देहरादून, उपनल संविदा कर्मचारियों ने समय पर और सम्मानजनक मानदेय देने सहित विभिन्न सात सूत्री मांगों को लेकर आज से प्रदेशभर में दो दिवसीय कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है। कुछ अन्य संगठनों की ओर से भी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया जा रहा है।
उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक योगेंद्र विश्राल ने कहा कि कर्मचारी आंदोलन नहीं चाहते, लेकिन उनकी मांगों की लगातार अनदेखी कर उन्हें इसके लिए मजबूर किया जा रहा है। मोर्चा के प्रदेश संयोजक ने प्रेस क्लब में मीडिया से वार्ता में कहा कि उपनल संविदा कर्मचारियों को वर्षों की सेवा के बावजूद मात्र 10 से 12 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है।
यह मानदेय भी उन्हें समय पर नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि शासन की ओर से उपनल कर्मचारियों को न हटाने का आदेश जारी किया गया है, इसके बाद भी सेल्स टैक्स से 49 और विद्युत विभाग से 12 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। जबकि संबंधित विभाग की ओर से कहा गया है कि इन कर्मचारियों का बेहतर काम है, इन्हें हटाने से काम प्रभावित हो रहा है, लेकिन शासन में बैठे अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को वापस ले सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार उपनल कर्मचारियों के मसले पर हाईकोर्ट के वर्ष 2018 में आए फैसले पर अमल करते हुए इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को वापस ले। कर्मचारियों ने कहा कि उनके सुरक्षित भविष्य के लिए सरकार नीति बनाए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग पर शीघ्र अमल न किया गया तो दो दिवसीय कार्यबहिष्कार के बाद कर्मचारी बैठक कर आंदोलन की आगे की रणनीति बनाएंगे।
कार्यबहिष्कार के दौरान विभिन्न जिलों में कर्मचारी धरना, प्रदर्शन करेंगे। मीडिया से वार्ता के दौरान मुख्य संयोजक पीएस धामी, प्रदेश महामंत्री प्रमोद गुसाई, जिला संयोजक जगवेंद्र पंवार, सह संयोजक देवेंद्र रतूड़ी, उमेश खत्री, अनिल सिंह कोटियाल, संदीप कुमार, योगेश भाटिया, रतनमणि रणकोटी आदि मौजूद रहे।
कर्मचारियों की कुछ प्रमुख मांगें
– किसी भी कर्मचारी की सेवा समाप्त न की जाए।
– हटाए गए कर्मचारियों को बहाल किया जाए।
– कर्मचारियों के मानदेय से टैक्स न काटकर उन्हें इसका सीधा भुगतान किया जाए।
– सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी को वापस ले।
– उपनल एवं अन्य संविदा कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य के लिए सरकार कोई नीति बनाए।
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