Friday, November 22, 2024
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ब्रैकिंग : अदालत ने केजरीवाल को 6 दिन की ईडी रिमांड पर भेजा

नई दिल्ली, दिल्ली शराब नीति केस में कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक (6 दिन) की ईडी रिमांड पर भेज दिया है। इससे पहले 3 घंटे सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था।केजरीवाल को शुक्रवार दोपहर 2 बजे राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया।जहां दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें अदालत के सामने पेश की।
ईडी ने अदालत से केजरीवाल को इस मामले का मास्टर माइंड बताते हुए उनकी 10 दिन की रिमांड मांगी थी। ईडी के अनुसार केजरीवाल दिल्ली शराब नीति को बनाने में सीधे तौर पर शामिल थे। दो बार कैश ट्रांसफर किया गया। पहले 10 करोड़ और फिर 15 करोड़ दिए गए। केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनाव के लिए फंडिंग चाहते थे। गोवा चुनाव में 45 करोड़ रुपए इस्तेमाल हुआ।
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ED के पास सब कुछ है, तो गिरफ्तारी की जरूरत क्यों पड़ी? 80% लोगों ने केजरीवाल का नाम नहीं बताया। उन्होंने यह भी नहीं कहा कि वे उनसे कभी मिले भी थे।

 

पीएमएलए तहत हुई अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, क्यों नहीं मिलती आसानी से बेल…?

ED ने जिस PMLA में Arvind Kejriwal को किया अरेस्ट, उसमें क्यों नहीं मिलती आसानी से बेल? - ED arrested Arvind Kejriwal in the PMLA case, why bail is not available easily? -
नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। ईडी की तरफ से विशेष पीएमएलए अदालत में पूछताछ के लिए उनकी 10 की रिमांड की मांग की गई। यह गिरफ्तारी केजरीवाल द्वारा जांच एजेंसी द्वारा जारी किए गए आठ समन का पालन करने से इनकार करने के बाद हुई है। दिल्ली के सीएम को ईडी ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया था।पीएमएलए के तहत जमानत क्यों मुश्किल माना जाता है ।

क्या है पीएमएलए कानून :

धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) से लड़ना है। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना।

पीएमएलए की धारा 45 :

वर्तमान सरकार ने 2018 में पीएमएलए में संशोधन किया, जिसके मद्देनजर धारा 45 के तहत जमानत के लिए दो सख्त शर्तें हैं। पहला, अदालत को यह मानना ​​होगा कि आरोपी दोषी नहीं है, और दूसरा, आरोपी का अपराध करने का कोई इरादा नहीं होना चाहिए। जमानत पर रहते हुए. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की शक्तियों को बरकरार रखते हुए और 2018 में पीएमएलए अधिनियम में संशोधन करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक जघन्य अपराध है जो देश के सामाजिक और आर्थिक मामलों को प्रभावित करता है।

ईडी क्या करती है..?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय जिसे अंग्रेजी में इन्फोर्समैन डॉयरेक्टरेट यानी ईडी कहा जाता है भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है। ईडी प्रमुख तौर पर फेमा 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों जैसे हवाला, लेनदेन, फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग के मामलों की जांच करती है। ईडी विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार, विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के कब्जे से जुड़े मामले में जांच करता है।

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