देहरादून, उत्तराखंड़ परिवहन निगम के कुछ अधिकारियों की कार गुजारी के कारण सेवा निवृत्त कर्मचारियों के विधिक देयकों से अवैध रूप से कटौती कर उनको भुगतान किया जा रहा हैं। उक्त कटौती कारण वेतन का गलत निर्धारण किया जाना बताया जा रहा है जिसको लेकर यूनियन ने आज पत्रकार वार्ता कर विभागीय अधिकारियों की हठधर्मिता ने बारे बात की, जिसके सम्बन्ध में परिवहन निगम मुख्यालय के वित्त नियंत्रक द्वारा अपने पत्रांक 164 दिनांक 11.11.2020 को जारी किये जाने के पश्चात अवैध रूप से कटौती की जा रही हैं। जिसके विरूद्ध यूनियन द्वारा अवैध कटौती एवं पत्रांक 164 दिनांक 11.11.2020 को मा0 उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल में चुनौती दी गयी।
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुये मुख्य अतिथि के रूप में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल के अधिवक्ता एम सी पन्त ने कहा कि यूनियन की ओर से रिट याचिका संख्या 363 आफैँ 2022 मा0 उच्च न्यायालय में योजित की गयी, जिस पर मा० उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा: सेवा निवृत्त कर्मचारियों एवं कार्यरत कर्मचारियों से की जा रही कटौती पर रोक लगा दी गयी थी किन्तु निर्णय के पश्चात भी कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कर्मचारियों से अवैध रूप से की जा रही कटौती को बंद नहीं किया गया, जिसके विरूद्ध यूनियन द्वारा अवमानना याचिका 195 आफैँ 2022 दायर की गयी, जिस पर मा० उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दिनांक 05.09.2022 को पारित निर्णय में मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा पूर्व में पारित निर्णय का पालन न करना स्पष्ट अवमानना मानी गयी किन्तु इसके बावजूद भी परिवहन निगम के अधिकारियों द्वारा निर्णयों का दरकिनार करते हुए कर्मचारियों की कटौती निरन्तर की जा रही हैं. जिससे कर्मचारियों के मध्य भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि परिवहन निगम प्रबन्ध क्षेत्र अपनी हठधर्मिता के कारण मा० उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल के द्वारा पारित निर्णयों को दरकिनार करते हुए कटौती किया जाना अवैध कृत्य है।
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