Thursday, December 26, 2024
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कृषि वानिकी पर्यावरण को बेहतर बनाने, महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है : डा. बांके बिहारी

देहरादून, बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ आर्थिक विकास के कारण बढ़ी हुई आकांक्षाएं भोजन, चारे, ईंधन की लकड़ी, फलों और अन्य औद्योगिक कच्चे माल की मांग में कई गुना वृद्धि कर रही हैं और इस बीच कृषि के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कृषि के विचलन के कारण गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है।
विभिन्न कारणों से भूमि को गैर-कृषि प्रयोजन हेतु कृषि वानिकी एक प्रभावी भूमि प्रबंधन प्रणाली के रूप में, जिसमें भूमि की एक ही इकाई पर एक साथ या क्रमिक रूप से चरागाह/पशुधन सहित कृषि फसलों के साथ लकड़ी के घटकों का जानबूझकर परिचय/प्रतिधारण शामिल है, सिस्टम बनाने की लचीलापन बढ़ाने और भेद्यता को कम करने, घरों को बफर करने में मदद करेगा।
लोगों की सामाजिक-पारिस्थितिकी और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के अलावा आजीविका सुरक्षा प्रदान करने के लिए जलवायु संबंधी जोखिम के खिलाफ।
चूंकि कृषि वानिकी विभिन्न संगत प्रजातियों को शामिल करती है – जो एक-दूसरे की पूरक हैं, फसल जैव विविधता को समृद्ध करती हैं, जो बदले में भोजन, चारा, लकड़ी, दवाओं, फलों और ईंधन की लकड़ी के मामले में कई लाभ लाती हैं – साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार सहित अतिरिक्त लाभ भी देती हैं। मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी का पोषण, कार्बनिक पदार्थ, जल धारण क्षमता, मिट्टी का माइक्रोफ्लोरा आदि।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि वानिकी की महत्वपूर्ण भूमिका और पारिस्थितिकी और पर्यावरण की समग्र भलाई को देखते हुए, विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने 11 अगस्त, 2023 को एफआरआई, देहरादून में “कृषि वानिकी विस्तार: मुद्दे और चुनौतियां” पर एक ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया। श्री महालिंग, आईएफएस, प्रमुख विस्तार प्रभाग, एफआरआई ने सभी प्रतिभागियों और अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया और सदन को सेमिनार के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी।
ऑनलाइन सेमिनार का उद्घाटन डॉ. रेनू सिंह, आईएफएस, निदेशक, एफआरआई, ने किया। उद्घाटन भाषण देते हुए निदेशक एफआरआई ने देश में भूमि क्षरण की वर्तमान स्थिति और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर जलवायु परिवर्तन के परिणामों के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।
विशेष रूप से पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के मद्देनजर कृषि वानिकी के दायरे पर ध्यान केंद्रित करते हुए, निदेशक एफआरआई ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अतिरिक्त वन के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाकर एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2030 तक वृक्षों का आच्छादन, जो कृषि वानिकी विस्तार के लिए चुनौती स्वीकार करने के लिए खुद को तैयार करने का एक बड़ा अवसर है।
अंत में संबोधन इस आशा के साथ समाप्त हुआ कि यह सेमिनार निश्चित रूप से लंबे समय में पारिस्थितिक अखंडता सुनिश्चित करते हुए किसानों की आय सृजन के लिए वास्तविक अर्थों में कृषि वानिकी को अपनाने के लिए एक उचित रणनीति की सिफारिश करने में सहायक होगा।
उद्घाटन भाषण के बाद विभिन्न विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किये गये।
पहला विषय डॉ. बांके बिहारी, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी, देहरादून द्वारा कृषि वानिकी विस्तार कार्यक्रमों की सफलता और स्थिरता के लिए सामुदायिक भागीदारी पर था। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकारी एजेंसियों की तकनीकी जानकारी के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और बंजर भूमि की वसूली में सामुदायिक भागीदारी कितनी प्रभावी ढंग से संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि वानिकी पर्यावरण को बेहतर बनाने, महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पोषण सुरक्षा, उत्पादकता बढ़ाने के अलावा किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करना। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समुदाय की सफल भागीदारी के लिए पारदर्शिता, समानता, देखभाल और साझा करना और भावना जैसे मूल्य किसी भी परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दूसरा सत्र डॉ. संदीप आर्य, एसोसिएट प्रोफेसर, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा दिया गया। उन्होंने हरियाणा में आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि वानिकी प्रणालियों के विस्तार पर बात की। उन्होंने हरियाणा में पोपलर, यूकेलिप्टस, मेलिया और खेजड़ी आधारित कृषि वानिकी प्रणालियों के अर्थशास्त्र के साथ विविधीकरण पर बात की। उनकी प्रस्तुति के माध्यम से विभिन्न कृषि वानिकी प्रणालियों पर केस स्टडीज भी साझा की गईं।
तीसरे सत्र में डॉ. अशोक कुमार, वैज्ञानिक-जी, एफआरआई, देहरादून ने आजीविका में सुधार के लिए कृषि वानिकी प्रजातियों के गुणवत्तापूर्ण रोपण स्टॉक के उत्पादन पर व्याख्यान दिया और अन्य प्रजातियों की जानकारी भी साझा की जो निश्चित रूप से टिकाऊ आधार पर लकड़ी के उत्पादन को बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में सहायक हैं।
कार्यक्रम में एफआरआई के प्रभागों के प्रमुखों, एफआरआई के अधिकारियों और वैज्ञानिकों और एफआरआई डीम्ड विश्वविद्यालय के छात्रों और अन्य लकड़ी उद्योग और गैर-सरकारी संगठनों के लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉ. चरण सिंह, वैज्ञानिक-एफ विस्तार प्रभाग ने कार्यक्रम का संचालन किया और सभी प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद प्रस्ताव दिया। डॉ. देवेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक-ई, श्री रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-ई और श्री विजय कुमार, एसीएफ, श्री प्रीतपाल, आरएफओ, श्री नवीन कुमार, श्री अमित कुमार और विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के अन्य अधिकारी उपस्थित थे इस अवसर पर सेमिनार के सफल आयोजन में सहयोग दिया।

 

एसडीएम ने किंक्रेग पुश्ता ढहने से उत्पन्न खतरे का निरीक्षण किया

मसूरी, एसडीएम नंदन कुमार ने किंक्रेग स्थित पुश्ता ढहने से आस पास रह रहे परिवारों व रैन बसेरे को हो रहे खतरे को देखते हुए मौके पर जाकर निरीक्षण किया व तत्काल प्रभाव से पुश्ता लगाने के निर्देश दिए वहीं मौसम को देखतेे हुए वहंा रह रहे परिवारों को रिलीफ सेंटर में भेजा जाय ताकि परिवार सुरक्षित रह सकें। एसडीएम नंदन कुमार ने किंक्रेग स्थित रैन बसेरे का पुश्ता ढहने का निरीक्षण किया क्योंकि वहां पर कई परिवार रह रहे हैं जिन्हें खतरा है वहीं रैन बसेरा के नीचे से पुश्ता ढहने के कारण खतरा पैदा हो गया है। एसडीएम ने नगर पालिका अधिशासी अधिकारी को तत्काल यहां पर पुश्ता लगाने के निर्देश दिए है व मौसम में भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए वहां रह रहे परिवारों को विस्थापित करने के भी निर्देश दिए है। जहां तक मुआवजे की बात है उसमें ऐसा कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन फिर भी देखा जायेगा व जो संभव होगा किया जायेगा। वहीं स्थानीय निवासियों ने एसडीएम को समस्या के बारे में विस्तार से बताया व कहा कि उन्हें रात भर नींद नहीं आयी व परिवार के साथ खतरे को देखते हुए जगे रहे। इस मौके पर भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल भी मौके पर मौजूद रहे व एसडीएम से यहां रह रहे परिवारों को जब तक मरम्मत पूरी नहीं होती विस्थापित करने को कहा है। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी भी मौजूद रहे।

 

 

मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम के तहत शिला फलकम स्थापित, स्वाधीनता सेनानी के परिवार को किया सम्मानित

मसूरी। नगर पालिका परिषद की ओर से मसूरी झील में देश की आजादी में कुर्बानी देने वालों व देश की सीमाओं पर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वालों की याद में मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें आजादी में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया व शिला फलकम का लोकार्पण किया गया जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखे गये हैं। साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव के 75 वर्ष पूरे होने पर 75पौधे रोपे गये। केंद्र सरकार द्वारा देश के सर्वाेच्च बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए मेरा माटी मेरा देश अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत मसूरी नगर पालिका द्वारा वीरों के वंदन कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कड़ी में मसूरी के दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिला फलकम मसूरी झील के समीप स्थापित किया गया। जिसमें मुनेश्वर पांडे व रामचंद्र शर्मा का नाम अंकित है। जिसका अनावरण शहीद के परिजनों से कराया गया वहीं शहीद परिवार से आभा सैली व गणेश सैली द्वारा कलश में लाई गई माटी व मसूरी झील की माटी को पालिका को सौंपीं गई। 2.वीरों का वंदन के तहत स्वतंत्रता सेनानी के परिवारों को नगर पालिका परिषद मसूरी द्वारा सम्मानित किया गया। इस मौके पर अमृत काल के पंचप्राण के तहत प्रत्येक लोगों ने विकसित भारत का लक्ष्य, गुलामी के हर अंग से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता, नागरिकों के कर्तव्य की भावना, की शपथ दिलवाई गई। साथ ही साथ शहीदों के आवास से लाई गई एवं मसूरी झील की मिट्टी को मिलाकर पौधों के साथ सेल्फी ली गई। वसुधा वंदन के तहत मसूरी झील के आसपास विद्यालयों से छात्र-छात्राओं ने 75 पौधों का रोपण किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं ने शहीदों के नमन में राष्ट्रीय गीत, नृत्य व नृत्य नाटिका का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। व पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया व राष्ट्रगान के माध्यम से शहीदों को सलामी दी गई। इस मौके पर पालिकाध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि मेरी माटी मेरा देश इस कार्यक्रम के अंतर्गत मसूरी झील में शहीदों की याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गये बच्चों ने देश भक्ति के गीत व नृत्य किए तथा शपथ लेकर संकल्प लिया तथा वृक्षारोपण भी किया। इस मौके पर स्वाधीनता सेनानी मुनेश्वर पांडे की पुत्री आभा सैली ने बताया कि उनके पिता 12 वर्ष की उम्र में घर से भाग गये थे व आजादी के आंदोलन में कूद गये व बिहार के छोटे परिवार में चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे, वे कं्रातिकारियों के संपर्क में आये व तीन महीने वहां की फुलवारी शरीफ जेल में रहे व उसके बाद मुख्य जेल में भेजा गया जब जेल से बाहर आये तो पूरे का्रतिकारी बन गये थे व आंदोलन में छोटे होने का फायदा उठाया व कं्रा्रतिकारियों की सूचना एक जगह से दूसरे जगह पहुचाने का कार्य किया ताकि बच्चा समझ कर कोई शक न करे। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद इस तरह का कार्य पहली बार किया जा रहा है। हालांकि आजादी के 25 वर्ष होने पर इंदिरा गांधी की सरकार में ताम्रपत्र दिया गया था। उन्होंने पेंशन भी नहीं ली व उत्तराखंड राज्य बनने के बाद ही प्रदेश के मुख्य सचिव के आग्रह पर पेशन ली। इस मौके पर सभासद जसबीर कौर, सुरेश थपलियाल, सरिता, जशोदा शर्मा, प्रताप सिंह पंवार, दर्शन रावत, मदन मोहन शर्मा, अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी, राजवीर सिंह चौहान, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ आभाष सिंह, सफाई निरीक्षक वीरेंद्र सिंह बिस्ट, कीन से सुनीता कुंडले, सतीश ढौडियाल, राकेश अग्रवाल, विभिन्न विद्यालय के अध्यापक, अध्यापिकाएं, निर्मला इन्टर कॉलेज, सनातन धर्म गर्ल्स इन्टर कॉलेज, मसूरी गर्ल्स इन्टर कॉलेज, सीएसटी स्कूल, आरएन भार्गव, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, कीन संस्था की टीम, नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्ट्डीज की टीम, हिलदारी की टीम आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन हिलदारी प्रबंधक अरविंद शुक्ला ने किया।

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