विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन और बिनौला तेल की थोक कीमतों में गिरावट आई जबकि सोयाबीन के डीआयल्ड केक की मांग होने से सोयाबीन तिलहन (सोयाबीन दाना एवं लूज तिलहन) के भाव बढ़त दर्शाते हुए बंद हुए.
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत कमजोर है. विदेशी बाजारों की इस मंदी के कारण स्थानीय खाद्य तेल तिलहनों के भाव में भी गिरावट देखने को मिली. जबकि सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) की मांग निकलने से सोयाबीन तिलहन के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए.
भाव में गिरावट का अभी ग्राहकों को फायदा नहीं
सूत्रों ने कहा कि गत लगभग एक सप्ताह में पामोलीन के भाव में 8-10 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है लेकिन अभी तक इन तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) जस के तस बने हुए हैं. सूत्र के मुताबिक वैश्विक खाद्य तेलों में आई गिरावट का लाभ आगे आम उपभोक्ताओं को मिल सकता है क्योंकि इन खाद्य तेलों की कीमतों के टूटने के बावजूद इन तेलों के एमआरपी जस के तस बने हुए हैं. और यह एमआरपी पहले ही 40-50 रुपये लीटर अधिक रखा गया है.
आगे और गिर सकते हैं दाम
सूत्रों ने कहा कि अगले महीने खरीफ (मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला) की फसल आने वाली है और आयातित तेल विशेषकर पामोलीन के भाव टूटने से तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव बना हुआ है. ऐसे में अगर विदेशी बाजारों में कीमतें और गिरती हैं तो घरेलू किसानों के लिए मुश्किलें हो सकती हैं. हालांकि भाव में कमी आने से आम लोगों को फायदा मिल सकता है. वहीं बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात पर भी गौर करना होगा कि जिस मात्रा में आयात शुल्क में छूट दी गई है उसका समुचित लाभ जब उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है तो यह लाभ किसको जा रहा है.
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