देहरादून,आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों (मुख्य परिसर, गुरुकुल और ऋषिकुल) की मान्यता पर संकट खड़ा हो सकता है। एनसीआईएसएम यानि राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग की ओर से विवि के तीनों परिसरों में यूजी एवं पीजी कोर्सों की मान्यता को निरीक्षण के बाद करीब 11 बिंदुओं पर खामियां गिनाकर नोटिस भेजा गया है, जिसके बाद कुलसचिव स्तर पर 31 दिसंबर तक मानकों को पूरा करने का समय मांगा गया है, लेकिन आयोग ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है, जिससे हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य पर संकट खड़ा हो सकता है।
आयुर्वेद विवि के सूत्रों ने बताया है कि एनसीआईएसएम के दल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यहां फैकल्टी शव विच्छेदन हाउस में पर्याप्त साधन नहीं है। तीनों परिसरों में फैकल्टी की कमी बनी है। शल्य तंत्र में एक भी ऑपरेशन नहीं किया। संज्ञाहरण (एनेस्थीसिया) के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है। एनिमल हाउस भी नहीं है। ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी नहीं है। ओपीडी एवं आईपीडी मरीजों की संख्या मानकों से कम मिली।
शासन-विवि में टकराव से सब चौपट शासन एवं विवि के बीच टकराव की नौबत होने की वजह से दिक्कतें पैदा हुई है। कई भर्तियां कोर्ट में पेंडिंग है। कुलसचिव ने तो शपथ पत्र दिया गया है। जबकि, आयुष सचिव द्वारा शपथ पत्र दिया जाना है। टकराव के चलते ऐसा संभव नहीं हो रहा है, शासन और आयुर्वेद विवि के बीच चल रही खींचतान में आयुर्वेद विवि के तीनों परिसरों के 26 डॉक्टरों का वेतन चार माह से फंसा है। आयुर्वेद निदेशालय इन डॉक्टरों की संबद्धता खत्म कर चुका है, लेकिन विवि ने इन्हें रिलीव नहीं किया। बल्कि मान्यता के लिए इन्हें फैकल्टी दिखाकर भेजा गया है। अब वेतन नहीं मिलने से डॉक्टरों में आक्रोश है। उन्होंने आंदोलन की चेतावनी भी दी है, वहीं एक चिकित्सक कोर्ट भी चले गए हैं।
कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार अदाना ने बताया, एनसीआईएसएम की टीम ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन निरीक्षण किया था, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई हुई। उन्होंने आगे बताया कि कुछ कमियां बताई गई हैं, जिन्हें 31 दिसंबर तक पूरा करने का शपथ पत्र दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भर्तियों पर शासन से जल्द समन्वय बनाकर कमियां पूरी करने का प्रयास किया जा रहा है।
Recent Comments