देहरादून, गढ़वाली के मूर्धन्य लेखक स्वर्गीय आशाराम ‘आशाजीत’ की पुस्तक ‘गढ़वाल की लोक कथाएं” का लोकार्पण निदेशक, उत्तराखंड भाषा संस्थान स्वाति एस. भदौरिया एवं वरिष्ठ कथाकार जितेन्द्र ठाकुर के करकमलों द्वारा दून पुस्तकालय के सभागार में किया गया,
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि धाद के संस्थापक और भाषा एक्टिविस्ट श्री लोकेश नवानी थे। इस कार्यक्रम के गढ़वाली भाषा के लिए वक्ता महेशानंद, कथाकार पौड़ी गढ़वाल ने पुस्तक पर अपनी गंभीर टिप्पणी के साथ लोक कथाओं की यर्थातता को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। पुस्तक में हिंदी का कार्य संपादन सहयोग के लिए डॉ. राजेश कपूर उप निदेशक (राजभाषा) ने बड़ी भूमिका निभाई | इस कार्यक्रम के संयोजक साहित्यकार शान्ति प्रकाश जिज्ञासु थे जिन्होंने अपने पिता स्वर्गीय आशाराम द्वारा रचित लोक कथाओं को एक सूत्र में पिरो कर पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया, अपने उद्बोधन में शांति प्रसाद जिज्ञासू ने कहा कि ‘गढ़वाल की लोक कथाएं’ पुस्तक एक ऐसा संकलन है जिसमें गढ़वाली के विभिन्न सूत्रों को पिरोया गया और आज इसके लोकार्पण से मैं पितृ ॠण से भी उरिण हो गया।कार्यक्रम का संचालन डा. अर्चना डिमरी ने किया। कार्यक्रम में आईसा मेहर ने शान्ति प्रकाश जिज्ञासु रचित वंदना का गायन किया, इस मौके पर हिंदी और गढ़वाली के वरिष्ठ और मूर्धन्य साहित्यकारों पुस्तक के विषय में अपने संक्षिप्त विचार भी रखे और कहा कि संभवत है कि पहली पुस्तक है जिसमें गढ़वाली कहानियों का साथ ही साथ हिंदी अनुवाद भी किया गया है । पुस्तक को एकेडमिक रूप दिए जाने का प्रयास किया गया है और कुछ शब्दों के फुट नोट दिए हुए हैं । पुस्तक का प्रकाशन समय साक्ष्य द्वारा किया गया, कार्यक्रम में नंदकिशोर हटवाल, बीना बैंजवाल, विजय मधुर, गिरीश सुन्दरियाल, प्रेम पंचौली, डा. राम विनय सिंह, राकेश जैन, शादाब अलि, कुसुम भट्ट, आशीष सुन्द्ररियाल, दून लाइब्रेरी के चंद्रशेखर तिवारी आदि के साथ बड़ी संख्या में हिन्दी और गढ़वाली के साहित्यकार मौजूद रहे |
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