(पूरन चन्द्र काण्डपाल)
अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक समूह में रहकर देश हित में निष्पक्ष कलम चला रहा हूं | स्वास्थ्य शिक्षक होने के नाते कई वर्षों से नशामुक्ति अभियान से भी जुड़ा हूं और सैकड़ों लोगों को शराब, धूम्रपान, खैनी, गुट्का, तम्बाकू सहित इसके मिथ और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाने में मदद कर चुका हूं । एक टी वी चैनल पर मैंने इस बात को स्वीकारा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से भी किसी नशा-ग्रसित को नशामुक्त करने में मदद कर सकता है | इसमें क्रोध नहीं, विनम्रता की जरूरत है |
नशेड़ी नशे के दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ होता है | जिस दिन वह इसके घातक परिणाम को समझ जाएगा, वह नशा छोड़ देगा | कोई भी नशा हम मजाक-मजाक में दोस्तों से सीखते हैं फिर खरीद कर सेवन करने लगते हैं | अपना धन फूक कर स्वास्थ्य को जलाते हुए कैंसर जैसे लाइलाज रोग के शिकार हो जाते हैं | यदि आप किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं तो इसे तुरंत छोड़ें | अपने मनोबल को ललकारें और जेब में रखे हुए नशे को बाहर फैंक दें |
वर्ष 2004 में मेरी कविता संग्रह ‘स्मृति लहर’ लोकार्पित हुई | जनहित में जुड़ी देश की कई महिलाएं हमें प्रेरित करती हैं | ऐसी ही पांच प्रेरक महिलाओं – इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, किरन बेदी, बचेंद्री पाल और पी टी उषा पर इस पुस्तक में कविताएं हैं | पुस्तक भेंट करने जब में डा.किरन बेदी के पास झड़ोदाकलां दिल्ली पहुंचा तो उन्होंने बड़े आदर से पुस्तक स्वीकार करते हुए मुझे नव-ज्योति नशामुक्ति केंद्र सरायरोहिला दिल्ली में स्वैच्छिक सेवा की सलाह दी | मैं कुछ महीने तक सायं पांच बजे के बाद इस केंद्र में जाते रहा | मेडिकल कालेज पूने की तरह यहां भी बहुत कुछ देखा, सीखा और किया भी |
आज भी मैं हाथ में तम्बाकू मलते या धूम्रपान करते अथवा गुट्का खाते हुए राह चलते व्यक्ति से सभी प्रकार के नशे छोड़ने पर किसी न किसी बहाने दो बातें कर ही लेता हूं | कुछ महीने पहले निगमबोध घाट दिल्ली के नजदीक कश्मीरीगेट, यमुना बाजार, हनुमान मंदिर पर नशेड़ियों से नशा छोड़ने की अपील करने एक महिला नेता पहुँची जिनके सिर पर किसी ने पत्थर मार दिया | बहुत दुःख हुआ |
जनहित में मुंह खोलने वाले को असामाजिक तत्व निशाना भी बना देते हैं, यह नईं बात नहीं है | आज भी पूरे देश में पाउच बदल कर जर्दा- गुट्का, तम्बाकू अवैध रूप से बिक रहा है | कानूनों के धज्जियां उड़ते देख भी बहुत दुःख होता है | इसका जिम्मेदार कौन है ? बुराई और असामाजिकता के विरोध में मुंह खोलने में जोखिम तो है |
क्या जलजलों की डर से घर बनाना छोड़ दें ?
क्या मुश्किलों की डर से मुस्कराना छोड़ दें ?
मैं बिरखांत में किसी को सलाह (प्रवचन) देना नहीं चाहता बल्कि समस्या को उकेर या उजागर कर इसकी गंभीरता को समझाने का प्रयास करता हूं | नशा करने वाले याद करें , जब पहली बार आपने सिगरेट की कस अथवा शराब की एक शिप (घूंट) लगाई, इसे किसी दोस्त ने ही मजाक- मजाक में आपके हाथ में थमाया । इसी तरह आप पीने लगे फिर खरीद कर पीने और पिलाने लगे । एक धीमी रफ्तार से आप पीने वालों में शामिल हो गए । अंत में एक बात और बता देता हूं, यदि कभी आपके पेट के निचले हिस्से में दाईं तरफ दर्द उठने लगे तो समझो आंत में जख्म होने लगा है । फिर तो आप नशा तुरंत छोड़ ही दोगे ।
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