Friday, May 30, 2025
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प्राधिकरण की 111वीं बोर्ड बैठक : वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये 1 हजार करोड का बजट प्रस्तुत

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देहरादून, गुरुवार को प्राधिकरण की 111वीं बोर्ड बैठक आयुक्त गढवाल मंण्डल/अध्यक्ष की अध्यक्षता में उनके सचिवालय स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुयी, बैठक में उपाध्यक्ष मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा आयुक्त गढवाल मंण्डल/अध्यक्ष एवं सदस्यों का स्वागत करते हुये प्राधिकरण की 110वीं बोर्ड बैठक की अनुपाल आख्या बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की गयी, जिसका अवलोकन कर पुष्टि करते हुये 111वीं बोर्ड बैठक के संचालन की अनुमति प्रदान की गयी, बोर्ड के समक्ष लगभग 75 प्रकरण प्रस्तुत किये गये जिस पर चर्चा उपरान्त नियामानुसार कार्यवाही करने के निर्देशों के साथ स्वीकृति प्रदान की गयी।

बैठक के समक्ष निम्न बिन्दु प्रस्तुत किये गये :

1. वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु प्राधिकरण द्वारा लगभग 01 हजार करोड का बजट प्रस्तुत किया गया
2. आम जन मानस से जुडे विभिन्न प्रस्ताव जैसे ईको रिजाॅर्ट, होटल, व्यवसायिक निर्माण,आवासीय तलपट मानचित्र आदि प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की गयी
3. प्राधिकरण की गतिमान परियोजनाओं जैसे आढत बाजार, धैलास आवासीय योजना, आमवाला तरला आवासीय योजना, पर चर्चा की गयी व साथ शहर के बढते जन घनत्व को देखते हुये सबको आवास उपलब्ध कराये जाने हेतु नयी आवायीय योजना हेतु भूमि का चयन करते हुये नयी आवासीय योजना बनाये जाने पर चर्चा की गयी जिससे आम जन को सस्ते आवास उपलब्ध कराये जा सके साथ ही आमवाला तरला, आई0एस0बी0टी0 आवासीय परियोजना में निर्मित फ्लैटों को बेचने व आय में वृद्धि करने के लिए अध्यक्ष महोदय द्वारा कार्य की सराहना भी की गयी।
4. औद्योगिक परियोजन हेतु आई0टी0 कम्पनियों को स्थापित किये जाने के लिए लैण्ड पूलिंग के तहत भूमि क्रय किये जाने पर बोर्ड द्वारा सहमति प्रदान की गयी।

बैठक में विनय शंकर पाण्डेय, आयुक्त, गढवाल मण्डल (अध्यक्ष), बंशीधर तिवारी , उपाध्यक्ष मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (सदस्य), विजय कुमार, संयुक्त सचिव वित्त नामित प्रतिनिधि (सदस्य), नरेन्द्र सिंह रावत अनु सचिव आवास नामित प्रतिनिधि (सदस्य), जय भारत सिंह अपर जिलाधिकारी नामित प्रतिनिधि (सदस्य), गोपाल राम बिनवाल अपर नगर आयुक्त नामित प्रतिनिधि (सदस्य), एस.एम. श्रीवास्तव मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक उत्तराखण्ड (सदस्य), मोहन सिंह बर्निया सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, गौरव चटवाल, संयुक्त सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, संजीव कुमार सिंह वित्त नियंत्रक, एचसी एस. राणा मुख्य अभियन्ता, सुनील कुमार अधिशासी अभियन्ता, अतुल कुमार गुप्ता अधिशासी अभियन्ता, सुधीर कुमार गुप्ता सहायक अभियंता, अजय कुमार मलिक सहायक अभियंता आदि उपस्थित रहे।

चुनाव आयोग ने बीते 100 दिनों में शुरू की 21 पहलें

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चुनाव प्रक्रिया और मतदाता सुविधा को सुदृढ़ करने की दिशा में आयोग के प्रयास

देहरादून/दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने देश में मतदाता अनुभव को बेहतर बनाने और चुनाव प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने की दिशा में बीते 100 दिनों में 21 नई पहलें शुरू की हैं। आयोग ने हाल में ही प्रक्रियागत सुधार, प्रशिक्षण कार्यक्रम और हितधारकों के साथ जुड़ाव जैसे प्रभाशाली कदम उठाए हैं। देश के 26वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार के कार्यभार ग्रहण करने के पहले 100 दिन उद्देश्यपूर्ण, व्यावहारिक और सक्रिय प्रयासों की ओर चिह्नित रहे हैं। मार्च 2025 में आयोजित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की उपस्थिति में एक सशक्त चुनाव आयोग की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
मतदाता की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए आयोग ने एक मतदान केंद्र पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1,500 से घटाकर 1,200 कर दी है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों जैसे गेटेड सोसाइटी और बहुमंजिला इमारतों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। आयोग का लक्ष्य है कि किसी भी मतदाता को मतदान करने के लिए 2 किमी से अधिक दूरी तय न करनी पड़े। वोटर इन्फारमेंशन स्लिप को अब और स्पष्ट बनाया गया है, जिसमें क्रमांक और भाग संख्या को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। मतदाताओं की सुविधा के लिए मदतान के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर मोबाइल जमा करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उम्मीदवारों द्वारा स्थापित बूथ अब मतदान केंद्र परिसर से 200 मीटर के बजाय 100 मीटर की दूरी पर लगाए जा सकेंगे।
आयोग ने नागरिकों की सुविधा को देखते हुए सरल और इंट्रीग्रेटेड यूजर इंटरफेस ईसीआई नेट के रुप में नया डैशबोर्ड विकसित किया गया है, जो सभी हितधारकों को एक ही स्थान पर सेवाएं प्रदान करेगा। अभी तक अलग-अलग कार्यो हेतु उपयोग होने वाली 40 से अधिक एप्प/वेबसाइट्स को ईसीआईनेट डैशबोर्ड प्रतिस्थापित करेगा। इसके कुछ मॉड्यूल वर्तमान उपचुनावों में उपयोग के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे और बिहार विधानसभा चुनावों तक संपूर्ण डैशबोर्ड सभी के लिए उपलब्ध होगा।

आयोग ने मृतकों के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से मृत्यु पंजीकरण डेटा का सीधा एकीकरण किया गया है। बीएलओ इस प्रक्रिया में फील्ड जांच के बाद अपडेशन का कार्य करेंगे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अनुसार, उपचुनाव से पहले पहली बार विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया गया है। राजनीतिक दलों से संवाद को संस्थागत बनाने के लिए निर्वाचन आयोग ने देशभर में 4,719 बैठकें आयोजित कीं, जिनमें 28,000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इनमें सीईओ स्तर पर 40, डीईओ स्तर पर 800 और ईआरओ स्तर पर 3,879 बैठकें शामिल है। आयोग ने दिल्ली में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों जैसे आप, भाजपा, बसपा, माकपा और एनपीपी के नेताओं के साथ भी परामर्श किए हैं।

निर्वाचन आयोग द्वारा बीएलओ /सुपरवाइजर और राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए ) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार किया गया है। 3,500 से अधिक बीएलओ/सुपरवाइजरों को दिल्ली में प्रशिक्षित किया गया है और आने वाले वर्षों में 1 लाख से अधिक बीएलओ सुपरवाइजरों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। आयोग द्वारा जुलाई के मध्य तक, लगभग 6,000 बीएलओ/सुपरवाइजरों को 20 बैचों में प्रशिक्षित किया जाएगा। बिहार, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, केरल और असम जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आयोग की एक और पहल में सभी बीएलओ को मानकीकृत फोटो पहचान पत्र दिए जाएंगे।

अयोग ने एक और पहल करते हुए सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सीईओ मीडिया सेल अधिकारियों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। आयोग ने 28 प्रमुख हितधारकों (जैसे मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार आदि) के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी विकसित किए गए हैं, जो आरपी एक्ट 1950, 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960 और चुनाव आचरण नियम 1961 तथा ईसीआई निर्देशों पर आधारित हैं। आयोग ने हाल में ही राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट्स और सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उपस्थित रहे। इसका उद्देश्य आयोग की कानूनी रूपरेखा को नए सिरे से तैयार करना और बेहतर तालमेल बनाना था।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 21 नई पहलें (19 फरवरी 2025 – 29 मई 2025)
1. एक मतदान केंद्र पर अधिकतम मतदाता सीमा 1,200 तक सीमित
2. बहुमंजिला इमारतों/हाउसिंग कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र
3. मृत्यु पंजीकरण डेटा सीधे RGI से लेकर मतदाता सूची अद्यतन
4. मतदाता सूचना पर्ची को अधिक स्पष्ट और उपयोगी बनाया गया
5. मतदान केंद्रों पर मोबाइल जमा सुविधा
6. CEO/DEO/ERO स्तर पर 4,719 सर्वदलीय बैठकें; 28,000+ प्रतिनिधियों की भागीदारी
7. मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय/राज्य दलों के साथ बैठकें – AAP, BJP, BSP, CPI(M), NPP
8. राजनीतिक दलों के BLAs के लिए IIIDEM में प्रशिक्षण (बिहार, TN, पुडुचेरी)
9. प्रचार हेतु दूरी सीमा में ढील – 100 मीटर के बाहर बूथ लगाने की अनुमति
10. नया एकीकृत डैशबोर्ड – ECINET (40+ ऐप्स की जगह एक)
11. डुप्लिकेट EPIC नंबर की समस्या हल, अब यूनिक EPIC नंबर
12. चुनाव प्रक्रिया के 28 हितधारक चिन्हित
13. इन हितधारकों के लिए अधिनियमों/नियमों पर आधारित प्रशिक्षण
14. राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन – कानूनी सुधारों के लिए
15. BLOs को मानकीकृत फोटो ID कार्ड
16. IIIDEM में BLO सुपरवाइजरों का प्रशिक्षण –

• 3,500 से अधिक प्रशिक्षित
• 6,000 और जुलाई तक प्रशिक्षित होंगे
• 1 लाख का लक्ष्य

17. CEO कार्यालयों के मीडिया अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण
18. बिहार के पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण
19. बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू
20. ई-ऑफिस प्रणाली का कार्यान्वयन
21. सभी राज्यों/UTs के CEOs के साथ नियमित बैठकें

रुद्रप्रयाग के नवनियुक्त मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र सिंह रावत ने संभाला कार्यभार

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रुद्रप्रयाग- जनपद रुद्रप्रयाग में नवनियुक्त मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र सिंह रावत ने आज कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप जनपद में संचालित विभिन्न विकास योजनाओं को गति दी जाएगी और जनता तक इनका लाभ सरलता से पहुँचाया जाएगा।
मुख्य विकास अधिकारी राजेद्र सिंह रावत ने अपने प्राथमिक उद्देश्यों में महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने पर विशेष बल दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं जैसे महिला स्वयं सहायता समूह, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इत्यादि के माध्यम से महिलाओं को अधिक से अधिक स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। इससे न केवल महिलाओं की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

मुख्य विकास अधिकारी राजेद्र सिंह रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि जनपद में चल रहे विकास कार्यों की वे स्वयं हर सप्ताह समीक्षा करेंगे और उनकी प्रगति की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक सुगमता से पहुँचे, इसके लिए वे पूरी निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करेंगे।

इससे पूर्व राजेन्द्र सिंह रावत संयुक्त विकास आयुक्त, आयुक्तालय, ग्राम्य विकास विभाग, पौड़ी गढ़वाल के रूप में कार्यरत रहे। इसके अलावा वे जनपद चंपावत में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं, जहां उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को धरातल पर सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया। उनके नेतृत्व में चंपावत जनपद में बुनियादी ढांचे से लेकर आजीविका संवर्धन तक, सभी क्षेत्रों में ठोस प्रगति दर्ज की गई थी।

मामूली विवाद और बेटे ने मां को कुल्हाड़ी से काट डाला, हत्यारोपी गिरफ्तार

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अल्मोड़ा, उत्तराखंड़ के अरल्मोड़ा जिले के भिकियासैण क्षेत्र के कनगढ़ी गांव में एक दिल दहलाने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया। एक कलयुगी बेटे, आनंद राम ने मामूली विवाद में अपनी 71 वर्षीय बुजुर्ग मां गाऊली देवी की कुल्हाड़ी से हमला कर निर्मम हत्या कर दी। राजस्व पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हत्यारोपी को अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच गिरफ्तार कर लिया और हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद की। शव को पोस्टमार्टम के लिए रानीखेत भेजा गया है। यह घटना बुधवार सुबह की बताई जा रही है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी।
मिली जानकारी के अनुसार, गाऊली देवी पत्नी मूसीराम अपने छोटे बेटे गोपाल राम के साथ रहती थीं। बुधवार को वह अपने बड़े बेटे आनंद राम के घर कुछ सामान देने गई थीं। इसी दौरान दोनों के बीच किसी बात पर विवाद हो गया। गुस्से में आकर आनंद राम ने कुल्हाड़ी से अपनी मां पर हमला कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। आनंद राम गांव में अकेला रहता है, जबकि उसकी पत्नी और तीन बच्चे बाहर रहते हैं। घटना की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार सुबह करीब 11 बजे मुखबिर की सूचना पर राजस्व पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। उस समय परिजन गाऊली देवी के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप कर शव को कब्जे में लिया और पंचायतनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए रानीखेत भेजा।
गोपाल राम की तहरीर पर राजस्व पुलिस ने आनंद राम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और उसे मौके से हिरासत में ले लिया। हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली गई। राजस्व पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई ने मामले को और गंभीर होने से रोक दिया। जांच में शामिल राजस्व पुलिस टीम में कानूनगो जितेंद्र थपलियाल, राजस्व उपनिरीक्षक महेश प्रसाद बिजल्वाण और राजस्व उपनिरीक्षक पंकज बिष्ट शामिल थे।
इस घटना ने कनगढ़ी गांव और आसपास के क्षेत्र में भय और स्तब्धता का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों में इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है कि एक बेटा अपनी मां के प्रति इतना क्रूर कैसे हो सकता है। राजस्व पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि घटना के पीछे के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके। इस बीच, क्षेत्र में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सामुदायिक जागरूकता और पुलिस सतर्कता पर जोर दिया जा रहा है।

राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने ली सांसद आदर्श ग्राम हरिपुर कलां की समीक्षा बैठक

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देहरादून, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने बृहस्पतिवार को विकास भवन सभागार में सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत हरिपुर कलां में संचालित विकास कार्याे की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने सांसद आदर्श ग्राम हरिपुर कलां को विभागीय योजनाओं से शत प्रतिशत आच्छादित करते हुए एक आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने पर जोर दिया।
राज्यसभा सांसद ने स्वास्थ्य विभाग को ग्राम पंचायत हरिपुर कलां में वैलनेस सेंटर का संचालन शीघ्र शुरू करने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने हेतु विभागीय स्तर से प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग को स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी राजकीय इंटर कॉलेज हरिपुर कलां में खेल मैदान का समतलीकरण, चारदीवारी और प्रार्थना सभा स्थल के लिए टिन शेड निर्माण कराने के साथ ही विद्यालय में रिक्त पदों पर शिक्षकों की तैनाती हेतु तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
राज्यसभा सांसद ने निर्देशित किया कि सरकार द्वारा निर्धारित विकास के सभी 09 सूचकांकों में सांसद आदर्श ग्राम को श्रेणी ‘ए’ में लाया जाए। सांसद ने कहा कि ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने से पहले ग्राम पंचायत में महिला सभा एवं बाल सभा के प्रस्ताव शामिल किए जाए। सांसद आदर्श ग्राम में प्रत्येक माह बाल सभा और हर तीन महीने में महिला सभा का आयोजन किया जाए। सांसद आदर्श ग्राम जीवनवाला एवं हरिपुर कलां में बैंकिग सुविधाओं के साथ लोगों के जनधन खाते, पीएम जीवन ज्योति, पीएम जीवन सुरक्षा बीमा से जोड़ा जाए। एनआरएलएम समूह और सहकारिता के अंतर्गत गठित सोसाइटियों को ऋण वितरण करते हुए किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए योजनाएं तैयार की जाए।
राज्यसभा सांसद ने किसानों को कृषि और उद्यानीकरण में नए प्रयोग और तकनीकि का प्रशिक्षण देकर काश्तकारों की आजीविका संर्वधन के निर्देश दिए। कहा कि पॉलीहाउस एवं अन्य योजनाओं में सरकार द्वारा 80 प्रतिशत तक दी जा रही सब्सिडी की जानकारी देकर किसानों को योजना से लाभान्वित किया जाए। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका संर्वधन की दिशा में ठोस प्रयास करें। महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों के विपणन हेतु उचित मार्केट की व्यवस्था की जाए। लोक संस्कृति एवं कला को जीवंत रखने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाए।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सांसद आदर्श ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन किया जाए। आदर्श ग्राम के अंतर्गत पर्यटक स्थलों पर विशेष स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित करें। हर घर में सोलर लाइट लगवाने हेतु उरेडा एवं विद्युत विभाग पूरा प्रोजेक्ट तैयार करें। राज्यसभा सांसद ने कहा कि हरेला पर्व निकट है। हरेला पर्व के अवसर पर सांसद आदर्श ग्रामों में वृहद स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाया जाए।
सांसद ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि सांसद आदर्श ग्रामों में विकास योजना के निर्माण कार्याे को गुणवत्ता के साथ प्राथमिकता पर पूर्ण किया जाए। जो कार्य पूर्ण कर लिए गए है उनकी रिपोर्ट उपलब्ध करें। सांसद आदर्श ग्राम में विभाग जो काम करने जा रहा है उसकी जानकारी भी साझा करें।
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने सांसद आदर्श ग्राम हरिपुर कलां में संचालित विकास कार्याे से मा0 सांसद को अवगत कराया। बताया कि सांसद आदर्श ग्राम हरिपुर कलां में विभिन्न विभागों के 68 कार्य स्वीकृत थे। इसमें से 59 कार्य पूर्ण हो गए है और 02 कार्य प्रगति पर है। जबकि 07 कार्य बजट के अभाव में अभी शुरू नहीं हुए है। इस वर्ष इन सभी कार्यो को पूर्ण किया जाएगा।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, परियोजना निदेशक डीआरडीए विक्रम सिंह, जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मुनोज कुमार शर्मा, मुख्य शिक्षा अधिकारी वीके ढ़ौडियाल, डीपीआरओ मनोज कुमार, डीएसओ केके अग्रवाल, जीएमडीआईसी अंजली रावत, जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार सहित विद्युत, पेयजल, सड़क, ग्राम्य विकास, सहकारिता, सेवायोजना आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

हरिद्वार जमीन घोटाले में बड़ा खुलासा, जांच के घेरे में आये डीएम कर्मेन्द्र सिंह समेत कई अफसर

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हरिद्वार, जनपद के जमीन घोटाला मामले में जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह समेत कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच का दायरा अब सख्ती से बढ़ाया जा रहा है। इस बहुचर्चित घोटाले की जांच कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने अपनी रिपोर्ट पूरी कर उत्तराखंड शासन को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में जमीन के अवैध आवंटन, रिकॉर्ड में हेराफेरी और नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई है।

हरिद्वार जमीन घोटाले को लेकर की जा रही प्रशासनिक जांच ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। आईएएस रणवीर सिंह चौहान द्वारा की गई इस जांच की रिपोर्ट अब शासन को सौंप दी गई है, और इससे जुड़ी जानकारियां राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला सकती हैं।
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में तीन वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कर्मेंन्द्र सिंह जिलाधिकारी, हरिद्वार, उनकी भूमिका को लेकर रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि उन्होंने भूमि हस्तांतरण और रिकॉर्ड प्रक्रियाओं में अनियमित निर्णय लिए। साथ ही वरुण चौधरी तत्कालीन नगर आयुक्त और अजयवीर सिंह एसडीएम पर आरोप है कि नगर निकाय से जुड़े भूमि संबंधी मामलों में उन्होंने लापरवाही बरती। यह मामला सरकारी जमीनों के अवैध आवंटन और दस्तावेजों में फर्जीवाड़े से जुड़ा है। आरोप है कि हरिद्वार में कई एकड़ की कीमती जमीनें नियमों को ताक पर रखकर निजी व्यक्तियों को सौंप दी गईं। कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे हस्तांतरण किया गया। यह घोटाला न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राज्य में भूमि नीति और संपत्ति प्रबंधन प्रणाली की पारदर्शिता कितनी जरूरी है।

उत्तराखंड सरकार ने निजी स्कूलों की एनओसी रद्द करने का जारी किया फरमान, आरटीई उल्लंघन बर्दाश्त नहीं

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देहरादून, प्रदेश की धामी सरकार अब शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के अनुपालन में किसी भी तरह की लापरवाही को लेकर सख्त रुख अपनाने जा रही हैं। सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री ने साफ कर दिया है कि जो निजी स्कूल आरटीई के तहत छात्रों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने शासकीय आवास पर विभागीय अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के क्रियान्वयन की स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक में मंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में आरटीई के तहत हुए नामांकनों की विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र महानिदेशालय को सौंपें।
डॉ. रावत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूल आरटीई अधिनियम के तहत निर्धारित मानकों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं या नहीं। इसके लिए औचक निरीक्षण किए जाएंगे। यदि किसी भी स्कूल द्वारा आरटीई के प्रावधानों की अवहेलना पाई जाती है तो संबंधित स्कूल के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इस लापरवाही के लिए संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी और मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। मंत्री ने स्पष्ट किया कि आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) और वंचित समूहों के बच्चों के लिए आरक्षित हैं और इन पर अनिवार्य रूप से नामांकन होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई स्कूल प्रवेश के लिए अनुचित प्रक्रिया अपना रहे हैं, जैसे लिखित परीक्षा लेना, जो कि अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।

राज्य के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो निजी स्कूल आरटीई के तहत निर्धन और वंचित वर्गों के बच्चों का नामांकन नहीं कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने दो टूक कहा कि जिन स्कूलों में RTE के तहत नामांकन नहीं हो रहा है, उन्हें नोटिस जारी कर उनकी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह उनके संचालन पर सीधा प्रभाव डालेगा। जनपद (जिला) और ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। ये अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सभी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय आरटीई अधिनियम के प्रावधानों का पालन करें। सरकार की इस सख्ती के बाद प्रदेशभर के निजी स्कूलों में हलचल तेज हो गई है। कई स्कूल अब अपने स्तर पर रिकॉर्ड और प्रवेश प्रक्रिया की समीक्षा कर रहे हैं ताकि वे नियमानुसार चल सकें और किसी प्रकार की कार्रवाई से बच सकें। सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी हो और किसी भी बच्चे को केवल इस आधार पर वंचित न किया जाए कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है।

क्या है आरटीई कानून..?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक कानून है, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम के तहत देशभर के सभी निजी अनुदानित एवं गैर-अनुदानित स्कूलों को अपनी कुल प्रवेश क्षमता का कम से कम 25% हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस ) और वंचित समूहों के बच्चों के लिए आरक्षित करना होता है। इन बच्चों की शिक्षा का खर्च सरकार उठाती है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट कहा है कि जो निजी स्कूल आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं, उनके खिलाफ एनओसी रद्द करने तक की कार्रवाई की जाएगी। जिला एवं ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे स्कूलों की जांच कर यह सुनिश्चित करें कि आरटीई का पालन हो रहा है। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को चेतावनी दी है कि वे आरटीई के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें, अन्यथा मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सीएम धामी ने ‘मुख्य सेवक संवाद’ में की सौर स्वरोजगार योजना के विस्तार की घोषणा

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“मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से जुड़ी महिलाओं को सौर सखी नाम दिया जायेगा”

देहरादून, प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के विकासकर्ताओं के साथ मुख्य सेवक संवाद कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से जुड़ी महिलाओं को सौर सखी नाम दिया जायेगा। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना और स्वरोजगार से जुड़ी अन्य योजनाओं को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने विकासखण्डों में विशेष शिविरों के आयोजन किये जायेंगे। सौर प्लांटों के रख-रखाव के लिए प्रत्येक जनपद में लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य में 250 मेगावाट का लक्ष्य पूर्ण किया जा चुका है। इस योजना को और विस्तार की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। सौर ऊर्जा का स्त्रोत असीमित होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सौर ऊर्जा के उपयोग को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, पीएम कुसुम जैसी योजनाओं के साथ ही भारत के नेतृत्व में इंटरनेशनल सोलर अलाइंस का गठन सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा के माध्यम से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य भी उन्होंने रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई सौर ऊर्जा नीति भी लागू की है। वर्ष 2027 तक 2500 मेगावाट सोलर क्षमता का लक्ष्य रखा है। राज्य में रूफटॉप सोलर प्लांट्स को बढ़ावा देने के लिए विशेष सब्सिडी प्रदान की जा रही है। पीएम सूर्यघर योजना के माध्यम से भी सोलर पावर प्लांट्स की स्थापना के लिए लाभार्थियों को सब्सिडी दी जा रही है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 20 से 200 किलोवाट तक की परियोजनाएं स्थापित करने पर 20 से 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के साथ -साथ दिव्यांगजनों को 5 प्रतिशत का अतिरिक्त अनुदान भी दिया जा रहा है। योजना के अंतर्गत संयंत्र स्थापित करने के लिए ऋण पर 4 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। यूपीसीएल द्वारा पावर परचेज एग्रीमेंट के माध्यम से 25 वर्षों का अनुबंध कर बिजली खरीद की गारंटी भी सुनिश्चित की गई है। पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए आवेदन से लेकर आवंटन तक की व्यवस्थाओं को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सरल, सुलभ और दक्ष बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।आज भारत 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था बनकर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो चुका है। ’वोकल फॉर लोकल’, ’मेक इन इंडिया’ और ’स्टार्टअप इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तीव्र गति से अग्रसर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य किये जा रहे हैं। ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना के माध्यम से हमने स्थानीय आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया है, जबकि ’हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड ने हमारे स्थानीय उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाने का काम किया है।
संवाद के दौरान उत्तरकाशी के शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना पर्वतीय क्षेत्रों के लिए काफी फायदेजनक हैं, इससे बजंर भूमि का सदुपयोग भी हो रहा है। चमोली के विकास मोहन ने कहा कि इस योजना का विकासखण्ड स्तर तक प्रचार हो, ताकि लोग इसका अधिकतम फायदा उठा सकें। पौड़ी की रूपा रानी ने कहा कि महिला शक्ति को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा क्षेत्र में योजना बनाई जानी चाहिए। चम्पावत के केतन भारद्वाज ने कहा कि सोलर प्लांटों के रख-रखाव के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.मीनाक्षी सुदंरम, अपर सचिव एवं निदेशक उरेडा रंजना राजगुरू, प्रबंध निदेशक यूजेवीएनएल संदीप सिंघल, प्रबंध निदेशक पिटकुल पी.सी.ध्यानी मौजूद थे।

चिकित्सा सुविधाओं को बार-बार बंद किए जाने से परेशान पेंशनर संगठनों ने सीएम से लगाई स्थायी समाधान की गुहार

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देहरादून, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की गोल्डन कार्ड योजना के अंतर्गत निजी अस्पतालों द्वारा बकाया भुगतान को लेकर चिकित्सा सुविधाओं को बार-बार बंद किए जाने से परेशान पेंशनर संगठनों ने मुख्यमंत्री धामी से स्थाई समाधान निकालने की अपील की है। पेंशनर संगठनों का कहना है की मुख्य सेवक सदन में प्राधिकरण, स्वास्थ्य, वित्त विभाग के अधिकारियों तथा पेंशनर संगठनों के साथ सीधे संवाद कर समस्याओं स्थाई समाधान हेतु निर्णायक कदम उठाए जाएं।
उत्तराखंड पेंशनर समन्वय समिति द्वारा आयोजित संवाद में प्राधिकरण को 104 करोड़ के बकाया (गैप फंडिंग) हेतु 75 करोड़ उधार देने के बाद बाकी बचे 29 करोड को लटका कर आगामी महीनों में बकाया की कैंसर रूपी बीमारी को अधर में छोड़े जाने पर आश्चर्य प्रकट किया गया है।पेंशनर के अनुसार 2021 से संचालित इस योजना के लागू होने से पहले पेंशनर्स की चिकित्सा का पूरा भार सरकार उठाती थी। परंतु इसके बाद पेंशनर्स/कार्मिकों के पैसे से यह योजना संचालित है जिसमें प्राधिकरण के कार्मिकों के वेतन बिल्डिंग आदि के खर्चे, जो सरकार की जिम्मेदारी बनती है,पेंशनर्स के पैसों से ही पूरे किए जाते हैं। पेंशनर्स का कहना था की जब देशभर में राज्य सरकारें अपने बजट से ही पेंशनर्स को चिकित्सा सुविधा दे रही है लेकिन उत्तराखंड अनोखा राज्य है जहां पेंशनर्स/कार्मिक अपना पैसा जमा करा कर चिकित्सा करा रहे हैं। इसमें सरकार का कोई पैसा नहीं लगता है। राज्य के पूर्व अधिकारियों का कहना है की प्रीमियम और खर्च के बीच जो भी बकाया (गैप फंडिंग) है वो सरकार की ही जिम्मेदारी है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में राज्यों पर ही चिकित्सा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी डाली गई है। पेंशनर से प्रीमियम बढ़ाने के प्राधिकरण के प्रस्ताव पर आक्रोश व्यक्त करते हुए इस पर असहमति भी जताई गई है। इनकी मांग है कि प्राधिकरण के आय और व्यय का पेंशनर्स के साथ विशेष ऑडिट कराया जाना जरूरी है जिससे उनकी शंकाओं का समाधान हो सके। गोल्डन कार्ड योजना में कैशलेस ओपीडी लागू न होने पर भी पेंशनर्स ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
संवाद में सचिवालय सेवानिवृत्त पेंशनर्स एसोसिएशन के गिरीश चंद्र भट्ट, गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन उत्तराखंड के एस के नैयर, प्रधानाचार्य परिषद के आलोक गोयल, सेवानिवृत्ति राज्य आंदोलनकारी कर्मचारी शिक्षक अधिकारी संगठन के नवीन नैथानी,उत्तराखंड पेंशनर समन्वय समिति के सुशील त्यागी, उत्तराखंड पुलिस पेंशनर्स कल्याण समिति के जगदीश आर्य,राजकीय पेंशनर्स परिषद के गणपत सिंह बिष्ट ,उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के पंचम सिंह बिष्ट, उत्तराखंड़ पुलिस पेंशनर्स एसोसिएशन के एमपी सैनी सहित यज्ञपाल सिंह, विनोद प्रकाश रावत, महेंद्र सिंह तोमर,वीरेंद्र कुमार, फारूक हसन, रमेश चंद्र पांडे, सत्ये सिंह बिष्ट, एपी कोठारी, दीपचंद शर्मा आदि शामिल थे।

प्रदेशभर की भोजनमाताएं 2 और 3 जून को दून में करेंगी धरना प्रदर्शन

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देहरादून, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 2-3 जून को देहरादून में धरना -प्रदर्शन करेगी जिसमें पूरे प्रदेश की भोजनमातायें भाग लेंगी।

स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में संगठन की अध्यक्षा शारदा ने कहा कि मिड डे मील वर्कर्स जिन्हें उत्तराखंड़ सरकार भोजन माता कहती हैं उन्हें न्यूनतम वेतनमान से काफी कम मानदेय मात्र 3000 रुपए देती है। जबकि उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय ने कुछ साल पहले इस संबंध में भोजनमाताओं से इतने बेहद कम मानदेय पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह बंधुवा मजदूरी है संविधान का उल्लंघन है न्यायालय ने सरकार को भोजनाताओं/रसोइयों को न्यूनतम वेतन देने का आदेश दिया था, वहीं उत्तराखंड सरकार भोजन माताओं के इस काम को भी छीनकर बेरोजगार बनाने की साजिश रच रही है। एक ओर विधायकों की पेंशन, भत्ते और तनख्वाह में बढ़ोत्तरी हो रही है तो दूसरी तरफ भौजनमाताओं को मात्र 3000 रुपए देने के बावजूद अब अक्षयपात्र फाउंडेशन जैसी संस्थाओं से स्कूलों में बच्चों के भोजन उपलब्ध करवाकर, रोजगार छीनने की योजना पर काम कर रही है।

पत्रकारों से रूबरू होते हुये शारदा ने कहा कि हमारे काम को छीनने के लिए तमाम तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं। कभी स्कूल में कम बच्चे होने, तो कभी भोजनमाता के बच्चे स्कूल में ना होने के नाम पर भोजनमाताओं को स्कूल से निकाल दिया जा रहा है। पिछली बार भाजपा सरकार ने और शिक्षा मंत्री ने 5000 रुपए मानदेय देने की घोषणा की थी मगर वास्तव में सरकार इसके बिल्कुल उलट काम कर रही है। हममें से अधिकांश भोजन माताएं पिछले 20-21 सालों से स्कूलों में सेवा दे रही है। इसके बावजूद भी कभी भी स्कूल से निकाले जाने का दंश हम भोजनमाता झेल रही हैं।

संगठन की उपाध्यक्ष रजनी ने कहा कि भोजनमाताओं के लिए थामी सरकार खुद अपने द्वारा घोषित मानदेय को लागू करने के साथ ही न्यूनतम वेतनमान को लागू करे। कहां तो सरकार को हम भोजन माताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया देना चाहिए था, कहां सरकार हमसे हमारा काम छीनने की योजना बना रही है। उपाध्यक्ष रजनी ने कहा कि इतनी महंगाई में 3000 मासिक मानदेय दिया जाना बेहद शर्मनाक है। जबकि कई बार 5000 रु मासिक मानदेय की घोषणा की जा चुकी है। 3000 रुपये भी 11 महिने का ही मिलता है। जून का मानदेय भी नहीं मिलता है। हमें 12 माह का वेतन सहित न्यूनतम वेतन दिया जाना चाहिए।

पत्रकार वार्ता में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की कोषाध्यक्ष नीता ने कहा कि राज्य के कई स्कूलों में भोजनमाताओं से जबरदस्ती अतिरिक्त काम करवाया जाता है। देर तक विद्यालयों में रोक जाता है। कई विद्यालयों में गैरा चूल्हे होने के बाद भी लकड़ी व कंडे से चूल्हे में खाना बनवाया जाता है। सरकार हमारी मांगों को लगातार ही नजर अंदाज कर रही है। इसी संबंध में हम पूरे प्रदेश की भोजनमाताएं 2 और 3 जून को देहरादून में धरना प्रदर्शन करेंगे।

 

*यह हैं मुख्य मांगे :*

 

1. सरकार द्वारा घोषित 5000 रुपए तत्काल लागू किया जाए।

 

2. भोजनमाताओं को विद्यालयों से निकलना बंद किया जाए।

 

3. अक्षय पात्र फाउंडेशन पर रोक लगाई जाए।

 

4. न्यूनतम वेतन लागू किया जाए।

 

5. सभी भोजनमाताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

 

6. भोजनमाताओं को ई एस आई, पेंशन, प्रसूति अवकाश, आकस्मिक अवकाश आदि सामाजिक सुविधाओं को लागू किया जाए।