स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय की खोज को मिला पेटेंट
‘स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट को मिली बड़ी कामयाबी’
‘पैट्री डिश पर सैंपल में मौजूद सूक्ष्मजीव के फैलाव के लिए उपकरण किया अविष्कार’
देहरादून (डोईवाला), स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट ने नई खोजों (अविष्कार) के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पैट्री डिश पर सैंपल में मौजूद सूक्ष्मजीव के फैलाव के लिए उपकरण का अविष्कार किया है। इससे किसी भी शोध व जांच के लिए एकत्रित किए गए सैंपल की रिपोर्ट पहले से बेहद सटीक आएगी। भारत सरकार ने इस अविष्कार का पेटेंट एसआरएचयू जौलीग्रांट के नाम दर्ज कर लिया है।
एसआरएचयू के कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि शोध व अविष्कार के क्षेत्र में गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने यह नई कामयाबी दर्ज की है। डॉ.धस्माना ने इस अविष्कार से जुड़े वैज्ञानिक डॉ.सीएस नौटियाल व डॉ.विवेक कुमार को बधाई व शुभकामनाएं दी। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह अविष्कार मानव जाति के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि विश्वविद्यालय का फोकस शोध कार्यों पर है। विश्वविद्यालय की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में कई नए आविष्कारों पर बहुत महत्वपूर्ण कार्य चल रहे हैं। जल्द ही कुछ और खोजों में कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
एसआरएचयू के वैज्ञानिक सलाहाकार डॉ.सीएस नौटियाल ने कहा कि सैंपल कई तरह के हो सकते हैं, इसमें स्वास्थ्य जांच के लिए लिया गया सैंपल, वनस्पति विज्ञान से संबंधित या किसी मिट्टी का भी हो सकता है। जब सैंपल को पैट्री डिश पर एकत्रित किया जाता था, तो उसमें मौजूद सूक्ष्मजीव (बैक्टिरिया) के फैलाव (प्रसार) के लिए जिस पंरपरागत उपकरण का उपकरण किया जाता था उससे बैक्टिरिया भी नष्ट हो जाते थे। उस कारण रिपोर्ट बेहद सटीक नहीं आ पाती थी।
ऐसे करता है उपकरण काम :
इस अविष्कार से जुड़े हिमालयन स्कूल ऑफ बायो साइंसेज (एचएसबीएस) के डॉ.विवेक कुमार ने बताया कि अब ये नया अविष्कृत हैंडटूल या स्प्रैडर आम एक तिपाई स्टैंड से बना है। इसमें एक सीधी रॉड है, जो नीचे से हैंडल के विपरीत दिशा में घूमी हुई है। पैट्री डिश पर हैंडल को घुमाने से सेंट्रल रॉड का नीचे का क्षैतिज (मुड़ा) हुआ हिस्सा पैट्री डिश पर सैंपल को समान रुप से फैलाता है। इसके लिए चार-पांच घुमाव पर्याप्त हैं। इससे सैंपल में मौजूद बैक्टिरिया को कोई नुकसान नहीं पुहंचता। इस कारण परिणाम सटीक और त्रुटि रहित प्राप्त होते हैं।
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