देहरादून,देश में कोरोना के चलते शिक्षा को जो नुकसान हुआ है उसके लिए कोई वैक्सीन नहीं है। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए शिक्षकों और सरकार को मिलकर काम करना होगा। यह बात दून आये दिल्ली के उप मुख्यमंत्री प्रिंसिपल कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये, उन्होंने कहा देश को खड़ा करने के लिए नेता और स्कूल दो मुख्य स्तंभ हैं।
एजुकेशन इंडिया की ओर से सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। शिक्षा के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने वाला नेता ही सफल नेता कहलाता है। वहीं सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक रनबीर सिंह ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के साथ सिखाना भी होगा। इसके लिए शिक्षकों को बच्चों को समय देने के साथ उनके अभिभावकों से भी जुड़ना होगा।
कॉन्क्लेव में एजुकेशन इंडिया के सीईओ निशांत शर्मा ने कहा कि देश के हर एक बच्चे और शिक्षक को जरूरत के अनुसार जोड़ने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोविड-19 ने हमें सोचने का अवसर दिया है। हमनें कभी सोचा नहीं था कि अगर स्कूल-कॉलेज बंद हो जाएं तो बच्चों को पढ़ाया कैसे जाएगा। किसी शिक्षक ने यह नहीं सोचा था कि आठ से दस महीने तक स्कूल बंद रहेंगे और केवल ऑनलाइन ही बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
मुश्किल की इस घड़ी में शिक्षकों ने जिम्मेदारी संभाली और बिना किसी ट्रेनिंग के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा, इसके लिए शिक्षक बधाई के पात्र हैं। बच्चों को कैसे शिक्षा दी जाए यह शिक्षकों से बेहतर कोई नहीं जानता। नई शिक्षा नीति की सिसोदिया ने तारीफ की। कहा कि नई शिक्षा नीति एक अच्छी सोच है। इस योजना में लिखी गई बातों को अमल में लाने के लिए एक अच्छी रणनीति बनानी होगी।
योजना में कौशल, बच्चों की मानसिकता आदि को शामिल किया गया है, लेकिन नई शिक्षा नीति योजना में हम कैसे सुनिश्चित करेंगे कि हर बच्चे को न्यूनतम गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में हमारी पार्टी (आप) शिक्षा के लिए काम करने वाली पहली पार्टी नहीं है। हम ने शिक्षा को प्राथमिकता दी है। इसके चलते बीते पांच साल से दिल्ली सरकार के बजट का 25 फीसदी भाग शिक्षा में खर्च किया जाता है, प्रिंसिपल कॉन्क्लेव में 250 स्कूलों के प्रधानाचार्य करीब आठ महीने बाद एक साथ एक स्थान पर जुटे तो सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे। प्रधानाचार्यों ने कहा कि कोरोना ने इस तरह के आयोजनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। ऑनलाइन बैठक, मीटिंग और चर्चाओं से हम सब ऊब चुके थे। लंबे समय बाद शारीरिक बैठक कर बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है हम सबको सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मास्क का प्रयोग और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को पालन करना होगा।
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