Tuesday, April 15, 2025
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शॉर्ट टर्म बिजली खरीद पर रोक बनी चुनौती, समाधान की तलाश में जुटा यूपीसीएल

देहरादून, विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी नए टैरिफ ऑर्डर के तहत यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) को शॉर्ट टर्म अवधि के लिए बाजार से बिजली खरीदने पर पांच प्रतिशत की सीमा तय कर दी गई है। यूपीसीएल अब बाजार से कुल आवश्यक बिजली का केवल 5% ही शॉर्ट टर्म बेसिस पर खरीद सकेगा। इससे अधिक बिजली खरीदना प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे निगम की लचीलापन क्षमता प्रभावित हो सकती है। खासकर गर्मी और सर्दी के पिक सीजन में जब बिजली की खपत अचानक बढ़ जाती है, तब यह सीमा बड़ी चुनौती बन सकती है। नियामक आयोग का मानना है कि शॉर्ट टर्म खरीद की अधिकता से बिजली की दरें बढ़ती हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर भार पड़ता है। यूपीसीएल अधिकारियों के अनुसार यह सीमा निगम के लिए वित्तीय और आपूर्ति दोनों स्तर पर चुनौतीपूर्ण हो सकती है। वर्तमान में निगम बाजार से समय-समय पर बड़ी मात्रा में शॉर्ट टर्म बिजली खरीदता रहा है, खासकर जब हाइड्रो उत्पादन कम होता है या मांग अचानक बढ़ जाती है। अब निगम इस बाधा से बाहर निकलने के लिए दीर्घकालिक समझौतों की समीक्षा और बिजली मांग के पूर्वानुमान को और सटीक बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
आपको बता दे कि यूपीसीएल इस साल 1804.6 करोड़ यूनिट बिजली आपूर्ति करेगा। हर साल आमतौर पर 80 प्रतिशत बिजली तो राज्य, केंद्रीय पूल, दीर्घकालीन अवधि, लघु अवधि के टेंडर से उपलब्ध कराई जाती है। बाकी 20 प्रतिशत बिजली शॉर्ट टर्म अवधि की होती है जिसकी आपूर्ति इंडियन एनर्जी एक्सचेंज या शॉर्ट टर्म टेंडर से की जाती है। नियामक आयोग ने इस 20 प्रतिशत को घटाकर पांच प्रतिशत यानी करीब 90 करोड़ यूनिट कर दिया है। बाकी 15 प्रतिशत यानी करीब 270 करोड़ यूनिट बिजली की उपलब्धता अब यूपीसीएल के लिए मुसीबत बन सकता है।

किस वर्ष कितनी बिजली शॉर्ट टर्म में खरीदी गयी,
वर्ष बिजली करोड़ यूनिट में

2022-23- 272.26
2023-24- 360.56
2024-25- 230.39 (दिसंबर 24 तक)

यूपीसीएल ने इस वर्ष 261 करोड़ की जताई थी जरूरत

वर्ष बिजली करोड़ यूनिट में
2025-26- 261.29
2026-27- 308.29
2027-28- 372.53

टेंडर बार-बार, कंपनियों को नहीं ऐतबार :

नियामक आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह बिजली 25 वर्ष के दीर्घकालीन पीपीए या 10 वर्ष के लघु अवधि के टेंडर से ली जाए। यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय कुमार अग्रवाल जनसुनवाई में बता चुके हैं कि नौ बार दीर्घकालीन अवधि की खरीद के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन कोई कंपनी आने को तैयार नहीं हुई। लघु अवधि के लिए भी यूपीसीएल को कंपनियां नहीं मिल रही हैं। बीते दिनों में केवल एक 200 मेगावाट का सौर ऊर्जा परियोजना का पीपीए ही हो पाया है, जो कि टीएचडी के पीएसपी प्रोजेक्ट के लिए है।

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