• चौथी कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स को प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिये तराशने के लिये ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ने का तरीका पेश किया
• अभी देहरादून मे 1 सेंटर चल रहा है
• इस साल 200 शहरों में 500 सेंटर्स खोलने का लक्ष्य
• देशभर में 10,000 से भी ज्यादा नौकरियां तैयार करने की उम्मीद
• अगले दो सालों में 10 लाख विद्यार्थियों का नामांकन करने का लक्ष्य
देहरादून, दुनिया की प्रमुख एडटेक कंपनी जिसके 11.5 करोड़ रजिस्टर्ड लर्नर्स हैं, ने आज देहरादून में अपने ‘बायजूस ट्यूशन सेंटर’ के शुभारंभ की घोषणा की। यह विद्यार्थियों के लिये अपनी तरह का अनूठा प्रोग्राम है जोकि अपने साथ ऑफलाइन और ऑनलाइन लर्निंग अनुभव का सबसे बेहतर अनुभव लेकर आया है। देहरादून में अभी वर्क फूड एंड एंटरटेनमेन्ट सिटी क्लॉक टावर में 1 बायजूस ट्यूशन सेंटर संचालित हो रहा है। हम इस साल के अंत तक 3 सेंटर्स खोलने की उम्मीद कर रहे हैं।
चौथी से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिये उपलब्ध, ‘बायजूस ट्यूशन सेंटर्स’ तकनीक से लैस आस-पास के फिजिकल ट्यूशन सेंटर्स हैं जहां दो टीचर मॉडल की व्यवस्था है। ये सेंटर्स स्टूडेंट्स को भागीदारी और बेहतर परिणामों के साथ विश्व-स्तरीय पढ़ाई का अनुभव देते हैं।
पायलट कार्यक्रम के तहत, देश भर में शुरू किए गए पहले 100 सेंटर्स से मिली काफी अच्छी प्रतिक्रिया के बाद, बायजूस 2022 में 200 शहरों में 500 सेंटर्स लॉन्च करेगा। ‘बायजूस ट्यूशन सेंटर’ ना केवल अपने संपूर्ण टीचिंग और लर्निंग सिस्टम के साथ स्कूल के बाद की लर्निंग को पुन:परिभाषित करेगा, बल्कि एक साल के भीतर पूरे भारत में 10,000 से अधिक लोगों के लिये रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। बायजूस का लक्ष्य अगले दो वर्षों में 10 लाख स्टूडेंट्स को इस प्रोग्राम में नामांकित करना है।
‘बायजूस ट्यूशन सेंटर’ सबसे बेहतर तकनीक, टीचर्स और फॉर्मेट का मेल है ताकि स्टूडेंट्स को पढ़ाई का एक संपूर्ण और प्रभावी अनुभव मिल सके। पढ़ाने का मानकीकृत तरीका पढ़ाई का बेहतरीन अनुभव देने के साथ अध्यापकों के साथ एक गहरा रिश्ता बनाता है, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं। तकनीक और फीचर्स जैसे शंका दूर करने में सहयोग, नियमित टेस्ट/प्रैक्टिस सेशन और लगातार पेरेंट- टीचर मीटिंग के साथ, विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाले अध्यापकों तक पहुंच और व्यक्तिगत ध्यान दोनों का फायदा मिलता है ।
लॉन्च के बारे में अपनी बात रखते हुए, हिमांशु बजाज, हेड, बायजूस ट्यूशन सेंटर का कहना है, “देहरादून में बायजूस ट्यूशन सेंटर के लॉन्च की घोषणा करते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। यह सेंटर देशभर में हमारे विद्यार्थियों की जरूरतों को संबोधित करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को व्यक्तिगत, भागीदारीपूर्ण और विशिष्ट रूप से निर्मित करने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इस महामारी को देखते हए, विद्यार्थी ऑफलाइन और ऑनलाइन लर्निंग के बीच झूल रहे हैं, लेकिन बायजूस की यह नई पेशकश, देशभर में विद्यार्थियों और अभिभावकों की मुश्किल समस्या का हल निकालेगा। बायजूस का ट्यूशन सेंटर्स व्यक्तिगत रूप से पढ़ने की दिशा में अगला कदम है। इससे स्टूडेंट्स को मिलेगा 1) तकनीक से लैस फिजिकल सेंटर्स पर दो-टीचर मॉडल, 2) अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच व्यक्तिगत संबंध जो तरक्की और प्रदर्शन के आकलन के लिये एनालिटिक्स-नेतृत्व से समर्थित है और 3) बायजूस की ऑनलाइन व्यवस्था तक पहुंच। छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, हमें उम्मीद है कि यह नई पेशकश एक मिसाल बनेगी और छात्रों को भविष्य के लिये तैयार करने में बड़े पैमाने पर सफलता हासिल करेगी। एक अग्रगामी और अनूठा अकादमिक माहौल तैयार होगा।”
बायजूस ट्यूशन सेंटर स्टूडेंट्स को लर्निंग के उस फर्क को मिटाने, वैचारिक समझ को मजबूत करने और परीक्षा की तैयारी सुनिश्चित करने वाले नियमित प्रैक्टिस और टेस्ट के माध्यम से लर्निंग को सुदृढ़ करने में सक्षम बनाता है। स्टूडेंट्स के पास उनकी ऑफलाइन और ऑनलाइन कक्षाओं के लिये भी वही अध्यापक होंगे जो उनकी व्यक्तिगत पढ़ाई के सफर में उनका सहयोग करेंगे।
मौजूदा स्थिति की गति से कदम से कदम मिलाते हुए और लर्नर्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, बायजूस इस लॉन्च के साथ अपने छात्र-केंद्रित तरीकों को पुष्ट कर रहा है और नए और अनूठे अनुभव, प्रोडक्ट्स और सेवाएं तैयार कर रहा है। लर्निंग का मिश्रित रूप महामारी के बाद की दुनिया में पढ़ाई का भविष्य होने वाला है, ऐसे में बायजूस ट्यूशन सेंटर इस फॉर्मेट में नई मिसालें कायम कर रहा है।
अवादा फाउंडेशन द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत छात्र विकास कार्यक्रम का आयोजन
ऋषिकेश। अवादा फाउंडेशन ने राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हुए विद्यार्थियों में नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों का बीजारोपण करने के लिए और बच्चों में छोटी उम्र से ही भारतीय संस्कारों के बीज बोकर उन्हें भारतीय परंपराओं और संस्कृति से जोड़े रखने के लिए ‘छात्र विकास कार्यक्रम ‘ का ऋषिकेश के दस स्कूलों में आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अवादा फाउंडेशन की ट्रस्टी रीतू पटवारी ने फाउंडेशन के चेयरमैन श्री विनीत मित्तल जी की इस धारणा का उल्लेख किया कि अपने अच्छे कार्यों के द्वारा ही मनुष्य अपने माता पिता, समाज एवं संस्कृति, संतों एवं ऋषि मुनियों एवं प्रकृति का ऋण चुका सकता है।
अवादा फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को अपने सपनों को उड़ान देकर चैंपियन बनने की कला को विभिन्न एक्टिविटीज और प्रोजेक्टर प्रेजेंटेशन के साथ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मोटिवेशनल स्पीकर डॉक्टर अरुण भारद्वाज ने अनुसंधान और साक्ष्य आधारित कार्यक्रम के द्वारा विद्यार्थियों को सीखने का दायरा बढ़ाने के लिए अनुभवात्मक गतिविधियों पर जोर दिया।
उन्होंने प्राचीन ज्ञान और आधुनिक अनुसंधान के अनूठे मिश्रण द्वारा विद्यार्थियों की मानवीय क्षमता को ऋषिकेश के दस स्कूलों में अपने कार्यक्रमों के माध्यम से सक्रिय किया।
कार्यक्रम में डॉक्टर भारद्वाज ने नमस्ते के अर्थ की वैज्ञानिक विवेचना करते हुए विद्यार्थियों से भारतीय संस्कृति की अभिवादन की नमस्ते करने की परंपरा को अपनाने का आह्वान किया।इसी कड़ी में उन्होंने भारतीय संस्कृति की और भी परंपराओं की वैज्ञानिक विवेचन की तथा विद्यार्थियों को आध्यात्मिक ग्रंथ देकर सम्मानित किया।
सरस्वती विद्या मंदिर, मॉडर्न स्कूल, जीजीआईसी ऋषिकेश, आ पीएस, दिल्ली पब्लिक स्कूल, एन डी एस, निर्मल ज्ञान दान एकेडमी, दून इंटरनेशन,भरत मंदिर इंटर कॉलेज, डी एस बी इंटरनेशनल स्कूल में विद्यार्थियों के लिए अलग अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने बताया रेकिट किस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था और समुदायों की मदद कर रहा है
देहरादून, ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने आज रेकिट बेंकाइज़र ग्रुप पीएलसी (“रेकिट”) द्वारा भारत में किए गए आर्थिक योगदान से जुड़ा अपना स्वतंत्र एनालिसिस प्रकाशित किया है। बता दें कि भारत दुनिया भर में रेकिट के शीर्ष तीन बाजारों में से एक है। हेल्थ, हाइजीन और न्यूट्रिशन प्रोडक्ट के क्षेत्र में दुनिया की दिग्गज कंपनी, रेकिट ने 2021 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कुल 788 करोड़ रुपये (77.5 करोड़ पाउण्ड) का योगदान दिया है।
यह रिपोर्ट तीन प्रमुख बिंदुओं पर भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के लिए रेकिट के प्रयासों का आकलन करती है, ये तीन बिंदु हैं 2021 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), रोजगार और सरकारी प्राप्तियां।
रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
उच्च जीडीपी मल्टीप्लायर – रेकिट का जीडीपी मल्टीप्लायर 2.5 है। यह भारत में एक आम कैमिकल एवं फार्मा निर्माता कंपनी की तुलना में लगभग दोगुना है। इसका मतलब है कि 2021 में जीडीपी में रेकिट द्वारा जेनरेट किए गए प्रत्येक 10 लाख रुपये के लिए, कच्चे माल और मजदूरी पर इसके खर्च ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 15 लाख रुपये की वृद्धि की है।
सहायक आपूर्ति श्रृंखला – रेकिट की स्थानीय खरीद का 95% से अधिक भारत के सप्लायर्स से खरीदा जाता है।
रोजगार को बढ़ावा – भारत में रेकिट का इंप्लॉयमेंट मल्टीप्लायर 21 है, जो राष्ट्रीय औसत का लगभग 6 गुना है।
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के सीईओ एड्रियन कूपर ने कहा, “हमारी रिसर्च उस बड़े योगदान पर प्रकाश डालती है जो रेकिट जैसी बड़ी और सफल ग्लोबल कंपनी भारतीय अर्थव्यवस्था में कर सकती है; जैसे कि रोजगार के अवसर पैदा करना, पब्लिक हेल्थ को बेहतर बनाना और देश भर में सामाजिक विकास को रफ्तार देना आदि। “रेकिट ने स्थानीय आबादी को सबसे बेहतर हाइजीन, वेलफेयर और न्यूट्रिशन उपलब्ध कराने के लिए समाज में अपनी पहुंच को और बेहतर बनाने में भी निवेश किया है।”
रिपोर्ट भारत में बड़े पैमाने पर सामाजिक विकास लाने में रेकिट के योगदान के बारे में बात करती है। रिपोर्ट में रेकिट की रिसर्च एवं डेवलपमेंट (आर एंड डी) से जुड़ी पहल, अपने कर्मचारियों के कौशल को और बेहतर बनाने तथा स्त्री एवं पुरुष दोनों को समान अवसर प्रदान करने की कोशिश करने, और इसके साथ ही स्थानीय समाज को सेहतमंद और स्वच्छ जीवन जीने में मदद करना शामिल है।
रेकिट के सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन ने कहा कि: “हमें भारत में अपनी गहराई तक जमी मजबूत जड़ों और यहां मौजूद दुनिया के सबसे बेहतरीन आरएंडडी एवं आईटी केंद्रों पर बहुत गर्व है। भारत हमारे कारोबार के लिए प्रतिभा का एक बड़ा स्रोत है और स्थानीय सप्लाई चेन हमारी सफलता की अहम कुंजी है। सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कैम्पेन के अनुरूप, रेकिट की स्थानीय खरीद का 95% भारतीय सप्लायर्स की ओर से आता है।”
रेकिट के दक्षिण एशिया SVP गौरव जैन ने कहा कि: “रेकिट 1934 से भारतीय परिवारों का अभिन्न अंग रहा है। हमें भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने में बेहद खुशी हो रही है। ऑक्सफोर्ड का यह स्वतंत्र एनालिसिस भारत में मजबूत विरासत के निर्माण को लेकर हमारी कोशिशों को प्रदर्शित करता है। हम आने वाले वर्षों में भारत के आर्थिक विकास, रोजगार के अवसरों और सामाजिक चुनौतियों को हल करने में मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।”
रेकिट सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), इंडस्ट्री एसोसिएशन और अन्य संगठनों के साथ साझेदारी कर रहा है। भारत में इसके प्रमुख सोशल इंपेक्ट प्रोग्राम इस प्रकार हैं:
• डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया कैम्पेन, हेल्थ और हाइजीन को लेकर लोगों की आदतों सुधार लाने की दिशा में काम करता है, 2014 में शुरू हुआ यह कैम्पेन 116 मिलियन लोगों तक पहुंचा है।
• डेटॉल स्कूल हाइजीन एजुकेशन प्रोग्राम, बच्चों में हाथ धोने जैसी सफाई की आदतें विकसित करता है। यह प्रोग्राम अब तक घर, स्कूल, पास पड़ोस की स्वच्छता, खुद की साफ सफाई और बीमारी के दौरान स्वच्छता जैसे हाईजीन के पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर 2 करोड़ बच्चों को शिक्षित कर चुका है।
• रीच ईच चाइल्ड प्रोग्राम ने 6,500 बच्चों को मौत और कुपोषण से होने वाली बीमारी से बचाया है।
• हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज प्रोग्राम, भारत के सफाई कर्मचारियों को आर्थिक रूप से समृद्धि बनाने, इज्जत देने और काम का सुरक्षित माहौल प्रदान करने की दिशा में काम करता है, यह प्रोग्राम अब तक 15,800 से अधिक श्रमिकों को प्रशिक्षित कर चुका है।
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