अम्बरीश कुमार हरिद्वार की राजनीति में एक ऐसा नाम जिसका नाम लिए बिना हरिद्वार के राजनैतिक सफर की चर्चा अधूरी मानी जाती है। चार दशक तक के अपने राजनैतिक जीवन के सफर में गाधीवादी विचार धारा के प्रबल समर्थक अम्बरीश कुमार को यदि हरिद्वार की राजनीतिक पृष्ठभूमि का पूरक कहे तो कोई अतिशियोक्ति नही होगी।
1971 में युवा कांग्रेस से अपने राजनैतिक सफर की शुरूवात करने वाले अम्बरीश कुमार ने अपने चार दशक के राजनैतिक सफर में हरिद्वार में तीन पीढियो के साथ अपनी राजनैतिक यात्रा के सफर को तय किया। 1971 में राजनीति के क्षेत्र में आने वाले इस युवा तुर्क ने हरिद्वार के राजनैतिक गलियारो में अपनी पहचान एक जमीन से जुडे नेता के रूपमें स्थापित कर भाई जी के नाम से बनायी। गांधीवादी विचार धारा के चलते अपने सिद्वान्तो से कभी समझौता नही करने के चलते अम्बरीश कुमार को अपने राजनैतिक जीवन में इसकी भारी कीमत अदा करनी पडी। परन्तु उन्होने आजीवन अपने सिद्वान्तो से राजनैतिक लाभ के लिए समझौता नही किया।
चार जून 1948 को हरिद्वार की उपनगरी ज्वालापुर में जन्में अम्बरीश कुमार ने बीएससी एम ए व एल एल एल बी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद समाजसेवा के क्षेत्र को चुना तथा आम जनता से जुडे विभिन्न पहलुओ को उठाने का काम किया। इनके चाचा स्वातंत्रता सेनानी रहे । राजनैतिक पटल पर इन्हे पहचान 1977 में मिली करारी राजनैतिक शिकस्त के बाद इन्दिरा गाधी की पहली सार्वजनिक जनसभा हरिद्वार में आयोजित कराकर अम्बरीश कुमार को मिली जिसके बाद राजनैतिक सफर में इन्होने कभी पीछे मुडकर नही देखा। 1980 में कांग्रेस से हरिद्वार विधान सभा सीट से अपनी दावेदारी करने के चलते पार्टी द्वारा टिकट नही दिये जाने के बाद 1985 में पुनः काग्रेस से इस सीट पर मजबूत दावेदारी करने के बाद दरकिनारे किये जाने के चलते अम्बरीश कुमार ने स्थानीय मुददो व स्थानीय प्रतिनिधित्व को कांग्रेस पार्टी द्वारा नकारे जाने के बाद अपने समर्थको के कहने पर अम्बरीश कुमार ने इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूपमें चुनाव लडा। जिसे कांग्रेस हाई कमान ने अपनी प्रतिष्ठा से जोडते हुए इस सीट को अपनी नाक का सवाल मान लिया जिसके चलते तत्कालिन प्रधानमंत्री राजीव गाधी कांग्रेस प्रत्याशी महावीर राणा के समर्थन में चुनावी रैली करने हरिद्वार पहुचे यह पहला अवसर था की जब प्रधानमंत्री चुनावी रैली को सम्बोधित करने हरिद्वार आये थे।
इस चुनाव के महत्व का पता इस बात से चलता है कि उस समय बी बी सी द्वारा अपने प्रसारण में हऱिद्वार विधान सभा सीट का चुनावी प्रसारण अपने चुनावी बुलेटिन में किया जाता था। इस चुनाव में कंाग्रेस ने मात्र 71 मतो के अन्तर से जीत हासिल की। चुनावी परिणाम के बाद अम्बरीश कुमार ने अपने समर्थको के साथ स्थानीय जनता की आवाज बनकर उनके लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का आहावान किया तथा उसके बाद सम्पन्न हुए विभिन्न चुनावों में अपनी राजनैतिक पकड का अहसास कराते हुए विभिन्न चुनावों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए विभिन्न दलो के प्रत्याशीयो को चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 1989 में सम्पन्न हुए नगर निकाय के चुनावों में हरिद्वार नगर पालिका के चुनाव में 24 में से 16 वार्डो में अपने समर्थक प्रत्याशियो को चुनाव जिताकर अम्बरीश कुमार ने एक बार फिर अपनी राजनैतिक पकड को साबित किया।
1996 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अम्बरीश कुमार उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य के रूप में हरिद्वार विधान सभा सीट से जीत कर विधान सभा में पहुचें विधान सभा में विभिन्न जनहीत के मुददो को तर्कपूर्ण ढंग से उठाये जाने के चलते अम्बरीश कुमार ने अपनी प्रतिभा को सदन में सिद्व किया। जिसके चलते तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष द्वारा अपने विदेशी प्रवास के दौरान पहली बार विधान सभा में पहुचे अम्बरीश कुमार को अपनी अनुउपस्थिति में विधान सभा की कार्यवाही संचालित करने का अवसर प्रदान किया।
सन 2000 में उत्तराखण्ड राज्य का गठन होने के चलते प्रदेश की गठित पहली अन्तरिम विधान सभा में अम्बरीश कुमार को लेखा समिति का अध्यक्ष चुना गया। जिसके दायित्वों का उन्होने बखुबी निर्वाहन किया। राज्य गठन के बाद सम्पन्न हुए विधान सभा चुनावों में सफलता नही मिलने के बाद भी अम्बरीश कुमार ने जनसंघर्ष की अपनी यात्रा जारी रखी। जिसके चलते 2019 के लोकसभा चुनावों में काग्रेस पार्टी ने हरिद्वार लोकसभा सीट से इन्हे अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी समर में उतारा एक बार फिर चुनावी शिकस्त मिलने के बाद अम्बरीश कुमार ने अपनी संघर्ष यात्रा को जारी रखा इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी दूसरे नम्बर पर रही।
आजीवन आम जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले अम्बरीश कुमार अपने जीवन के अन्तिम क्षणो तक संघर्ष करते रहे बिगडे स्वास्थ्य के चलते 21 जौलाई 2021 को हरिद्वार के राजनैति पटल का यह योद्वा हमेशा के लिए चिर निन्द्रा में सो गया।
राजनैतिक सफर में आज भी हरिद्वार की जनता विभिन्न मुददो पर उनको याद कर उन्हे अपने श्रृद्वासुमन अर्पित करती है। अम्बरीश कुमार एक ऐसे नेता थे जिन्हे उनके घोर राजनैतिक विरोधी भी उनकी प्रखर तर्कपूर्ण संवाददाता के लिए याद करते है। अम्बरीश कुमार के बाद रिक्त हुए हरिद्वार के राजनैतिक पटल के स्थान की पूर्ति लम्बे समय तक नही की जा सकती है।
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