Saturday, May 10, 2025
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सात निजी अस्पतालों ने उठाया कदम, गोल्डन कार्ड पर इलाज बंद

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देहरादून, आयुष्मान और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत गोल्डन कार्ड पर इलाज देने वाले सात निजी अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया है। इससे सेवारत कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाली कैशलेस इलाज सुविधा पर संकट खड़ा हो गया है। अस्पतालों का कहना है कि उनका बकाया भुगतान 130 करोड़ तक पहुंच चुका है, और इस बकाए का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास वर्तमान में इस भुगतान के लिए बजट नहीं है, जिससे समस्या और जटिल हो गई है। अब इस मुद्दे पर कैबिनेट में फैसला लिया जाएगा। अगर समस्या का समाधान नहीं होता है, तो बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
प्रदेश सरकार ने गोल्डन कार्ड योजना के तहत राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा के तहत कर्मचारियों और पेंशनरों से प्रति माह अंशदान लिया जाता है, जो उनकी पद की श्रेणी के अनुसार होता है। इस अंशदान से ही इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान किया जाता है। लेकिन अंशदान की राशि इलाज पर होने वाले खर्च के मुकाबले कम साबित हो रही है, जिसके कारण अस्पतालों का 130 करोड़ रुपये तक का भुगतान फंसा हुआ है। इस समस्या के चलते हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट, कैलाश, कनिष्क, मेदांता, नारायण हास्पिटल, धर्मशिला और ग्राफिक एरा हॉस्पिटल जैसे अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड पर इलाज देना बंद कर दिया है। यह स्थिति राज्य सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है, और इसे हल करने के लिए कैबिनेट में जल्द ही फैसला लिया जाएगा।

चार लाख से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों के बने गोल्डन कार्ड :

योजना के तहत अब तक चार लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के गोल्डन कार्ड बने हैं। इस योजना में कर्मचारियों के आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा है। लेकिन अंशदान के रूप में कर्मचारियों व पेंशनरों से पद श्रेणी के हिसाब से 250 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक अंशदान लिया जाता है। कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए गोल्डन कार्ड योजना में अंशदान से ज्यादा इलाज पर खर्च हो रहा है। इस योजना को किस तरह संचालित करना है जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट रखा जाएगा। वर्तमान में गोल्डन कार्ड से होने वाले इलाज के लिए सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता है। यह योजना अंशदान से चल रही है।

जून से बायोमीट्रिक ई-पॉस सिस्टम से राशन वितरण, पांच जिलों में हो रही शुरुआत

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देहरादून, प्रदेश में जून से राशन वितरण की नई व्यवस्था लागू की जाएगी, जिसमें बायोमीट्रिक ई-पॉस मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत राज्य के पांच जिलों में ई-पॉस के जरिए राशन वितरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके साथ ही इन मशीनों का वितरण भी लगातार किया जा रहा है, और कर्मचारियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से इस प्रणाली के उपयोग में निपुण बनाया जा रहा है। खाद्य आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार जून से बाकी आठ जिलों में भी इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। यह कदम राशन वितरण में पारदर्शिता, सटीकता और अनुशासन लाने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि लाभार्थियों को सही समय पर और सही मात्रा में राशन मिल सके।
खाद्य आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने राशन विक्रेताओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए ई-पॉस मशीनों के इस्तेमाल में कुछ रियायतें दी हैं। उनका कहना हैं कि राशन वितरण में आने वाली परेशानियों और सरकारी राशन विक्रेताओं के ई-पॉस मशीनों के इस्तेमाल में अभ्यस्त होने की उम्मीद में ऑनलाइन राशन वितरण व्यवस्था को 30 सितंबर तक प्रभावी रखने का निर्णय लिया गया है। इस अवधि के दौरान ऑफलाइन या मैनुअल खाद्यान्न वितरण की अनुमति नहीं होगी, ताकि राशन वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी हो सके। खाद्य आयुक्त ने कहा कि बीते अप्रैल से जनपद हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में ई-पॉस मशीनों के माध्यम से ऑनलाइन राशन वितरण किया जा रहा है। दूसरे चरण में मई से रूद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर में ई-पॉस मशीनें दी जा रही हैं। अब तीसरा और अंतिम चरण जून से निर्धारित है, जब शेष जनपदों को शामिल करके समस्त राज्य में शतप्रतिशत ई-पॉस के माध्यम से राशन वितरण किया जाएगा।यह कदम खाद्यान्न वितरण में सुधार और सटीकता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है, साथ ही राशन विक्रेताओं को ई-पॉस सिस्टम में पूरी तरह से प्रशिक्षित होने का समय भी मिल सके।

हिमालयी वनों में कार्बन स्टॉक मापन चुनौतियों पर गोलमेज सम्मलेन

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देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में शनिवार एक विशेष गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मलेन एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती पर केंद्रित था. इसमें पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्यांकन और कार्बन वित्त के लिए कार्बन स्टॉक माप में अनिश्चितताओं को कम करने पर विचार रखे गए. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा ‘सिडार’ संस्था द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में अकादमिक, तकनीकी और नीतिगत पृष्ठभूमि के 18 विशेषज्ञ शामिल हुए।
सिडार के डॉ. विशाल सिंह ने सेवाओं की संभावनाओं और विश्वसनीय तंत्रों के बारे में बोलते हुए सत्र की शुरुआत की, जिसके माध्यम से कार्बन स्टॉक का उचित मापन किया जा सकता है और समाधान-संचालित संवाद के लिए आधार तैयार किया।
आईईईई के वरिष्ठ निदेशक श्री चंद्रशेखरन ने संगठन की विरासत पर प्रकाश डाला कहा कि हमने वाईफाई मानक विकसित किए – आईईईई प्रौद्योगिकी-उन्मुख है और प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव और समाज के प्रति जिम्मेदारी पर ध्यान देता है।
प्रतिष्ठित पारिस्थितिकीविद् प्रो. एस.पी. सिंह ने एक गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिमालय जितना कार्बन को ठीक करता है, उससे कहीं ज़्यादा कार्बन छोड़ता है। सवाल यह है कि इसे कैसे बहाल किया जाना चाहिए ? उन्होंने पारंपरिक ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए समझाया, महिलाओं द्वारा पेड़ों की छंटाई करना पूरे पेड़ को काटने से बेहतर क्यों है और सामाजिक बदलावों की ओर इशारा किया जैसे कि रिक्शा चालकों ने कार्बन उत्सर्जन को धीमा कर दिया है। उन्होंने पलायन के रुझानों के बारे में भी बात की, उन्होंने कहा, लोग पहाड़ों को छोड़ रहे हैं और खेती छोड़ रहे हैं इस दिशा में पर्यटन और शहद उत्पादन जैसे प्रोत्साहन कार्य लोगों को वापस ला सकते हैं। रितेश शर्मा ने एक तकनीकी कमी का मुद्दा उठाया और कहा भारत में विशिष्ट मानक उपलब्ध नहीं हैं. जबकि लारैब अहमद ने उन्नत कार्यप्रणाली और क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप जीआईएस मॉडल की मांग पर जोर दिया।
डॉ. गजेन्द्र सिंह ने पारिस्थितिकी बदलावों और राज्य स्तरीय चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि पहाड़ों से लोगों के पलायन के परिणामस्वरूप बांज के जंगल बहाल हो रहे हैं, उन्होंने चीड़ और साल जैसी आम तौर पर चर्चित प्रजातियों से परे देखने की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया। अनिल गौतम ने एक मुख्य प्रश्न उठाया कि हमें यह जानना होगा कि इस कार्बन को संचित करने के लिए कितना वनरोपण आवश्यक है. डॉ. विशाल ने कहा, पेड़ केवल कार्बन के तने नहीं हैं – हमें पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर भी ध्यान देना होगा।
प्रो. सिंह ने भी मौजूदा प्रगति को स्वीकार किया कहा कि पहले, पहाड़ी ढलानों पर मवेशियों के पदचिह्न आसानी से दिखाई देते थे, लेकिन अब हम उन्हें मुश्किल से ही देख पाते हैं। रितेश शर्मा ने कहा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और मूल्यांकन दो अलग-अलग चीजें हैं। स्थानीय प्रथाओं के अनुसार योजनाएँ बनाई जानी चाहिए।चर्चा के अंतिम चरण में वक्ताओं का मत रहा कि लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है।
सत्र का समापन करते हुए सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी एस.एस. रसायली ने जन-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया व कहा पर्यावरण संरक्षण और कार्बन स्टॉक से निपटने के साथ-साथ हमें स्थानीय लोगों और जमीनी स्तर के हितधारकों तक भी पहुंचना चाहिए ताकि उनके जीवन में मूल्यवान प्रभाव डाला जा सके।
कुल मिलाकर यह विमर्श भारतीय हिमालय के लिए मानकीकृत, समुदाय-आधारित कार्बन मापन ढांचे की दिशा में एक सार्थक कदम रहा जो विज्ञान, नीति और जीवंत वास्तविकताओं को एकजुट करने की दिशा में एक पहल थी ।

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच सुभाष बड़थ्वाल के नेतृत्व में सीएम से मिला, सौंपा चार सूत्री मांग पत्र

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देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद कें उपाध्यक्ष सुभाष बड़थ्वाल के नेतृत्व मॆं राज्य आंदोलनकारी मांगों के विषयक मुख्यमन्त्री से वार्ता हेतु मिला जिसमें बिन्दुवार चर्चा कर अपनी बात रखी। मुख्यमन्त्री ने आश्वासन देते हुये कहा कि शीघ्र कुछ करते हैं एवं जल्द पुनः चर्चा को हामी भरी। शिष्टमण्डल में सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बड़थ्वाल, दायित्वधारी राजीव तलवार, प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती एवं मसूरी से मंच के उपाध्यक्ष विजय रमोला व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी पुष्पलता सिलमाणा मुख्यरूप से मौजूद रहै।
जगमोहन सिंह नेगी व जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती सभी के साथ मिलकर एक पौधा भेंट किया एवं राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद कें गठन पर आभार प्रकट किया। पुष्पलता सिलमाणा ने मुख्यमन्त्री से कहा कि हमारे कई साथी काफी वर्षों से चिन्हीकरण से वंचित हैं अतः आप इसका शीघ्र निस्तारण हेतु शासनादेश जारी करें। सुभाष बड़थ्वाल एवं जगमोहन सिंह नेगी ने सभी चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों कें लियॆ 10% क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एवं उम्र की छूट के प्रावधान किये जाने की मांग की और नियमावली बने ताकि प्रत्येक व्यक्ति के आश्रित को इसका लाभ मिल सकें, साथ ही 2005 कें शासनादेश/विज्ञप्ति के परिपेक्ष मॆं पालन करते हुये कुछ आंदोलनकारियों ने जो बाद मॆं सेवाकाल से जुड़े उन्हें तत्काल पेंशन व्यवस्था से जोड़ा जायं।
प्रदीप कुकरेती ने माननीय मुख्यमन्त्री से पेंशन पट्टा एवं सम्मानजक राशी करने की बात कहीं। सुभाष बड़थ्वाल ने मिलकर एक मांग पत्र सौंपा जिसमें मुख्यतः 04 बिन्दु थे।

-वर्षों से कई राज्य आंदोलनकारी अपनी चिन्हीकरण के इन्तजार में धरना प्रदर्शन के साथ आपसे वार्ता व पत्र व्यवहार कर चुके हैं। कई जिलों में हमारे राज्य आंदोलनकारी उम्र के आखरी पड़ाव में चिन्हीकरण की प्रतीक्षा में बेठे हैं। चिन्हीकरण कें लम्बित मामलों का शीघ्र निस्तारण करने का शासनादेश जारी कर जिलाधिकारियों को जिला कमेटी कें साथ चिन्हीकरण निस्तारण करने हेतु निर्देश किया जाय।
-लम्बे संघर्ष कें बाद आपने राज्य आंदोलनकारियों कें लियॆ 10% क्षैतिज आरक्षण का विधेयक लागू किया था परन्तु उसका लाभ सभी आंदोलनकारियों को नहीं मिल पा रहा हैं। इसमें रोजगार मॆं लगे हमारे राज्य आंदोलनकारी कें आश्रितों को इससे वंचित रखा गया हैं साथ इसमें ना ही पूर्व की भांति उम्र में छूट का प्रावधान रखा गया हैं, कई आंदोलनकारी साथियों को मजबूरन उस समय नौकरी ज्वाइन की ताकि परिवार का लालन पालन हो सकें औऱ वह मात्र 4/5 वर्ष या 7/8 वर्ष ही राजकीय सेवा का लाभ लें पाया औऱ सेवानिवृत हो गये औऱ बच्चों की शिक्षा दीक्षा के बाद क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा हैं।
अतः एक्ट की प्रथम पंक्ति के अनुसार सभी चिन्हित राज्य आंदोलनकारी एवं उनके आश्रितों को 10% क्षैतिज आरक्षण की सुविधा प्रदान करने हेतु नियमावली बनाने एवं लागू करने की मांग।
-शहीद स्मारक मुजफ्फरनगर मॆं राज्य आंदोलनकारियों की सम्मान पेंशन हेतु घोषणा की गई थी साथ ही लम्बे अरसे से राज्य आंदोलनकारी आपसे सम्मानजनक राशि के साथ पेंशन पट्टे की मांग करते आ रहें हैं, हमारी अधिकतर मातृशक्ति व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी इसी मानदेय पर अपना इलाज व खर्चे पर निर्भर रहती हैं। अत: सम्मानजनक बढ़ी हुई राशि का शासनादेश जारी करने की अपील है ।
-वर्ष 2005 से पूर्व शासनादेश/विज्ञप्ति कें तहत जो भी राज्य आंदोलनकारियों को रोजगार हेतु अवसर प्रदान किया गया था उसमें कुछ राज्य आंदोलनकारियों ने उसके बाद ज्वाइनिंग की गई थी परन्तु उनको आज भी पुरानी पेंशन से वंचित किया गया हैं। आपको पुनः अवगत कराना हैं कि हमारे कई राज्य आंदोलनकारी मात्र 6/7 वर्षों की ही सेवा कर पायें या कुछ सेवा मॆं हैं वह इस पुरानी पेंशन कें लाभ से वंचित हैं, सरकार के 2005 का शासनादेश/विज्ञप्ति के तहत पुरानी पेंशन का लाभ हेतु शीघ्र निस्तारण करने की मांग की।

दोपहर साढ़े 3 बजे आया फोन और., भारत और पाकिस्तान के बीच खत्म हो गया युद्ध

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नई दिल्‍ली। भारत और पाकिस्तान के बीच कई दिनों से जारी तनाव में अब कमी आने के आसार हैं। दोनों देश युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं। शनिवार दोपहर को पाकिस्तान की ओर से बातचीत की पहल की गई। पाक के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से फोन पर बात की। इसमें दोनों देशों के बीच आज शाम पांच बजे से ही सीजफायर लागू करने पर सहमति बनी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले इस युद्धविराम की जानकारी देते हुए ट्रुथ सोशल पर पोस्ट शेयर किया और दावा किया कि भारत और पाकिस्तान में हुए इस सीजफायर में अमेरिका ने मध्यस्थता निभाई।
पिछले महीने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाक में तनाव बढ़ गया था। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और पाकिस्तान के कई आतंकियों को ढेर कर दिया। पाक के हवाई हमलों को भी नाकाम कर दिया गया। इसके बाद, दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा पैदा हो गया। शनिवार दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) की ओर से भारत के डीजीएमओ को फोन किया गया। इसी फोन में दोनों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया, “पाक डीजीएमओ ने आज दोपहर 15:35 बजे भारतीय डीजीएमओ के पास फोन किया। उनके बीच सहमति बनी कि दोनों पक्ष भारतीय समयानुसार शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे। आज दोनों पक्षों को इस सहमति को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। सैन्य संचालन महानिदेशक 12 मई को फिर से बात करेंगे।”
ट्रंप का दावा- अमेरिका ने की मध्यस्थता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका की मध्यस्थता से हुई बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान तत्काल और पूर्ण संघर्ष विराम पर सहमत हो गए। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में घोषणा की, ”अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात चली बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तत्काल और पूर्ण संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं।”
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया कि पिछले दो दिनों में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति वेंस और उन्होंने पीएम मोदी, शहबाज शरीफ, भारत और पाक के विदेश मंत्रियों आदि से बातचीत की, जिसके बाद दोनों देशों में युद्धविराम को लेकर सहमति बनी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ”मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल युद्ध विराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गई हैं। हम शांति का मार्ग चुनने में प्रधानमंत्री मोदी और शरीफ की बुद्धिमत्ता, विवेक की सराहना करते हैं।”
भारत की शर्तों पर हुआ युद्धविराम
दोनों देशों के बीच हुआ युद्धविराम भारत की शर्तों पर हुआ है। भारत ने साफ किया है कि सिंधु जल संधि पर रोक हटने वाली नहीं है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से भारत से संपर्क करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सहमति बन गई। इसमें कोई पूर्व-शर्त या बाद की शर्तें नहीं हैं। सिंधु जल संधि स्थगित है और अन्य सभी फैसले भी स्थगति रहेंगे। आतंकवाद पर भारत की स्थिति वही है।

सकारात्मक सोच और सजग मन: प्रभावी जनसंपर्क का मूल मंत्र

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पीआरएसआई देहरादून ने ध्यान और सकारात्मकता पर आधारित सत्र आयोजित किया*

 

 

 

*हडको और आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से आयोजन*

 

देहरादून, पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI), देहरादून चैप्टर द्वारा “सकारात्मक सोच और सजग मन: प्रभावी जनसंपर्क का मूल मंत्र” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र का आयोजन किया गया। यह आयोजन हडको कार्यालय, राजपुर रोड में हडको और आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से संपन्न हुआ।

 

मुख्य वक्ता सुश्री श्वेता गोलानी रहीं, जो आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ शिक्षिका एवं उत्तराखंड के लिए गवर्नमेंट एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम (GEP) की राज्य निदेशक हैं। उन्होंने ध्यान और मानसिक शांति के महत्व पर प्रकाश डाला तथा बताया कि कैसे सजगता और संतुलनपूर्ण मन के माध्यम से जनसंपर्क में सकारात्मकता लाई जा सकती है। उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग की गतिविधियों की जानकारी भी साझा की।

 

कार्यक्रम का संचालन श्री संजय भार्गव, क्षेत्रीय प्रमुख, हडको द्वारा किया गया, जो स्वयं आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक भी हैं। उन्होंने पीआरएसआई को इस सार्थक पहल के लिए धन्यवाद दिया।

 

पीआरएसआई देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष श्री रवि बिजारनियां ने कहा कि सकारात्मक सोच और सजगता जनसंपर्क को अधिक प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनाने की कुंजी है। हमें हर स्थिति को खुशी से स्वीकार करना चाहिए। मुस्कुराते हुए कोई बात कही जाए तो वो अधिक प्रभावी होती है।

 

कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की और इस अनुभव को अत्यंत उपयोगी बताया। पीआरएसआई के सचिव अनिल सती ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में पीआरएसआई देहरादून चैप्टर के कोषाध्यक्ष सुरेश भट्ट, सदस्य वैभव गोयल, आकाश शर्मा, अनिल वर्मा, प्रताप बिष्ट, संजय बिष्ट, पुष्कर नेगी, सुधीर राणा, अमन नैथानी, संजय सिंह, अशोक कुमार, सुनील कुमार, संजय पांडेय मौजूद थे।

पेयजल शिकायतों का त्वरित गति के साथ निस्तारण जारी रखें : जिलाधिकारी

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देहरादून, जिलाधिकारी सविन बसंल ने कहा कि पेयजल शिकायतों का त्वरित गति के साथ निस्तांरण जारी रखें।
आज यहां जिलाधिकारी सविन बंसल ने पेयजल समस्याओं के त्वरित समाधान को लेकर जिले स्तर पर समिति गठन के साथ सक्रियता से कंट्रोल रूम संचालित है, जो नियमित रूप से पेयजल शिकायतों की निरीक्षा और उनका त्वरित समाधान कर रही है। जिलाधिकारी के निर्देशों पर पानी की समस्या, लीकेज, गंदा पानी आने की शिकायतों पर प्रभावी समन्वय एवं समाधान के लिए जल संस्थान और पेयजल निगम के एक—एक सक्षम अधिकारी की भी कट्रोल रूम में तैनाती की गई है, ताकि किसी भी क्षेत्र से पेयजल से जुड़ी शिकायत मिलने पर जल्द से जल्द उसका समाधान किया जा सके। पेयजल समस्या को लेकर कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर, समाचार पत्र एवं अन्य माध्यमों से अब तक 36 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से 34 शिकायतों का जिला प्रशासन की टीम द्वारा निस्तारण किया जा चुका है। जिले में प्रथम बार जिला प्रशासन के फरमान पर पेयजल सप्लाई संबंधी 07 विभागों के अधिकारी 20 मई से जिला कंट्रोल रूम में तैनात है, जो पेयजल आपूर्ति संबंधी हर समस्या का डे—टू—डे त्वरित समाधान करने में जुटे है। फोन, व्हाट्सएप, मीडिया रिपोर्ट पर आपदा प्रभारी एडीएम और एसडीएम कुमकुम जोशी संबंधित विभागों के जेई एंड एई से डेली मॉर्निंग इवनिंग ब्रीफिंग कर रहे है। जिला प्रशासन के निर्देश पर पाइप से नहीं तो टैंकर से, टैंकर से नहीं तो खच्चर से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि पेयजल शिकायतों का त्वरित गति के साथ निस्तारण जारी रखें और ग्रीष्म काल में हर घर तक न्यून अवधि में निर्बाध, शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। जिलाधिकारी के निर्देशों पर पेयजल संकट वाले क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की नियमित निगरानी भी की जा रही है। सभी ट्यूबवेल व नलकूपों पर निर्बाध विघुत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जल संस्थान एवं जल निगम के सभी डिविजनों में समस्याओं के निस्तारण के लिए टोल फ्री नंबर भी प्रचारित किए गए है। इसके अलावा कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर 0135—2726066 व 1077 पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन की टीम पेयजल आपूर्ति से जुड़ी शिकायतों के त्वरित समाधान और जलापूर्ति व्यवस्था में सुधार के लिए काम कर रही है और जो भी शिकायतें मिल रही है उनका यथाशीघ्र समाधान कराया जा रहा है।

भ्रष्टाचार के विरुद्ध धामी सरकार का कड़ा प्रहार जारी

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मुख्य कोषाधिकारी, एकाउन्टेन्ट कोषागार, नैनीताल को एक लाख 20 हजार रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ किया गया गिरफ्तार

पिछले तीन साल में विजिलेंस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सख्ती से 150+ आरोपी सलाखों के पीछे

आईएएस, आईएफएस, इंजीनियर, जीएसटी असिस्टेंट कमिश्नर सहित वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ तक किसी स्तर के अधिकारी/कर्मचारी को भ्रष्टाचार पर बख्शा नहीं गया

देहरादून- धामी सरकार का भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार जारी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार की शिकायत पर सघन जांच के साथ त्वरित कठोर कार्यवाही के निर्देशों का ही परिणाम है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कार्मिकों को विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को जनपद नैनीताल में विजिलेंस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य कोषाधिकारी, नैनीताल एवं एकाउन्टेन्ट कोषागार, नैनीताल को एक लाख 20 हजार रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने “जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन” की नीति को व्यवहार में लाते हुए बीते तीन वर्षों में ऐतिहासिक निर्णय और ठोस कार्रवाई की है। राज्य में भ्रष्टाचार और नकल माफिया के विरुद्ध जारी अभियान के अंतर्गत अब तक 150 से अधिक आरोपी अधिकारियों, कर्मचारियों और माफियाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में पूर्व IFS अधिकारी आर.बी.एस. रावत और IAS अधिकारी रामविलास यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। यह राज्य प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता की बड़ी मिसाल है।

नकल विरोधी कानून के अंतर्गत बड़ी कार्रवाई: उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने हेतु बनाए गए नकल विरोधी कानून के तहत कई संगठित गिरोहों और दलालों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। 80 से अधिक नकल माफियाओ पर सख्त कार्रवाई की गई। इसी का परिणाम है कि पिछले तीन साल में 23 हजार के करीब युवाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद एक भी नकल की शिकायत नहीं आई।

प्रमुख केस जिनमें त्वरित कार्रवाई की गई:

मुख्य कोषाधिकारी एवं एकाउंटेंट (नैनीताल): ₹1.20 लाख रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार।

लोक निर्माण विभाग के AE (नैनीताल): ₹10,000 रिश्वत लेते पकड़ा गया।

बिजली विभाग का JE (हरबर्टपुर): ₹15,000 रिश्वत लेते पकड़ा गया।

एलआईयू कर्मी (रामनगर): उप निरीक्षक एवं मुख्य आरक्षी गिरफ्तार।

आरटीओ कर्मचारी (कोटद्वार): ₹3,000 रिश्वत लेते पकड़ा गया।

रोडवेज AGM (काशीपुर): ₹90,000 रिश्वत मांगने पर गिरफ्तार।

खंड शिक्षा अधिकारी (खानपुर): ₹10,000 रिश्वत लेते गिरफ्तार।

जीएसटी असिस्टेंट कमिश्नर (देहरादून): ₹75,000 रिश्वत लेते गिरफ्तार।

जिला आबकारी अधिकारी (रुद्रपुर): ₹1 लाख रिश्वत मांगने पर गिरफ्तार।

कानूनगो (पौड़ी): भूमि सीमांकन के नाम पर ₹15,000 रिश्वत लेते पकड़ा गया।

सीएम हेल्पलाइन कर्मचारी (हरिद्वार): शिकायत निपटाने के एवज में रिश्वत मांगने पर गिरफ्तार।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के कड़े निर्देशों के फलस्वरूप राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ी है और आम जनता का विश्वास शासन तंत्र में और मजबूत हुआ है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और नकल के विरुद्ध यह निर्णायक अभियान आगे भी जारी रहेगा।

सीएम धामी ने की गडकरी से मुलाकात, उत्तराखंड़ की सड़क परियोजनाओं के लिए मांगी शीघ्र स्वीकृति

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नई दिल्ली/देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर उत्तराखंड की कई महत्वपूर्ण सड़क और अवसंरचना परियोजनाओं की शीघ्र स्वीकृति का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे राज्य की सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ा है। ऐसे में क्षेत्रीय संपर्क, पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए इन परियोजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि के अंतर्गत लंबित 367.69 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति शीघ्र राज्य सरकार को करने, ऋषिकेश बाईपास परियोजना को स्वीकृति देने तथा बिहारीगढ़-रोशनाबाद (33 किमी) और काठगोदाम-पंचेश्वर (189 किमी) मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का आग्रह किया। देहरादून शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान हेतु बिंदाल और रिस्पना नदियों के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड को एनएच-07 के लूप के रूप में स्वीकृत करने की मांग भी की गई।
मुख्यमंत्री ने मानसखण्ड मंदिर सर्किट परियोजना के तहत 508 किमी की 20 सड़कों के उन्नयन की कुल 8000 करोड़ रुपये लागत की परियोजना के पहले चरण के लिए 1000 करोड़ रुपये की मांग रखी। इसके अतिरिक्त खटीमा रिंग रोड, पंतनगर एयरपोर्ट के कारण प्रभावित एनएच-109 के पुनः संरेखण हेतु 371.84 करोड़ और एनएच-07 पर प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर के लिए 110 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता मांगी गई। एनएच 507 (बाड़वाला-लखवाड़ बैंड, 28 किमी) और एनएच 534 (दुगड्डा-गुमखाल, 18.10 किमी) पर चौड़ीकरण कार्यों को भी शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया गया।
मुख्यमंत्री ने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी प्रस्तावित परियोजनाओं पर शीघ्र निर्णय की अपील की। इस पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय और स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित थे।

आंगनबाड़ी और सहायिका पदों पर जल्दी मिलेगा नियुक्ति पत्र

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देहरादून(आरएनएस)।  प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सात हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी और सहायिकाओं को 20 मई से नियुक्ति पत्र मिलने जा रहे हैं। विभाग ने ज्यादातर पदों के लिए अनअंतिम सूची जारी कर दी है। शुक्रवार को आयोजित समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने जल्द से जल्द अंतिम सूची जारी करने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री रेखा आर्या ने आंगनबाड़ी नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा की। रेखा आर्या ने बताया कि हरिद्वार के अलावा 12 जनपदों की अनअंतिम चयन सूची जारी की जा चुकी है और हरिद्वार की अनअंतिम चयन सूची इस सप्ताह जारी हो जाएगी।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सूची पर जल्द से जल्द आपत्तियां मंगाई जाएं और उनका निस्तारण तय समय सीमा में किया जाए। मंत्री रेखा आर्या ने मुख्यमंत्री जच्चा-बच्चा शुभ जीवन योजना की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं के गर्भ धारण करने के बाद से अगले एक हजार दिन तक उनकी स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और संतान उत्पत्ति के बाद बच्चों के लालन पालन में सहायता सुनिश्चित की जाए। मंत्री ने इस योजना को अंतिम रूप देकर जल्द से जल्द कैबिनेट से पारित कराने के निर्देश दिए हैं। बैठक में मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना में जरूरी संशोधन कर उसे भी कैबिनेट से जल्द पारित कराने के निर्देश दिए गए। इस योजना में एकल महिलाओं को रोजगार के लिए डेढ़ लाख रुपए तक की सब्सिडी जानी है। बैठक में सचिव चंद्रेश कुमार, निदेशक प्रशांत आर्य, उप निदेशक विक्रम सिंह, आरके बलोदी, मोहित चौधरी आदि मौजूद रहे। महिला कल्याण कोष से मिलेगी तुरंत राहत बैठक में महिला कल्याण कोष और मुख्यमंत्री महिला एवं बाल बहुमुखी सहायता निधि योजना पर भी चर्चा की गई। मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि इस योजना का संचालन आबकारी विभाग की ओर से लगाए गए सेस से प्राप्त धन से किया जाएगा। इसके अलावा राज्य में संचालित नंदा गौरा योजना के तहत ग्रेजुएशन या 12वीं के बाद कोई स्किल बेस्ड कोर्स पूरा करने पर भी सहायता राशि दी जाएगी।