Tuesday, June 24, 2025
HomeUncategorizedपंचायत चुनाव करवाना ही नहीं चाहती थी भाजपा : धस्माना

पंचायत चुनाव करवाना ही नहीं चाहती थी भाजपा : धस्माना

-रोस्टर से छेड़ छाड़ और प्रदेश में नौकरशाही ने बना दिया चुनी हुई सरकार को पंगु

-पंचायती राज अधिनियम की नियमावली का अता पता प्रदेश में किसी को नहीं : धस्माना

देहरादून, प्रदेश में 25 जून से शुरू होने वाली पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में रद्द करने पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि असलियत तो यह है कि प्रदेश की भाजपा सरकार राज्य में पंचायत चुनाव करवाना ही नहीं चाहती थी। उन्होंने कहा कि शुरू से ही सरकार चुनाव से भाग रही थी और हाई कोर्ट की लताड़ के बाद जब सरकार ने चुनाव करवाने की शुरुआत की तो उसमें जानबूझ कर एससी एसटी और ओबीसी आरक्षण का रोस्टर ही शून्य कर दिया जिसके कारण लोग कोर्ट गए और आज यह नौबत आई कि सरकार को चुनाव ही स्थगित करने पड़े।
उत्तराखंड में पंचायती राज मंत्री कौन है और पंचायती राज अधिनियम की नियमावली कहां और क्या है यह सवाल आज प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने राज्य की धामी सरकार से करते हुए प्रदेश सरकार पर जोरदार हमला बोला। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की नौकरशाही ने प्रदेश सरकार चला रहे राजनैतिक नेतृत्व को पंगु बना छोड़ा है जिसके कारण आए दिन सरकार की छीछालेदर होती है जिसे राज्य के पंचायती चुनावों को लेकर हो रही है। धस्माना ने कहा कि पहले तो सरकार ने पंचायत चुनाव समय पर ना करवा कर अपनी किरकिरी की फिर एक अजूबा किया कि जिला पंचायत अध्यक्षों ब्लॉक प्रमुखों व ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया और फिर दूसरी बार जब प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हुआ तो पंचायतों को कई दिनों तक लावारिस छोड़ कर अधिकारियों को प्रशासक बनाया और अब जब माननीय उच्च न्यायालय की लताड़ के बाद चुनाव करने का निर्णय लिया तो आरक्षण का रोस्टर ही शून्य करवा दिया जिससे पूरे प्रदेश में असंतोष और आक्रोश फैल गया जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। धस्माना ने कहा कि सोमवार को जब उच्च न्यायालय ने सरकार से सवाल किया कि पंचायत चुनाव की नियमावली कहां है तो सरकार ने हास्यास्पद जवाब देते हुए कहा कि नियमावली नोटिफाई हो गई किन्तु प्रेस वालों ने छापी नहीं। धस्माना ने कहा कि सरकार के जवाब से असंतुष्ट न्यायालय ने चुनाव पर रोक लगा दी। धस्माना ने कहा कि यह सरकार का दिमागी दिवालियापन है कि पूरे प्रदेश के लोगों को कोर्ट के स्टे के बाद अब जब नामांकन के लिए चौदह घंटे मात्र बचे हैं तब पता चल रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव रद्द कर दिए हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments