देहरादून, राज्य के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुश्किलें बढ़ गई है। विजिलेंस कोर्ट में कैबिनेट मंत्री जोशी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद अब आगामी 19 अक्टूबर को सुनवाई होगी। कैबिनेट के पास अनुमति देने के लिए राज्य मंत्रिमंडल के पास आगामी 8 अक्टूबर तक का समय है।
यह मामला विजिलेंस ने विगत 8 जुलाई को मंत्री परिषद को भेजा था। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर निर्धारित तीन माह की अवधि के अंदर उत्तराखण्ड कैबिनेट को मुकदमा चलाने की स्वीकृति के संबंध में निर्णय लेना है। विजिलेंस कोर्ट ने मंत्री परिषद द्वारा लिये गये निर्णय से न्यायालय को भी अवगत कराने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब आगामी 19 अक्टूबर को होगी।
पुलिस अधीक्षक सतर्कता की आख्या का उल्लेख करते हुए विशेष न्यायाधीश सतर्कता ने गत दिवस जारी आदेश में कहा है कि भारतीय संविधान के अनुसार मंत्री परिषद, कार्य पालिका के संबंध में निर्णय लेने के लिए सर्वोच्च संस्था है। ऐसे में यदि कोई मामला किसी लोक सेवक के सम्बन्ध में निर्णय हेतु कार्य पालिका की सर्वोच्च संस्था के समक्ष विचाराधीन हो, तो किसी न्यायालय को निर्धारित समयावधि से पूर्व कोई आदेश पारित करना न्यायासंगत नहीं होगा। कहा गया कि, यह सही है कि वर्तमान मामला धारा-17ए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अन्तर्गत विश्लेषित किया जाना है, लेकिन यदि अब धारा-17 ए से पूर्व धारा-19 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय के डा.सुब्रहामण्यम स्वामी बनाम डा.मनमोहन सिंह व अन्य, एआईआर,2012 सुप्रीम कोर्ट, पेज-1185 के निर्णय का परिशीलन किया जाय तो मा.सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में किसी भी अभियोजन स्वीकृति के लिए तीन माह की समयावधि नियत की गई है।ऐसी स्थिति में इस न्यायालय के मत में मामला मंत्री परिषद को भेजे जाने का पत्र 8 जुलाई 2024, जो पत्रावली पर कागज संख्या-8क/2 है, के आलोक में विगत 8 जुलाई 2024 से तीन माह की समयावधि यानि आगामी 8 अक्टूबर तक इस मामले में मंत्री परिषद के निर्णय का इन्तजार किया जाना न्यायोचित है।
उल्लेखनीय है कि आरटीआई कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता विकेश नेगी ने विगत मार्च में भाजपा सरकार में कृषि, उद्यान एवं सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी की कथित आय से अधिक सम्पत्ति का ब्यौरा देते हुए विजिलेंस में शिकायत की थी। यही नहीं दून में सैन्यधाम निर्माण में कथित गड़बड़ियों को लेकर भी विजिलेंस, प्रधानमंत्री कार्यालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो को भी शिकायत की गई थी।
ज्ञातव्य है कि विगत 24/25 जुलाई को जिला प्रशासन देहरादून ने पुलिस की आख्या पर अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता विकेश नेगी पर गुंडा एक्ट लगाकर छह माह के लिए जिलाबदर कर दिया था, तत्पश्चात नेगी की याचिका पर गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जिलाधिकारी के जिलाबदर के आदेश को विगत दिनों निरस्त कर दिया। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में विजिलेंस द्वारा मांगी गई अनुमति के संबंध में मंत्री परिषद कब तक फैसला लेती है। यह देखने वाली बात होगी।
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