नयी दिल्ली. लक्जरी कार कंपनियों मर्सिडीज-बेंज (Mercedes-Benz), ऑडी (Audi) और लैम्बोर्गिनी (Lamborghini) को उम्मीद है कि सरकार आगामी आम बजट (Budget 2021) में वाहनों पर टैक्स में कटौती करेगी. इन कंपनियों का कहना है कि हाई टैक्सेशन की वजह से प्रीमियम कारों का बाजार आगे नहीं बढ़ पा रहा है. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से भी वाहनों का यह खंड बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
टैक्स में बढ़ोतरी से प्रभावित होगी मांग
इन कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि लक्जरी कारों पर यदि टैक्स में बढ़ोतरी होती है, तो इससे मांग प्रभावित होगी और यह क्षेत्र पिछले साल शुरू हुई अड़चनों से उबर नहीं पाएगा. मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मार्टिन श्वेंक ने कहा, ”कोई भी ऐसी चीज जिससे क्षेत्र की मांग प्रभावित होती हो, उससे हमें बचना चाहिए, क्योंकि अंत में इससे समस्या पैदा होगी.”
वाहनों पर टैक्स में कटौती की मांग करते हुए श्वेंक ने कहा, ”इस क्षेत्र पर टैक्स की दर पहले ही काफी ऊंची है. आयात शुल्क से लेकर जीएसटी तक, लक्जरी कारों पर सेस 22 फीसदी तक है. मेरा मानना है कि हमारा लक्ष्य क्षेत्र की वृद्धि को समर्थन देना और टैक्स घटाने का होना चाहिए. हमें इसका रास्ता ढूंढना चाहिए.
”हाई टैक्सेशन से लक्जरी कार बाजार प्रभावित
ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि लक्जरी कार बाजार अभी कोविड-19 की वजह से पैदा हुई अड़चनों से उबर रहा है. आगे क्षेत्र के लिए काफी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा, ”एक चुनौती निश्चित रूप से लक्जरी कारों पर हाई टैक्सेशन की है. यह एक चुनौती है कि क्योंकि इसकी वजह से देश का लक्जरी कार बाजार कुल वाहन बाजार के एक प्रतिशत पर बना हुआ है. पिछले साल यानी 2020 में यह संभवत: घटकर से 0.7 से 0.8 प्रतिशत रह गया है. हाई टैक्स सबसे बड़ी चुनौती है.”
लैम्बोर्गिनी इंडिया के प्रमुख शरद अग्रवाल ने कहा कि सुपर लक्जरी खंड को सरकार से निरंतरता कायम रखने की उम्मीद है. इस खंड को 2020 में काफी नुकसान हुआ है. अग्रवाल ने कहा, ”हम चाहते हैं कि 2021 में यह क्षेत्र कम से कम 2019 के स्तर पर पहुंच जाए. हम अभी वृद्धि की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि यह क्षेत्र 2019 का स्तर हासिल कर ले. यदि लक्जरी कारों पर कर बढ़ता है, तो इस क्षेत्र पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.”
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