देहरादून, उत्तराखण्ड़ राजधानी दून में भवन निर्माण में अत्यधिक इजाफा हुआ है एक तरफ शहर में भीड़ बढ़ी तो दूसरी तरफ मकान निर्माण में भी तेजी आयी, लेकिन अब तक किसी मकान की पहचान उसके मालिक के नाम या कॉलोनी से होती है, लेकिन देहरादून में अब आईडी नंबर से भवन की पहचान होगी। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के अंतर्गत देहरादून में करीब दो लाख मकानों को आईडी नंबर मिलेगा। 2041 तक के लिए पहली बार तैयार किए गए नए डिजिटल मास्टर प्लान में यह व्यवस्था बनाई गई है। एमडीडीए की बोर्ड बैठक में हरी झंडी मिलने के बाद और आपत्तियों पर सुनवाई के बाद मार्च माह तक इस व्यवस्था के लागू होने की संभावना है। जिस तरह किसी व्यक्ति का आधार या पैन कार्ड का नंबर उसके लिए अहम होता है, उसी तरह आईडी नंबर मकान की डिजिटल पहचान होगा। डिजिटल मास्टर प्लान तैयार होने से नगर निगम को सबसे बड़ा फायदा होगा। निगम को एक क्लिक पर भवनों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी। भवन के आकार और टैक्स आदि जमा करने को लेकर पूरा ब्यौरा ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगा।
वहीं एमडीडीए अवैध निर्माण पर शिकंजा कस सकेगा। यदि कोई नया निर्माण करता है तो डिजिटल मैप से इसका पता चल जाएगा। फिलहाल पूरा डाटा सर्वे करने वाली कंपनी के पोर्टल पर है। जल्द एमडीडीए जीआईएस पोर्टल बनाकर पूरा डाटा अपने पास लेकर डाटाबेस तैयार करेगा। हाल ही डिजिटल मास्टर प्लान को गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अब इसे एमडीडीए की अगली बोर्ड बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। इसके बाद जनता को भी आपत्ति दर्ज करने और सुझाव देने का मौका मिलेगा। आपत्तियों के निस्तारण के बाद मास्टर प्लान को अंतिम रूप दिया जाएगा। चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव का कहना है कि एमडीडीए के लिए पहली बार जीआईएस मैपिंग पर आधारित डिजिटल मास्टर प्लान तैयार किया गया है। एमडीडीए की आगामी बोर्ड बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाएगा। भवनों से संबंधित पूरी जानकारी एक क्लिक पर मिलने से नगर निगम और एमडीडीए को फायदा होगा।
मास्टर प्लान में कमी, खामियाजा भुगत रही जनता :
एमडीडीए के मास्टर प्लान को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। खासतौर से नगर निगम में शामिल नए क्षेत्रों में मास्टर प्लान और धरातल पर एकरूपता नहीं होने के कारण लोगों को नक्शे पास करवाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मास्टर प्लान की अपेक्षा मौके पर सड़कों की चौड़ाई कम होने की वजह से भी नक्शे अटक रहे हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि नया मास्टर प्लान लागू होने से जनता की दिक्कतें कम होंगी या नहीं।
प्राधिकरण के लिये बड़ी चुनौती: सूत्रों की मानें तो एक व्यवस्थित शहर बसाने के लिए मानकों के अनुसार रेसीडेंशियल लैंड यूज 40 प्रतिशत होना चाहिए। जबकि देहरादून में पहले ही यह 80 फीसदी हो चुका है। शहर का 85 प्रतिशत हिस्सा पहले ही विकसित हो चुका है। 15 प्रतिशत में अवैध निर्माण हुआ है। ऐसे में मास्टर प्लान को धरातल पर लागू करवाना सरकार और प्राधिकरण के लिए बड़ी चुनौती होगी।
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