Tuesday, November 26, 2024
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एआरटीओ का भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा गया, रजिस्ट्रेशन कराने के लिये मांगे थे 2200 रुपये

रामनगर, वैसे तो उत्तराखंड़ के किसी संभागीय परिवहन कार्यालय में बिना लिये दिये कार्य करवाना बड़ी दूर की कौड़ी नजर आती है, शुक्रवार को जनपद के एआरटीओ कार्यालय में उस समय बाद हड़कंप मच गया, जब ​विजीलैंस की टीम ने एआरटीओ कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। टीम ने करीब तीन घंटे एआरटीओ कार्यालय में जांच पड़ताल की। जिसके चलते यहां अफरातफरी का माहौल बना रहा। मामले की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि छापेमारी के बाद खुद एआरटीओ का मोबाइल स्विच हो गया।
जानकारी के मुताबिक एआरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि बिना दलाल अथवा भेंट पूजा के कोई भी काम संभव नहीं है। ऐसे में एक ई रिक्शा रजिस्ट्रेशन कराने की एवज में 2200 रुपये रिश्वत मांगने पर ई रिक्शा संचालक ने रिश्वतखोर प्रशासनिक अ​धिकारी ललित मोहन आर्या को रिश्वत नहीं देना चाहता था। शिकायकर्ता ने रिश्वतखोर प्रशासनिक अधिकारी ललित मोहन आर्या को सबक सिखाने की ठानते हुए भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी के ​खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मंशा से सर्तकता अ​धिष्ठान सैक्टर हल्द्वानी में इसकी शिकायत कर दी। जहां गोपनीय जांच किये जाने पर प्रथम दृष्टया आरोप सही पाये जाने पर तत्काल ट्रैप टीम का गठन किया। विजीलैंस की टीम सीओ अनिल मनराल के नेतृत्व में शुक्रवार दोपहर को एक ​शिकायत पर एआरटीओ कार्यालय पहुंची। जहां टीम ने मौके पर प्रशासनिक अ​धिकारी ललित मोहन आर्या को ई रिक्शा रजिस्ट्रेशन कराने की एवज में प्रति फाइल 22 सौ रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा।
विजीलैंस टीम की छापेमारी के बाद कार्यालय में हड़कंप मच गया। एआरटीओ कार्यालय के बाहर अफरा-तफरी मची रही है। वहीं एआरटीओ के दलाल काम बंद कर भागते हुए दिखाई दिये। दूसरी ओर इस मामले में एआरटीओ संदीप वर्मा से संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उनका मोबाइल बंद था। इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अ​धिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर अग्रिम जांच शुरू हो गई है। निदेशक सतर्कता ने ट्रैप टीम को नकद पुरस्कार की घोषणा की गई है।

बता दें कि एआरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर बीते दिनों खुद मुख्यमंत्री धामी ने इस कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। लेकिन खुद सीएम के दिलचस्पी लिए जाने के बाद भी इस विभाग के अधिकारियों के हौंसले इतने बुलंद थे कि खुलेआम रिश्वत की मांग की जा रही थी।

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