Wednesday, February 5, 2025
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आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा कर रहा है बीआईएस : सीएम

– भारतीय मानक ब्यूरो ने आयोजित किया मानक कार्निवल
– लगभग 2000 विद्यार्थियों ने की भागीदारी

देहरादून, भारतीय मानक ब्यूरो के 78वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज हाथीबड़कला स्थित सर्वे स्टेडियम में मानक कार्निवल का आयोजन किया गया। कार्निवल की थीम राष्ट्रीय खेलों के ग्रीन गेम्स पर रखी गई थी।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च मानव को तैयार कर भारत वैश्विक मापदंडों में खरा उतर रहा है और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। आईएसआई मार्क एक विश्वसनीयता का चिन्ह बन चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजमर्रा के जीवन के लिए मानकीकरण बेहद जरूरी है। उन्होंने मानक मेले में आए सभी विद्यार्थियों व उपस्थित लोगों को मानक शपथ भी दिलाई।
स्थानीय विधायक सविता कपूर ने कहा कि प्रदेश अपने रजत वर्ष में चल रहा है और यहां विकास के कार्य लगातार संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मानक मेले में बच्चों को सीखने को काफी मिलेगा और वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगे।
भारतीय मानक ब्यूरो की उप महानिदेशक स्नेहलता ने कहा कि बीआइएस का उद्देश्य उपभोक्ता संरक्षण करना तथा बच्चों को मानकों के प्रति जागरूक करना है। इस अवसर पर भारतीय मानक ब्यूरो देहरादून शाखा के निदेशक व प्रमुख सौरभ तिवारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानक निकाय के तौर पर बीआइएस लगातार राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे रहा है। स्टैंडर्ड क्लब के माध्यम से विद्यार्थियों को मानकों के विषय में जानकारी दी जाती है। इस अवसर पर खाद्य आयुक्त हरि चंद सेमवाल भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा विभिन्न विद्यालयों में स्थापित स्टैंडर्ड क्लब के लगभग 2000 विद्यार्थी शामिल रहे। उन्होंने न सिर्फ मानकों पर आधारित प्रदर्शनी लगाई बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इस दौरान लगभग 300 उद्योगों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। उद्योगों की तरफ से भी इसमें अपने विभिन्न उत्पादों को लेकर प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें खास तौर से मानकों के उपयोग को प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में मानकों के प्रति जागरूकता पैदा करना रहा। इसमें उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के 50 से अधिक विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भागीदारी की। बच्चों के लिए यहां विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया, उन्होंने इनका खूब आनन्द लिया।

 

बच्चों के अनुरोध पर वापस लौटे सीएम

देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज एक बार फिर अपने व्यवहार से बच्चों का दिल जीत लिया। अपने उद्बोधन के बाद जैसे ही मुख्यमंत्री जाने लगे तो कुछ बच्चों ने उनसे अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का अनुरोध किया। बच्चों का दिल रखने के लिए उन्होंने इसमें सहमति दी और प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद दोबारा कार्यक्रम देखने पहुंचे। उनकी इस सहृदयता को कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने काफी सराहा।

 

उत्तराखंड़ में छोड़ दी गयी खेती : सामाजिक और पारिस्थितिक चिंताएं विषय पर सम्मेलन

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (सिडार) संस्था के संयुक्त तत्वाधान में उत्तराखंड में छोड़ दी गयी खेती पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन केन्द्र के सभागार में किया गया। इस सम्मेलन में पहाड़ की परम्परागत खेती जो पलायन और अन्य कारणों से धीरे-धीरे छूटती जा रही है उसके सामाजिक और पारिस्थितिक चिंताओं पर मन्थन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और सामाजिक विचारकों ने भाग लिया।
पूर्व कुलपति व सामाजिक विज्ञानी प्रोफेसर बी.के. जोशी ने कृषि परित्याग के प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों का स्वागत कर इस तरह के सम्मेलन के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने पहाड़ ग्रामीण बस्तियाँ जो पलायन के कारण वीरान हो गई हैं जो बहुत चिन्ता की बात है। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने पहाड़ की सिमटती खेती से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं की पर गहनता से विचार किये जाने की बात कही। सम्मेलन में पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस.पी. सिंह ने व्यापक आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ की छूट रही खेती की समस्या को वैश्विक स्तर पर देखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इसके बाद, एक खुली चर्चा में प्रतिभगियों द्वारा प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। पहाड़ की छूट रही खेती की इस समस्या के कारकों में पर्यावरण क्षरण, मानव-वन्यजीव संघर्ष और आर्थिक संकट जैसे अनेक मुद्दों पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने छोड़ दी गई खेती के विविध पक्षों के लिए कार्य योजनाओं का सुझाव भी दिया।
वक्ताओं ने कहा कि गहरे भावनात्मक संबंधों के बावजूद सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक अक्सर लोगों को अपने मूल गांवों से दूर कर देते हैं। सम्मेलन में यह बात भी उभर कर आयी कि विश्वविद्यालय व सस्थानों के शोधकार्य प्रायः आम किसानों तक पहुंचने में असफल रहते हैं अतः अनुसंधान और कार्य के बीच एक सेतु की आवश्यकता है। इसके साथ ही सहयोगात्मक खेती से कृषि परिणामों में सुधार लाया जा सकता है। खेती को बढ़ावा देने के लिए युवा भागीदारी के जरिए जमीनी स्तर की संस्थाओं को वित्तीय प्रोत्साहन के साथ कृषि को एक व्यवहार्य कैरियर के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यही नहीं इस महत्व को सम़़़झते हुए स्कूलों और विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम में कृषि को शामिल करना चाहिए।
प्रतिभागी वक्ताओं ने इस कार्यक्रम में समाधान-उन्मुख चर्चाओं को बढ़ावा देनेा तथा उत्तराखंड के कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सहयोग को प्रोत्साहित करने के सुझाव भी दिये। सम्मेलन का संचालन प्रो. एस.पी. सती ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सिडार संस्था के डॉ. विशाल सिंह ने किया।
इस गोलमेज सम्मेलन में इको टास्क फोर्स के सदस्य लेफ्टिनेंट कर्नल विक्रम शर्मा और मेजर पराशराम दलवी सहित,डॉ. आर.पी. मंमगाईं , डॉ. एच सी. पुुरोहित, डॉ. प्रदीप मेहता, डॉ. राजेश नैथानी, चन्द्रशेखर तिवारी, प्रेम बहुखएडी डॉ. आर .एस .कोश्यारी, बिजू नेगी व अरिस्ता व सुंदर सिंह बिष्ट सहित अन्य लोग शामिल थे।

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