Saturday, November 23, 2024
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मलिन बस्तियों के चिन्हीकरण की रिपोर्ट 15 दिनों में शासन को भेजेंगे सभी जिलाधिकारी : मुख्य सचिव

देहरादून(आरएनएस)।  मुख्य सचिव   राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण कर 15 दिन में रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने की डेडलाइन दी है। इसके साथ सीएस ने  जिलाधिकारियों से नगर निगमों के तहत कार्य करने वाले सफाई कर्मचारियों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी तलब की है। मुख्य सचिव ने निर्माण स्थलों पर कार्य करने वाले प्रवासी श्रमिकों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय में शहरी विकास की राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक में मुख्य सचिव   राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को ‘‘स्लम फ्री उत्तराखण्ड’’ विजन के साथ कार्य करने की नसीहत दी है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आगामी 15 दिनों से पहले जनपदों में अवस्थित मलिन बस्तियों के श्रेणीवार चिन्हांकन कर उनकी सूची शासन को प्राथमिकता के आधार पर भेज दी जाए। इसके बाद राज्य में अवस्थित मलिन बस्तियों में निवासरत परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण, पुनरूद्धार पुनर्वास की कार्ययोजना पर कार्य किया जाएगा। मुख्य सचिव ने मलिन बस्तियों के सुधार हेतु विभिन्न राज्यों के मॉडल पर किए गए अध्ययन की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट भी तलब की।
मुख्य सचिव   राधा रतूड़ी ने विशेषरूप से जनपद टिहरी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी उधमसिंहनगर और चम्पावत के जिलाधिकारियों से और समय न लेते हुए यथाशीघ्र  मलिन बस्तियों की वांछित सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, जिससे एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करते हुए प्रभावितों को प्रधानमंत्री आवास योजना या राज्य में प्रचलित अन्य उपयोगी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करते हुए मलिन बस्तियों के निवासियों का पुनर्वासन एवं पुनर्व्यस्थापन किया जा सके।
बैठक में प्रमुख सचिव  रमेश कुमार सुधांशु, सचिव  आर मीनाक्षी सुन्दरम,  नितेश कुमार झा सहित अन्य अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से आयुक्त गढ़वाल और कुमाऊ व सभी जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

 

पर्यावरण सूचकांक अभियान में शामिल सदस्यों ने डा. जोशी के साथ साझा किए यात्रा के अपने अनुभव

देहरादून, पर्यावरण सूचकांक समाज और सरकार के सामने रखने और सरकार से उसे लागू कराने की पैरवी के मुख्य सूत्रधार पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए जीईपी अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और मिठाई बांटी। जीईपी को लेकर वर्ष 2012 में पद्मभूषण डा. अनिल जोशी के नेतृत्व में न्यू जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल से देहरादून तक सात राज्यों में 45 दिन तक की गई यात्रा में शामिल द्वारिका प्रसाद सेमवाल, पत्रकार रेनू सकलानी, जाड़ी संस्थान के अध्यक्ष सतेन्द्र पंवार, रंजना कुकरेती, विनोद खाती, दया राम नोटियाल ने डा. जोशी को बधाई दी। साथ ही यात्रा के दौरान के अनुभव भी सांझा किए।
यात्रा में शामिल रहे गढ़भोज, बीज बम एवं कल के लिए जल अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जब  पर्यावरण का एक और सूचक पर्यावरण सूचकांक (GEP) का  विचार डा. अनिल प्रकाश जोशी जी ने सरकार और समाज के सामने रखा गया, तब जीईपी शब्द और विचार एक दम नया था, न ही किसी सरकारी या गैर सरकारी लोगों को इस बारे में पता था। यात्रा के दौरान जब इस मुद्दे को जनता के सामने रखा गया तो लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया। समझा की विकास सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरण का भी होना चाहिए और इसका हिसाब किताब भी होना चाहिए। इसके समर्थन में आगे आए यात्रा को सपोर्ट किया। मेरा सौभाग्य है कि मैंने भी इस ऐतिहासिक कार्य में गिलहरी योगदान दिया, इसके लिए मैं हमेशा अपने गुरु डा. जोशी का आभारी रहूंगा।
दुनिया में पहली बार जीईपी के विचार को मान्यता के इस ऐतिहासिक अवसर को हम मिलकर आने वाले समय में बड़े उत्सव के रूप में मनाएंगे। जीईपी के लिए किए गए संघर्ष और उसकी सफलता को उत्सव के रूप में मनाने के लिए छह अप्रैल को जीईपी दिवस के रूप में जाड़ी संस्थान अन्य संगठनों के साथ मिलकर मनाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह को पत्र भेजा गया है। जीईपी के सूत्रधार डा. अनिल प्रकाश जोशी से भी बात की गई है। शुरुआती दौर की बातचीत उत्तराखंड के साथ हिमाचल के साथियों के साथ की जा चुकी है। इस ऐतिहासिक कार्य के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी बहुत बहुत धन्यवाद।
यात्रा में शामिल रही पत्रकार रेनू सकलानी ने कहा की यह पल हमारे लिए गौरव का है। जीईपी को लेकर की गई यात्रा ने मेरे जीवन को नई दिशा दी और पर्यावरण के प्रति नई समझ विकसित की। मुझे इस महान ऐतिहासिक कार्य का हिस्सा बनाने के लिए मैं डा. अनिल जोशी का आभारी रहूंगी। इस मौके पर डा. अनिल जोशी ने कहा कि आपका ध्येय अगर पवित्र है तो अपने काम को करते रहें। आज लोगों को जीईपी को समझने की जरूरत है।
इस अवसर पर पत्रकार रेनू सकलानी, विकास पंत आदि मौजूद रहे।

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