान सरकार को अपनी एकजुटता दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की आवश्यकता है और संयुक्त किसान मोर्चा हर तरह से सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे।’’
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