Monday, November 18, 2024
HomeTrending Nowसमायोजन की मांग को लेकर कोविड कर्मचारियों ने किया विधानसभा कूच

समायोजन की मांग को लेकर कोविड कर्मचारियों ने किया विधानसभा कूच

देहरादून, समायोजन की मांग को लेकर कोविड कर्मचारियों द्वारा विधानसभा कूच किया गया, कूच में शामिल होने के लिए करीब 150 कोविड कर्मचारी प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये थे। विभिन्न जिलों से आये यह कर्मचारी कोविड 19 कर्मचारी संघ के बैनर तले दोपहर 12 बजे से बन्नू स्कूल से विधानसभा की और बढ़े। समायोजन की मांग करते करते प्रगति विहार बैरियर के पास तक आये। यहां पहले से ही भारी पुलिस बल मौजूद थी।
पुलिस के रोकने पर कोविड कर्मचारी वही प्रगति विहार पर रोड़ पर बैठ गए। कर्मचारियों ने आरोप लगाया की बार बार स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी किसी प्रकार की कारवाई नहीं की जा रही। जिस पर कर्मचारियों को विवश होकर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है पर सरकार कोई सुध नहीं ले रही।

इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की लेकिन कर्मचारी लिखित में आश्वासन देने की बात पर अड़े रहे। काफ़ी समय बीत जाने पर सायं 4:30 बजे पुलिस प्रशासन दल बल के साथ कर्मचारियों को उठाने के लिए आयी फिर भी कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। जिस पर पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। भारी विरोध के बीच कर्मचारियों को बसों में भर कर धरना स्थल एकता विहार में छोड़ दिया गया।
विधान सभा कूच के दौरान उत्तरखंड समस्त कोविड 19 कर्मचारी यूनियन की जिलाध्यक्ष शर्मीला चौहान, मिथलेश बलूनी, धनवीर, राम निवास, संतोष राणा सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये कर्मचारी मौजूद रहे।

 

राज्य आंदोलनकारी संगठनों ने विधानसभा के बाहर दिया धरना, भू-कानून, चिन्हीकरण व मूल निवास जैसे मुद्दों पर सीएम को भेजा ज्ञापन

May be an image of 2 people, temple and text

देहरादून, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद एवं विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर एक विधानसभा के समक्ष दिवसीय धरना दिया गया। इस मौके पर अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया।
धरने में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया गया तो भविष्य में आंदोलनकारी संगठनों को सड़कों पर उतर कर संघर्ष का बिगुल फूंकना पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि शीघ्र अति शीघ्र सरकार को राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए तथा राज्य आंदोलन की गंभीरता को समझते हुए नीतिगत निर्णय लेना चाहिए।

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें :

+चिन्हीकरण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
+धारा 371 लागू की जाए।
+भू कानून लागू किया जाए।
+मूल निवास लागू किया जाए। +राज्य आंदोलनकारियों के लिए एक समान पेंशन लागू हो

धरने में शामिल होने वालों में मुख्य रूप से उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गोसाईं,
प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल, जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार, उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष जबर सिंह पावेल, उपाध्यक्ष लोक बहादुर थापा,
उत्तराखंड महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट, विमला रावत, संगीता रावत, सत्या पोखरियाल, पुष्पलता सिल्माना, जनवादी महिला समिति की ओर से नूरेसां अंसारी, शाकंभरी रावत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राजेंद्र पुरोहित, अनंत आकाश, प्रेम सिंह नेगी, जगमोहन रावत के अलावा बालेश बवानिया, धर्मानंद भट्ट, प्रभात डंडरियाल लखन चिलवाल, द्वारिका डिमरी, कुसुम बिष्ट, गोदांबरी भट्ट, देवेश्वरी गोसाईं ,कल्पेश्वरी नेगी व बीना कुकरेती आदि भारी संख्या में उपस्थित रहे।

 

देवभूमि विचार मंच द्वारा “स्व” विषय पर एक विचारगोष्ठी का किया आयोजन

स्व" पर सफल गोष्ठी का आयोजन | Chanakya Mantra

देहरादून, दून लाइब्रेरी में देवभूमि विचार मंच द्वारा “स्व” विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। विचारगोष्ठी के आरम्भ में “कुली बेगार आंदोलन उत्तराखंड की रक्तहीन क्रांति”, व “75 उत्तराखंड स्वराज” नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। पुस्तकों का विमोचन पद्मश्री सम्मानित कल्याण सिंह रावत, मुख्यवक्ता विकास, प्रज्ञाप्रवाह के क्षेत्रीय समन्वयक भगवती प्रसाद राघव द्वारा किया गया। “देवभूमि विचारमंच उत्तराखंड” के अंतर्गत आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित उक्त पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है।
वर्ष 2015 में स्थापित देवभूमि विचारमंच उत्तराखंड राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अंतर्गत प्रज्ञा प्रवाह की उत्तराखंड इकाई के रूप में राष्ट्रीय चिंतन से जुड़े विचारवान लोगों को मंच है जो राष्ट्रीय चिंतन में जनभागीदारी को बढ़ाता है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में उत्तराखंड की रक्त हीन क्रांति के नाम से विख्यात “कुली बेगार आंदोलन” के 100 वर्ष पूर्ण होने पर उक्त आंदोलन से जुड़े तथ्यों को रवि कुमार जोशी व डॉ अंजलि वर्मा के संपादन में तैयार किया गया है। वहीँ “75 उत्तराखंड स्वराज” पुस्तक का संपादन डॉ रवि दीक्षित द्वारा किया गया। उक्त पुस्तक में तत्कालीन उत्तराखंड क्षेत्र से स्वतंत्रता आंदोलन में संघर्ष की भूमिका में रहे नायकों व उनके कार्यों का विभिन्न लेखकों द्वारा लेखनीबद्ध किया गया है। उक्त दोनों पुस्तकों की प्रस्तावना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अंतर्गत प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय सयोंजक प्रमुख जे नन्द कुमार द्वारा लिखी गयी है।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब वर्ष 1922 में असहयोग आंदोलन जैसा बड़ा आंदोलन आपने लक्ष्य को पाने में असफल साबित हुआ उस दौरान सुदूर पर्वतीय क्षेत्र उत्तराखंड के जनमानस द्वारा कुमायूं केसरी बदरी दत्त पांडे के नेतृत्व में “कुली बेगार” जैसी अमनवीय प्रथा के विरुद्ध संघर्ष कर 1929 में बागेश्वर में सरयू व गोमती के संगम में ब्रिटिश शासकों के कुली बेगार से सम्बंधित रजिस्टरों को नदी में प्रवाहित कर इस कुप्रथा को सदा के लिये समाप्त कर दिया था। उत्तराखंड के आम जन के इस अहिंसक आंदोलन को महात्मा गाँधी द्वारा यंग इण्डिया नामक पत्रिका में रक्तहीन क्रांति नाम दिया गया था।
“75 उत्तराखंड स्वराज ” पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम को “स्व ” के दृष्टिकोण से समझाने का प्रयास करती है।
आंदोलन के दौरान औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा राजनितिक, आर्थिक, व धार्मिक शोषण भारतीय स्व के विचार को कमजोर करने की दिशा में ही किये गये थे।
स्वतंत्रता के लिए चले लंबे संघर्ष के दौरान स्व के विचार की लड़ाई को भी लड़ा है। श्री अरविंद महात्मा गांधी व अनेक महापुरुषों ने स्वधर्म,स्वराज व स्वदेशी इस सामाजिक दर्शन को भी देशवासियों के समक्ष प्रस्तुत किया।

देवभूमि विचारमंच द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्यवक्ता विकास सारस्वत ने “स्व” से सम्बंधित विषय पर विचार रखते हुये कहा कि इस्लामी आक्रन्ता व यूरोपी उपनिवेशवाद के कारण भारतीयता का प्रकटिकरण प्रभाव से प्रेरित हो गया। परन्तु वर्तमान में स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद जब चार पीढ़ियां जा चुकी है तब आवश्यकता है कि हम अपने स्वंम बोध या स्व भाव से साक्षत्कार करें। आज आवश्यकता है कि हम भारतीयता के उन मूल तत्व साधनवृत्ति, धर्मपरायंता, बहूलता वाद ,और उसी से जनित साहिनुषता, सह अस्तित्व व बंधुत्व जैसी भारतीयता की विशिष्टताओं का महत्व समझ सके।

अपने उद्धबोधन में पर्यावरण प्रेमी पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने पराधीनता के दौर में उत्तराखंड में कुली बेगार प्रथा से जुड़े अनेक विषयो पर विस्तार से चर्चा रखते हुये वृक्षारोपण हेतु मैती आंदोलन को लोकपरम्परा के रूप में स्थापित करने के प्रयासों पर विचार रखे। साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग के दुसप्रभावों पर भी प्रकाश डाला। वृक्षारोपण के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग के दुसप्रभावों से पृथ्वी को कैसे बचाया जा सकता इस पर भी विस्तार से अपनी बात रखी।

कार्यक्रम में डॉ रवि शरण दीक्षित, डॉ अंजलि वर्मा, रवि जोशी, कुलदीप सिंह राणा, डॉ रीना कुलश्रेष्ठ, कृष्ण चंद्र मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

 

लेह से मनाली तक 428 किमी अनुराग सैनी की शानदार यात्रा, वीरों को रही समर्पितMay be an image of 2 people and people studying

देहरादून, मानव सहिष्णुता और अथक समर्पण को लेकर अनुराग सैनी ने लेह से मनाली तक 428 किलोमीटर की दौड़ को पूरा किया। अपनी इस अद्वितीय यात्रा के संस्मरण को लेकर अनुराग सैनी स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू हुये, उन्होंने कहा कि मेरी यात्रा 27 अगस्त से शुरू हुई और एक सितंबर समाप्त हुई, यह यात्रा ‘भारत के वीर’ सैनिकों को समर्पित रही |
श्री अनुराग ने कहा कि यह यात्रा गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की छूट के बावजूद कई लोगों के दिलों में एक अद्वितीय रिकॉर्ड कर गई | सहिष्णुता और संकल्पना के परिपेक्ष में यात्रा भारत के वीर की भावना को दोहराते हुये उनके परिवारों का समर्थन करती है।
उन्होंने कहा कि इस महान उपलब्धि के पीछे छुपे थे कई अद्वितीय व्यक्तियों का समर्थन और समर्पण भी रहा जिसमें अनिल मोहन ने यात्रा की मजबूती की मूल आधारशिला रखी, श्री अनिल मोहन, सारमंग एडवेंचर टूर्स के प्रतिनिधित्व करते हुए सिर्फ एक आयोजक नहीं बल्कि उनकी विशेषज्ञता, समर्पण और अथक समर्थन ने इस उपलब्धि को संभव बनाया।

श्री अनुराग सैनी ने कहा कि
डॉक्टर करणैल सिंह और बालबिंदर कौर, लखनऊ से आने वाले डायनामिक पति-पत्नी युगल और यात्रिगण, इस अपने आद्यात्मिक यात्रा में अनमोल साथी रहे। उनका समर्थन और साथीपन ने सबसे कठिन टेरेन के माध्यम से आत्मा को प्रेरित किया और चुनौतियों को पार करने में टीमवर्क की ताक़त का परिचय दिया।
इस आश्चर्यजनक यात्रा के दौरान, अनुराग सैनी और उसकी समर्पित टीम ने समर्पित करने के लिए लगभग 30,000 रुपये एकत्र किए, ‘भारत के वीर’ कॉज को समर्थन देने के लिए, 6 सितंबर 2023, इस राशि को आधिकारिक रूप से दान कर
दिया गया।

इस यात्रा का महत्व एक व्यक्तिगत उपलब्धि से बढ़कर था। यह हमारे राष्ट्र के प्रगति में हर बड़े कार्य के प्रति हर छोटे कदम के योगदान को याद दिलाता है। अनुराग सैनी ने भविष्य की यात्राओं के लिए भी समाजजन कार्यों के लिए अपने समर्पण को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम राष्ट्रीय प्रगति के लिए मिलकर काम करें। हमें जो कुछ भी कर सकते हैं, वो भी हो, बिना सोचे कि इसका प्रभाव होगा या नहीं, क्योंकि छोटी प्रगति भी प्रगति होती है। मिलकर, हम एक बदलाव कर सकते हैं।”

श्री अनुराग सैनी की अदम्य भावना, ‘भारत के वीर’ के प्रति उनके समर्पण, और हमारे समाज के उन्नति के लिए उनके अथक समर्थन की श्रद्धांजलि के रूप में है। उनकी यात्रा सबके लिए प्रेरणा है, जो एक उच्च कॉज के सेवन में मानव संकल्प की ताक़त को प्रदर्शित करती है।

 

गोर्खाली हरितालिका तीज उत्सव का 10 सितम्बर को होगा आयोजन, अंतर्राष्ट्रीय नायिका रिंतु कण्डेल भी देगी अपनी प्रस्तुति

No photo description available.

देहरादून, हरितालिका तीज सम्पूर्ण विश्व में रहने वाले हिंदु समाज में मनाया जाने वाला एक पवित्र धार्मिक पर्व है। अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली एवं पति की दीर्घायु, सौभाग्य कल्याण के साथ साथ परिवार में सुख-शांति हेतु हिंदु नारियों द्वारा मांगलिक अनुष्ठान के रूप में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव कमेटी इस उत्सव को मेले के रूप में विगत 17 वर्षो से भव्य रूप से मनाती आ रही है।
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुखातिब होते हुये गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती ज्योति कोटिया ने बताया कि इस वर्ष भी रविवार 10 सितम्बर रविवार को गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव मेला-2023 भव्य रूप में आयोजित कर रही है। इस आयोजन को सफल बनाने हेतु तीज उत्सव कमेटी के सदस्य प्रचार-प्रसार एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी में एकजुट होकर लगे हुए है।

श्रीमती ज्योति कोटिया ने कहा कि इस समारोह के मुख्य आकर्षक तीज क्वीन, तीज प्रिंसेस प्रतियोगिताएँ, वृद्धा नारियों एंव प्रतिभाओं का सम्मान के साथ गोर्खाली व्यंजनों के स्टाल एवं गोर्खाली परिधान गहनों एवं अन्य स्टाल भी आकर्षण का केंन्द्र रहेंगे।

पत्रकारों सू रूबरू होते संस्था की मीडिया प्रभारी प्रभा शाह ने अवगत कराया कि सांस्कृतिक लोकगीत एवं लोक नृत्य तीज पर्व की आत्मा है। इसी परम्परा के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा अपनी संस्कृति, परम्परा एवं भाषा को लोकनृत्यों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया है। इस उत्सव मेले में सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए कलाकार मंच पर अपनी बेमिसाल लोक संस्कृति की सतरंगी छटा बिखेरेंगे।

इसके साथ ही नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय नायिका रिंतु कण्डेल एवं नायिका नीतु कोईराल इस मेले में अपनी बेमिसाल रंगारंग प्रस्तुतियां देंगे | उत्सव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, काबीना मंत्रीयगणेश जोशी, हंस फाउंडेशन के संस्थापक परम पूज्यनीय माता मंगला और श्री भोले महाराज, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण एवं गणमान्यजनों एवं वरिष्ठजनों को सादर आमंत्रित किया गया है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments