मसूरी (दीपक सक्सेना)। उत्तराखंड के गढवाली गीतों को अपनी आवाज के जादू से लोगों से मोहित करने वाले युवा लोक गायक सौरभ मैठाणी अपनी नई एलबम को लेकर खासे चर्चाओं में हैं। एलबम में उनके गाये गीत को खासा पसंद किया जा रहा है। अपने गीतों से लोगों को मंत्र मुक्त कर देने वाले सौरभ मैथाणी इन दिनों अपनी नई एल्बम को लेकर चर्चाओं में है और उनकी नई एल्बम के गीत को लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है। पहाड़ी गीतों से अपनी पहचान बनाने वाले युवा लोक गायक सौरभ मैठाणी ने पत्रकारों को बताया कि उनकोे जनता का बहुत प्यार मिल रहा है। मैथाणी ने बताया कि उनके गीतों को खूब पसंद किया जा रहा है और वह पहाड़ की संस्कृति और सभ्यता के अनुसार ही गीतों को लोगों तक पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 5 से 10 वर्षों के बीच सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए पहाड़ी गीत संगीत को युवा भी बहुत पसंद कर रहे हैं और इस दौरान गीतों का स्तर भी बहुत अच्छा हुआ है और लोगों के बीच पहाड़ी कलाकार भी बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा 40 से 45 पहाड़ी गीत गाए गए हैं जिन्हें बहुत पसंद किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका नया एल्बम पहाड़ के पलायन पर आधारित है और इसे बहुत पसंद किया जा रहा है। मसूरी एक कार्यक्र्रम में पहुचे सौरभ मैठाणी ने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति पर आधारित गीत अब बहुत पसंद किए जा रहे हैं। पहले पहाड़ के युवा पहाड़ी गीतों को कम पसंद करते थे लेकिन अब सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से गाये गीतों के प्रति युवाओं का रूझान बढ रहा है जो उत्तराखंड के लिए बहुत ही अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि उनके गीत मेरी सपना स्याली, नया गीत पलायन पर आधारित गीत, उचां उचां सेंडिल पैरोलू, भजन तू रदीं उचंा पहाडों मां आदि। उन्होंने कहा कि अगर हमें अपनी संस्कृति बचानी है तो इसके प्रति जागरूक रहना होगा व अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम रखना होगा। इसके लिए अपने गीत सुनने चाहिए चाहे वह किसी भी प्रदेश व क्षेत्र के हो अपनी संस्कृति को बढावा देना चाहिए। अपने खान पान, पहनावा, वाद्ययंत्रों, बीर भडो, मंदिर मठो का पता होना चाहिए। क्यो कि राज्य संस्कृति से ही चलता है। उत्तराखंड के जो गीत होते हैं वह अपनी संस्कृति से ही जुड़े होते हैं चाहे श्रृंगार के गीत हो देवी देवताओं के गीत हो या अन्य गीत हों। उन्हांेने कहा कि अब जो एलबम आ रही है उसमें तकनीकि रूप में बड़ा सुधार हुआ है।
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