देहरादून(आरएनएस)। साइबरी ठगी का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट सामने आया है। इसमें साइबर ठग हूबहू थाने या कोतवाली की तरह दिखने वाला सेटअप तैयार कर रहे हैं। ठग भी बकायदा थानाध्यक्ष या कोतवाल जैसी ड्रेस में रहता है। इसके बाद वह लोगों को वीडियो काल कर धमकाकर उनसे ठगी कर रहे हैं। इसमें पीड़ित पुलिस की वर्दी देख और वहां का माहौल देख यह विश्वास कर लेता है कि उसे जो वीडियो काल आई है वह किसी थाने से ही है। जब पीड़ित के बैंक खाते से रकम निकाल ली जाती है तो तब उसे ठगी का एहसास होता है। देहरादून स्थित साइबर थाने के पास डिजिटल अरेस्ट कर खाते साफ करने के चार मामले सामने आ चुके हैं। यह गिरोह कनाडा से संचालित हो रहा है।
कनाडा में ठगों को ट्रांसफर की जाती है रकम
भारत में गिरोह ने केवल बैंक खाते खोलने के लिए कुछ युवकों को अपने साथ शामिल किया है। इन खातों में ठगी का रकम डाली जाती है और इसके बाद यह रकम कनाडा में ठगों को ट्रांसफर की जाती है। इन ठगों से निपटना पुलिस के लिए भी चुनौती बना हुआ है। हाल ही में ही एक कारोबारी से एक करोड़ 13 लाख रुपये की ठगी करने वाले तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
एम्स ऋषिकेश में तैनात चिकित्सक से भी डिजिटल अरेस्ट कर 23 लाख रुपये की ठगी करने का मामला सामने आया है। घटनाक्रम के मुताबिक चिकित्सक को एक व्यक्ति का फोन आया। यह काल उन्हें इंटरनेशनल कुरियर कंपनी के कर्मचारी के नाम से की गई। चिकित्सक को बताया कि उनके नाम से 58 एटीएम कार्ड, 16 पासपोर्ट व नशे से भरा पार्सल दिल्ली से मलेशिया भेजा जा रहा है। चिकित्सक ने जब इस तरह के किसी भी भी पार्सल की जानकारी न होाने की बात कही। इसके बाद ठगों ने चिकित्सक को वीडियो काल किया, जिसने खुद को पुलिस अफसर बताया। जहां वह बैठा था उसके पीछे का दृश्य भी किसी पुलिस स्टेशन का लग रहा था। ठग ने पुलिस अफसर बनकर वीडियो काल पर चिकित्सक को धमकाकर 23 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करवाए।
सतर्कता व सावधानी से ही हो सकता है बचाव
– इस तरह की फोन काल से आपको सावधान रहने की जरूरत है।
– इसके साथ ही आनलाइन स्कैम और धोखाधड़ी के तरीकों की जानकारी आपको होनी चाहिए।
– आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी काल पर आपको धमका नहीं सकती है।
– आप काल काट कर संबंधित के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
पहचान जरूर करें
– किसी को भी काल पर पर्सनल या फाइनेंशियल जैसी जानकारी बिल्कुल भी साझा न करें।
– अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले काल करने वाले की पहचान जरूर कर लें।
– बैंक या कोई आफिशियल संस्था आपसे फोन पर पिन या आपसे जुड़ी निजी जानकारी नहीं पूछती है।
संदिग्ध गतिविधियां प्रतीत होने पर करें शिकायत
– अगर आपको किसी भी तरह से स्कैमर्स की काल या मैसेज आते हैं तो इन्हें रिपोर्ट करें।
– इसके साथ ही बैंक एकाउंट में कुछ भी संदिग्ध अगर आपको लगता हैं तो पुलिस से शिकायत करें।
डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामले सामने आ चुके हैं। इनकी जांच की जा रही है। आमजन से अपील है कि साइबर ठगों के बहकावे में न आएं। किसी के खाते में बिना जांचें रकम न डालें। मामला संदिग्ध लग रहा है तो फोन काल काटकर पुलिस से शिकायत करें।- – आयुष अग्रवाल, एसएसपी, एसटीएफ
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