Friday, May 23, 2025
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मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने लिए उठाए 18 महत्वपूर्ण कदम

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– मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित
– उत्तराखंड में राजनैतिक दलों के साथ 85 सहित देशभर में 4719 बैठक संपन्न
देहरादून(आरएनएस)।   भारत निर्वाचन आयोग ने देश में मतदान प्रकिर्या में सरल एवं सुगमता के दृष्टिगत बीते कुछ समय में अभूतपूर्व निर्णय लिए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग द्वारा मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए हाल में विभिन्न प्रावधानों में जरूरी बदलाव किए हैं।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित कर दी गई है। ऊंची इमारतों/कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे। मतदाता सूची अपडेशन के लिए, मृत्यु पंजीकरण का डेटा सीधे आरजीआई डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा और सत्यापन के बाद अपडेट किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि वोटर इनफार्मेशन स्लिप को अधिक मतदाता अनुकूल बनाया जाएगा। मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या अब अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित की जाएगी
उत्तराखंड समेत देशभर में राजनैतिक दलों के साथ बैठक
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया की देश के मान्यता प्राप्त दलों के साथ उत्तराखंड में सीईओ स्तर पर 2, डीईओ स्तर पर 13 और  ईआरओ स्तर पर 70 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देशभर में मान्यता प्राप्त दलों  के साथ 4719 बैठकें आयोजित की गईं जिसमें राजनीतिक दलों के 28,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया
निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रीय और प्रदेश के राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ आयोजित की गई। जिसमें आम आदमी पार्टी, भारतीय जानता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई (एम) और एनपीपी शामिल हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ पुरुषोत्तम ने बताया कि आयोग द्वारा नए एकीकृत डैशबोर्ड – ईसीआईनेट की शुरूआत की गई है। जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को एक ही स्थान पर सभी सेवाएँ प्रदान करना है इसके ज़रिए 40 से अधिक ऐप/वेबसाइटों को एक ऐप के माध्यम से संचालित किया है। उन्होंने बताया कि आयोग ने डुप्लिकेट वोटर आइडी कार्ड की समस्या का समाधान किया है। जिसके तहत विशिष्ट इपिक नंबर के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है।
मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया में 28 हितधारकों की पहचान की गई है, जिसमें मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार और अन्य शामिल हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम, 1961 और ईसीआई द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों पर आधारित हैं। इनमें से प्रत्येक हितधारक के लिए आयोग के अधिनियमों, नियमों और निर्देशों के आधार पर ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार की जा रही हैं।

पंचायतों के मतदाता  आयोग के पोर्टल पर ‘‘पंचायत मतदाता खोजें’’ पर क्लिक कर खोज सकते हैं अपना नाम

देहरादून(आरएनएस)।  राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आगामी त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के लिये पंचायत निर्वाचक नामावलियों में नाम खोजने की सुविधा हेतु मतदाता सूची पोर्टल secvoter.uk.gov.in  पर उपलब्ध करा दी गयी है। पंचायतों के मतदाता अपना नाम आयोग के उक्त पोर्टल पर ‘‘पंचायत मतदाता खोजें’’ पर क्लिक कर खोज सकते हैं।
इस संबंध में सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि घर-घर जाकर कराये गये विस्तृत पुनरीक्षण के अनुसार दिनांक  17.01.2025 को अन्तिम रूप से प्रकाशित निर्वाचक नामावली में अंकित मतदाताओं के नाम खोजे जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम कतिपय कारणों से निर्वाचक नामावली के अन्तिम प्रकाशन में सम्मिलित होने से रह गये थे उन मतदाताओं के नाम आयोग द्वारा दिनांक 01.03.2025 से दिनांक 22.03.2025 तक प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में (हरिद्वार जनपद को छोड़कर) ग्रामवार बैठक बुलाकर निर्वाचक नामावली प्रकाशित करने हेतु विशेष अभियान चलाया गया था। उसके बाद भी ग्राम पंचायत के संबंधित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) की निर्वाचक नामावली में नाम सम्मिलित करने हेतु उपलब्ध कराये गये आवेदनों पर जनपदों द्वारा आयोग से स्वीकृति प्राप्ति के बाद उक्त पोर्टल पर खोजे जा सकेंगे।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जनपदों के माध्यम से प्रयास किये गये हैं कि किसी भी पात्र निर्वाचक का नाम निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने से ना छूटे तथापि अभी भी पात्र मतदाता अपने निकटतम विकास खण्ड अथवा तहसील कार्यालय में प्रपत्र भरकर नाम जोड़ने / संशोधन करने हेतु आवेदन कर सकते हैं।

एक देश, एक चुनावः छह माह में विस्तृत रिपोर्ट देंगे राज्य

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-संयुक्त संसदीय समिति ने दूसरे दिन भी लिया उत्तराखंड का फीडबैक
-यह मुद्दा देशहित काः चौधरी
देहरादून।  एक देश, एक चुनाव पर भारत सरकार के स्तर पर गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों से एक साथ चुनाव के नफा-नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे छह महीने के भीतर यह रिपोर्ट समिति को सौंप देंगे। समिति ने जोर देते हुए कहा है कि यह मुद्दा देश हित का है। इसलिए जो भी फैसला आने वाले दिनों में किया जाएगा, उसमें देशहित ही सर्वोपरि रहेगा।

संपूर्ण देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून(संशोधन) विधेयक 2024 पर फीडबैक लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का सिलसिला 21 मई को शुरू हुआ था। कई चरणों में आयोजित दो दिनी बैठक का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। मीडिया से बातचीत में समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने दो दिन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि समिति ने अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्य से एक देश एक चुनाव पर फीडबैक लिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 तक लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। मगर इसके बाद सर्कल बिगड़ गया। वर्ष 1994 से एक साथ चुनाव के लिए कोशिशें हुईं थीं, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाईं। उन्होंने कहा कि इस वक्त फिर से चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए यह कवायद की जा रही है। उन्होेंने कहा कि समिति अपने स्तर से तो फीडबैक ले ही रही है। सभी राज्यों से कहा गया है कि एक साथ चुनाव के प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ-हानि पर विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट प्रेषित करे, ताकि समिति को अपनी रिपोर्ट और बेहतर बनाने में सहयोग मिल पाए।

कोई टाइमलाइन नहीं, जल्दबाजी में काम नहीं
-संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने के मामले में समिति के सामने कोई टाइमलाइन फिक्स नहीं है। समिति किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्व का है, इसलिए ठोस काम करने पर जोर है। समिति पूरे देश में सभी राज्यों तक पहुंचेगी।

. .तो होगा पांच लाख करोड़ का देश को लाभ
-समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि यदि एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो, अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ का लाभ पहुंचेगा। यह जीडीपी का 1.6 फीसदी होगा। उन्होंने सवाल किया, आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं, तो क्या यह गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान चार करोड 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं। इससे उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।

अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव कराने पर जोर
-संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पूरे देश में पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे है। एक सर्कल फिक्स सा हो गया है। एक साथ चुनाव के संबंध  में बहुत सी बातें बाद में निर्धारित होनी है, लेकिन यह सुझाव उपयुक्त माना जा रहा है कि अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए सही रहेगा।

हर तकनीकी दिक्कत का निकलेगा समाधान
-समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में एक साथ चुनाव के विपक्ष में भी यदि कोई तर्क रख रहा है, तो उसे समिति सुन रही है। उन्होंने कहा कि समिति में जितने भी सदस्य हैं, वे अलग-अलग राजनीतिक दल से हैं। उनकी दलीय प्रतिबद्धता हैं। संसद के भीतर उनकी जो भी भूमिका हो, लेकिन एक समिति के सदस्य के रूप में सब संसदीय परंपराओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी दिक्कत का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने बताया कि यह विचार किया जा रहा है कि एक बार एक साथ चुनाव का सर्कल तय हो जाने के बाद यदि किन्हीं कारणों से दोबारा चुनाव की नौबत आती है, तो फिर पूरे पांच साल के लिए चुनाव नहीं कराए जाएंगे। बल्कि सिर्फ शेष बची अवधि के लिए ही चुनाव होंगे। सर्कल को हर हाल में मेंटेंन रखे जाना जरूरी है।

समिति में 41 सदस्य, दो को मताधिकार नहीं
-एक साथ चुनाव के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में 41 सदस्य हैं, जिनमें से दो नामित हैं और उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं है। उत्तराखंड प्रवास के दौरान इन सदस्यों ने विभिन्न संगठनों, विभागों के प्रतिनिधियों से एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की। अध्ययन दौरे के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को उत्तराखंड शासन के प्रमुख अफसरों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार कौंसिल के पदाधिकारियों, आईआईटी रूड़की के प्रतिनिधियों और स्थानीय हस्तियों के साथ समिति ने एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की और सुझाव प्राप्त किए।

‘ही ऑलमोस्ट प्रीवेंटेड पार्टीशन : द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ डॉ. एम. सी. डावर’ पुस्तक पर चर्चा का आयोजन

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देहरादून, दून पुस्तकालय में आज सायं कैप्टन प्रवीण डावर की पुस्तक ‘ही ऑलमोस्ट प्रीवेंटेड पार्टीशन : द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ डॉ. एम.सी. डावर’ पर एक सार्थक चर्चा का आयोजन किया गया, इसमें चर्चाकार के रूप में पूर्व पुलिस अधिकारी,आलोक बी. लाल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल नौरिया और राज्य सभा टीवी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी गुरदीप सिंह सप्पल ने प्रतिभाग किया l
इस महत्वपूर्ण चर्चा में वक्ताओं का कहना था कि यह पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण को सार्थक रूप से उजागर करती है जिसके वजह से विभाजन की परस्थितियाँ उत्पन्न हुईं. यह पुस्तक डॉ. एम सी डावर के एक युवा क्रांतिकारी से शांतिवादी बने व्यक्ति के अंतिम क्षण तक देश के विभाजन को रोकने के लिए किए गए तमाम दृढ़ प्रयासों परसम्यक प्रकाश डालती है। यह पुस्तक औपनिवेशिक सरकार द्वारा होम्योपैथी को मान्यता दिलाने, शरणार्थियों के पुनर्वास, भारत-पाक मैत्री और सार्वभौमिक शांति को बढ़ावा देने में डॉ. डावर की महत्वपूर्ण भूमिका को भी समेटने का शानदार प्रयास करती है। जिन्ना, नेहरू और शास्त्री द्वारा डावर को लिखे गए तमाम पत्र पुस्तक की आकर्षकता को और अधिक बढ़ाते हैं।
चर्चा में यह बात भी निकलकर आयी कि पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी प्रकट होती है, जिसने भारत के विभाजन से बचाने को अपने जीवन का एक मिशन बनाकर खुद को समर्पित कर दिया।

वक्ताओं का मानना था कि उपमहाद्वीप का विभाजन अविश्वसनीय मानवीय कीमत पर हुआ। डॉ. एम.सी. डावर ने विभाजन कि पीड़ा को स्पष्टता से देखकर विभाजन के कारण बेघर और निराश हो चुके शरणार्थियों की पीड़ा को महसूस किया जिसे तब टाला नहीं जा सकता था। उन्होंने न्याय, क्षतिपूर्ति, उचित मुआवजे और बुनियादी मानवाधिकारों के लिए तमाम संघर्ष किये l
दरअसल यह पुस्तक एक ऐसे महान व्यक्ति की गाथा बताने का यत्न करती है, जिसने पहले अपने देश के लिए स्वतंत्रता हासिल करने और फिर उसके बर्बर विभाजन को रोकने का अथक प्रयास किया। यही नहीं उन्होंने एक बहुलतावादी और प्रगतिशील भारत का सपना भी देखने कि कोशिस कि थी l
कुल मिलाकर एम सी डावर के बेटे कैप्टन प्रवीण डावर द्वारा लिखी गई एक बेहतरीन जीवनी के रूप में सामने आती है। जो एक बेहद पठनीय और ज्ञान से भरपूर पुस्तक कही जा सकती है. प्रवीण डावर ने अपने पिता और एक स्वतंत्रता सेनानी की यह जीवनी अब तक अज्ञात अभिलेखों पर आधारित है. मुख्य बात यह है कि तत्कालीन सन्दर्भ में विभाजन को टालने के लिए उनके पिता द्वारा किए गए अथक प्रयासों और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाये रखते हुए मैत्री पूर्ण संबंधो को बनाये रखने की वकालत करती है।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने इस विषय पर अनेक बिंदुओं पर सवाल-जबाब भी किये l

कार्यक्रम के दौरान दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी, निकोलस हॉफलैंड, डॉ. योगेश धस्माना, सुन्दर सिंह बिष्ट,बिजू नेगी, हिमांशु आहूजा, देवेंद्र कुमार कांडपाल सहित शहर के अनेक प्रबुद्ध लोग, लेखक, युवा पाठक व अन्य लोगों में हरि चंद निमेष, के बी नैथानी, शैलेन्द्र नौटियाल, विजय भट्ट, हरिओम पाली, विजय शंकर शुक्ला, डॉ. लालता प्रसाद, डॉ अतुल शर्मा उपस्थित थे l

पति पत्नी सहित तीन लुटेरे गिरफ्तार, लूटी गयी चैन व मंगलसूत्र बरामद

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नैनीताल, चेन लूट की घटनााओं का खुलासा करते हुए पुलिस ने पति—पत्नी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिनके पास से लूटी गयी चेन व मंगलसूत्र बरामद किया गया है।
जानकारी के अनुसार बीते मंगलवार को बसंती देवी पत्नी एचडी पाण्डे निवासी विला प्रियदर्शनी विहार गैर वैशाली विठौरिया न. 1 ने थाना मुखानी में तहरीर देकर बताया गया था कि कुछ अज्ञात संदिग्ध महिलाओ द्वारा उनकी सोने की चेन तथा अन्य दो व तीन महिलाओ के गले के मंगलसूत्र चोरी कर लिया गया है। मामले में पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी। मामले के खुलासे के लिए आलाधिकारियों द्वारा एसओजी व पुलिस टीम का गठन किया गया, पुलिस टीम द्वारा सीसीटीवी के अवलोकन से 3 संदिग्ध महिलाओं व एक गाडी न. डीएल 01 जेडसी 9704 प्रकाश में आयी व मिलने वाले सभी सम्भावित स्थानों में तलाश व अन्य पूछताछ के माध्यम से आज दोपहर गुसाईपुर तिराहे के पास से 3 संदिग्ध लोगों को चुरायी गयी दो चेन व एक मंंगलसूत्र सहित गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हम कैचीधाम धूमने आये थे जिसमे उनको ऑन लाईन पता चला कि ऊँचापुल बालकनाथ मंदिर पर भागवत हो रही है जिसमे हम सब बालकनाथ मंदिर ऊँचापुल मुखानी पहुँचे जहाँ पर भीड भाड का फायदा उठाकर 2 चैन व 1 मंगलसूत्र चोरी कर फरार हो गये। वर्तमान मे आरोपियों की एक सहयोगी भावना पत्नी चन्द्रकान्त निवासी कल्याणी पूर्वी दिल्ली उम्र 35 वर्ष फरार है जिसकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी है। आरोपी मयूरी व सुशील कुमार आपस मे पति—पत्नी है इससे पूर्व भी दोनो हिमाचल प्रदेश के थाना कालाअम्ब जिला सिरमौर से वर्ष 2022 मे चैन स्नैचिंग में जेल जा चुके है।

बयान पर बोले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, कहा शिक्षा मंत्री की स्मरण शक्ति है बेहद कमजोर

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देहरादून, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा की शिक्षा मंत्री की स्मरण शक्ति बेहद कमजोर है, उन्हें दो महीने पहले सदन में स्वयं दिया वक्तव्य भी याद नहीं रहता है। नेता प्रतिपक्ष एक समाचार पत्र में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत द्वारा दिए बयान कि ‘‘प्रधानाचार्य पदों की भर्ती कांग्रेस विधायकों के विरोध के कारण रुकी है ’’ पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष ने साफ किया कि सदन में मंत्री ने नियम 58 के कांग्रेस द्वारा प्रदेश में शिक्षा की दुर्दशा पर कार्यस्थगन पर स्वयं जबाब देते हुए कहा था कि प्रदेश के 58 विधायकों ने प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा का विरोध किया था।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा मंत्री से पूछा कि कांग्रेस के वर्तमान में 20 विधायक हैं यदि सभी ने विरोध में पत्र लिखा है तो मंत्री को बताना चाहिए कि पत्र लिखने वाले बाकी 38 विधायक कौन थे ?
यशपाल आर्य ने कहा कि विभाग के विभिन्न संवर्गों में से चुनिंदा अभ्यर्थियों को विभागीय परीक्षा में भाग लेकर प्रधानाचार्य बनाने के षड़यंत्र का विरोध किया। क्योंकि इस भर्ती मे केवल लेक्चरर ही आवेदन कर सकते थे। जबकि पहले प्रधानाचार्य पदों के लिए 55%एल टी याने high school के अध्यापक और केवल 45 %प्रतिशत लेक्चरर याने इंटरमीडिएट को पढ़ाने वाले अध्यापक होते थे।
जबकि सरकार ने जो विज्ञप्ति निकाली उसमें केवल लेक्चरर ही आवेदन कर सकते थे। ऐसे में पहले जिनका हिस्सा इन पदों के लिए 55 %था वह समाप्त हो गया था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फरवरी 2025 में हुए बजट सत्र से 5 महिने पहले शिक्षा विभाग ने अपनी गलती को स्वयं स्वीकार करते हुए 10 सितंबर 2024 को यह विभागीय परीक्षा स्थगित कर दी थी। उन्होंने कहा कि इस पत्र में विभाग ने स्वयं स्वीकार था कि प्रधानाचार्य पदों के लिए प्रस्तावित इस भरती परीक्षा में कुछ लोगों को मौका नहीं मिल रहा था अतः परीक्षा में प्रतिस्पर्धा लाने के उद्देश्य से नियमावली में सुधार शीघ्र सुधार कर परीक्षा आयोजित की जायेगी।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि इस पत्र के जारी होने के बाद से 10 महिने बीत गए हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि शिक्षा विभाग नियमावली में ऐसा कौन सा परिवर्तन कर रहा है जो एक साल में भी परिवर्तन नहीं कर पा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा मंत्री के बयान कि प्रधानाचार्यों के पद कांग्रेस सरकार के समय से खाली हैं पर जबाब दिया कि कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लेकर उस समय लेक्चरर से प्रधानाचार्य पदों पर जो प्रमोशन किए वो आज भी शिक्षा विभाग में मिसाल हैं।
शिक्षा मंत्री के कटाक्ष कि नेता प्रतिपक्ष अनुभवी हैं वे ही समाधान दे दें पर यशपाल आर्य ने जबाब दिया कि जनता ने शिक्षा मंत्री को सरकार का समाधान देने के लिए चुना है फिर भी अगर उनकी सरकार से समाधान नहीं निकल रहे हैं और यदि शिक्षा मंत्री बिंदुवार समाधान के लिए उन्हें पत्र लिखेंगें निश्चित ही वे सकारात्मक सुझाव देंगें।

आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज बनाते समय उनका सही प्रकार से सत्यापन किया जाए

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*सरकारी भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाने की निरंतर कार्यवाही की जाए।*

*सरकारी भवनों के निर्माण कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाए।*

*भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।*

*मुख्यमंत्री आवास में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये निर्देश।*

देहरादून,मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों को निर्देश दिये कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध निरंतर अभियान चलाया जाए। टोल फ्री नम्बर 1064 का व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाए। मुख्यमंत्री ने धर्मांतरण से संबंधित मामलों में की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में सत्यापन अभियान लगातार जारी रखने के साथ ही संदिग्ध गतिविधि अथवा व्यक्ति की जानकारी मिलने पर तत्काल और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेजों को बनाने समय उनका सही प्रकार से सत्यापन किया जाए। गलत दस्तावेज जारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिक्रमण के विरुद्ध चल रहे अभियान को निरंतर जारी रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई जा चुकी है, वहां दोबारा अतिक्रमण न हो। शत्रु संपत्तियों पर हुए अतिक्रमण का भी विस्तृत आंकलन कर उसकी जानकारी प्रस्तुत की जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकारी भवनों के निर्माण कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने के साथ ही भवनों के निर्माण में राज्य की सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक पर्वतीय वास्तुशैली को प्रमुखता दी जाए। अधिकारियों को बॉर्डर क्षेत्रों में भी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए सघन चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश भी उन्होंने दिए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, अपर पुलिस महानिदेशक श्री वी.मुरूगेशन, श्री ए.पी. अंशुमन, सचिव श्री विनोद कुमार सुमन, उपाध्यक्ष एमडीडीए श्री बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।

सीएम हेल्पलाइन – मुख्यमंत्री ने शिकायतकर्ताओं से पूछा आपका काम हुआ कि नहीं?

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 – सीएम हेल्पलाइन की सक्रियता जांचने के क्रम में सीएम ने शिकायतकर्ताओं से की बातचीत
 – सीएम ने पिछली बैठक में विभागों के लिए तय की थी डेडलाइन, अब सभी शिकायतों का समाधान हुआ
देहरादून(आरएनएस)।   सीएम हेल्पलाइन 1905 पर दर्ज होने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए दिए जाने वाले निर्देशों पर विभाग कितनी तत्परता से काम कर रहे हैं, यह जांचने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कई आवेदकों से बातचीत कर फीडबैक लिया। इस दौरान सभी शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री के पिछले दिशा-निर्देश के बाद अब उनकी शिकायतों का निस्तारण हो चुका है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत दिनों सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा की थी। इसमें कुछ प्रकरण ऐसे थे, जिनमें मुख्यमंत्री ने विभागों को तय समय सीमा के भीतर निस्तारण के निर्देश दिए थे। इन्हीं प्रकरणों में विभागों के स्तर से क्या कार्रवाई की गई, यह जानने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के दौरान कई शिकायतकर्ताओं से बातचीत की। पहले मामले में उत्तरकाशी निवासी लक्ष्मी देवी ने शिक्षा विभाग से पारिवारिक पेंशन नहीं लग पाने की शिकायत की थी। सीएम से बातचीत में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के पिछले दिशा-निर्देश के बाद विभाग ने उनकी पारिवारिक पेंशन स्वीकृत कर दी है। इसी तरह रुद्रप्रयाग निवासी
जगदम्बा प्रसाद नौटियाल ने शिक्षा विभाग से मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो पाने की शिकायत की थी। बुधवार को उन्होंने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को बताया कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद लंबित बिलों का भुगतान हो गया है। इसी तरह उद्यान विभाग से रिटायर्ड नैनीताल निवासी बहादुर सिंह बिष्ट ने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को बताया कि सीएम के गत दिशा-निर्देशों के क्रम में विभाग ने उनका जीपीएफ का भुगतान कर लिया है। सभी शिकायतकर्ताओं ने इसके लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।
सीएम ने दिखाई संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न सिर्फ सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज होने वाली शिकायतों की समीक्षा कर रहे हैं, बल्कि वह बैठकों के बाद होने वाली कार्रवाई पर भी संवेदनशीलता के साथ नजर बनाए हुए हैं। इसी क्रम में सीएम अब पुनः शिकायतकर्ताओं से वास्तविक फीडबैक ले रहे हैं। इससे विभागों पर भी शिकायतों के निस्तारण में तत्परता दिखाने का दबाव बन रहा है।
इस अवसर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी.अंशुमन, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।

कोरोना के नए वेरिएंटजेएन वन (JN1)  मिलने के बाद सभी राज्यों को सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश

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 उत्तराखंड में मरीजों की स्क्रीनिंग; सर्विलांस पर भी फोकस
देहरादून(आरएनएस)। देश के कई राज्यों में कोरोना जेएन वन (JN1)वेरिएंट के मामले बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद धामी सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है। प्रदेशभर के सभी अस्पतालों को संक्रमितों की जांच करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ ही प्रदेशभर में सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, एशिया के कई देशों के साथ ही भारत के कई राज्यों में भी कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। मुंबई में हाल ही में दो लोगों की कोविड से मौत भी हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को कोरोना संक्रमण को देखते हुए सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सचिव स्वास्थ्य डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से कोविड सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत राज्य में आईडीएसपी की टीम को सभी जिलों में सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। खासकर किसी एक स्थान पर अधिक संख्या में लोगों के संक्रमित होने के लिए निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। इसके साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों को लक्षण के आधार पर मरीजों की स्क्रीनिंग और जांच कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय अभी तक कोविड का कोई भी केस सामने नहीं आया है। सूत्रों की बात मानें तो प्रदेश के सभी 13 जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। किसी भी संदिग्ध मरीज मिलने पर सूचित करने को भी कहा गया है।

बुजुर्ग से लूट, ताबड़तोड़ एक्शन के बाद पुलिस ने 24 घंटे में किया खुलासा, अभियुक्त को किया गिरफ्तार

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–नशे की लत के कारण घरवालों द्वारा घर से निकालने पर अपने नशे की पूर्ति के लिए अभियुक्त द्वारा दिया गया था घटना को अंजाम

देहरादून, नरेंद्र विहार कोलागढ़ रोड के स्थानीय लोगों द्वारा 19 मई को सायं कोतवाली कैंट पर सूचना दी कि एक 92 वर्षीय बुजुर्ग ओमप्रकाश सूद के घर में एक व्यक्ति द्वारा घुसकर उनके पैसे छीन लिए और मौके से भाग गया।
सूचना पर चौकी प्रभारी बिन्दाल मय पुलिस बल के तत्काल मौके पहुंचे तथा पीड़ित व्यक्ति से घटना के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए घटनास्थल व आस पास के सीसीटीवी कैमरे चेक किये गए।
घटना के सम्बन्ध में पीड़ित बुजुर्ग ओमप्रकाश सूद पुत्र स्वर्गीय ज्ञान चंद सूद निवासी 17 नरेंद्र विहार बल्लूपुर रोड कोतवाली कैंट द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर कोतवाली कैंट पर मु0अ0सं0 – 77/2025 धारा 309(4) 309(6), 333, 351 (2) का अभियोग पंजीकृत किया गया।
बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हुई उक्त घटना की गंभीरता को देखते हुए घटना के 24 घंटे के अन्दर मुखबिर की सूचना पर घटना में शामिल अभियुक्त अभिषेक रावत पुत्र अनिल रावत निवासी ब्लॉक नंबर 8 गांधी कॉलोनी कोलाघाट रोड देहरादून को राजेंद्र नगर स्थित पार्क से घटना में लूटी गई नगदी ₹1000 तथा घटना में प्रयुक्त औजार के साथ गिरफ्तार किया गया।

विवरण पूछताछ :
पूछताछ में अभियुक्त द्वारा बताया गया वह नशे का आदि है, लगभग 01 साल पहले नरेंद्र बिहार में स्थानीय लोगों के साथ मंदिर के लिए चंदा मांगने के दौरान उसकी मुलाकात नरेंद्र बिहार में उक्त बुजुर्ग के घर में उनकी पत्नी से हुई थी, तब से उसे जानकारी थी कि उक्त घर मे केवल दो बुजुर्ग दंपति रहते हैं तथा उनके अलावा और कोई नहीं रहता है।
अभियुक्त की नशे की लत के कारण 02 दिन पूर्व उसके पिता ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था, इस दौरान रात्रि में राजेंद्र नगर नरेंद्र बिहार की ओर घूमने हुए अभियुक्त शाम के समय बुजुर्ग व्यक्ति के घर के पास पहुँचा तथा घर के बाहर लोगो की आवाजाही कम होती देखकर गेट से अंदर घुस गया तथा पेंचकस दिखाकर बुजुर्ग व्यक्ति को डरा धमकाकर उनसे ₹ 1000 छीन कर मौके से भाग गया था l

बरामदगी :
1000/- रुपए नगद, घटना में प्रयुक्त 1 बड़ा पेचकस

पुलिस टीम :
उ०नि० कमलेश प्रसाद, चौकी प्रभारी बिंदाल
का0 योगेश कुमार
का0 अवनीश
का0 अजय कुमार
का0 रंजीत राणा

क्याड़…! भीमल के रेशे और छिलके निकालना एक उत्सव

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(मनखी की कलम)

15 मई के बाद यानी जेठ महिना छिल्ले निकालने का माह होता था। पूर्व में एक पखवाड़ा इसी के लिए समर्पित था। हमारे पहाड़ की आर्थिकी का आधार कृषि और पशुपालन था। बिना मवेशियों की खेती नहीं होती थी, और बिना खेती के मवेशी नहीं पलते थे। यह एक दूसरे के पूरक थे। इनके साथ ही इनको आगे बढ़ाने में भीमल के तने जिनको हमारे ईधर केड़े कहते हैं, उनकी महत्पवूर्ण भूमिका थी। उस दौर में जिसके सबसे ज्यादा भीमल का पेड़ होता था वह उतना धनी था। गॉव की मातृ शक्ति सबसे ज्यादा खेत के मेंड़ों में भीमल के पेड़ को ही उगाती थी।
भीमल का पेड़ अर्थव्यवस्था यानी कि घर, खेती और पशुपालन में बहुत ही उपयोगी होता था। भीमल के पेड़ का घास बहुत अच्छा माना जाता है, जिसे गाय चारा के रूप में सर्वाधिक पंसद करती हैं, विशेषकर दूध देने वाली गाय को भीमल का चारा खिलाया जाता था। भीमल के पेड़ के तने जिनको हम केड़े कहते हैं, उनको अप्रैल माह के शुरू में नदी में पानी रोककर जिसको हम रौ या डंण्डी कहते हैं, उसमें तरीके से बिछाकर रखे जाते हैं। एक दिन पूरा परिवार सारे भीमल के तने यानी केड़े लेकर गदेरे या नदी में जाते थे और पूरा दिन व्यवस्थित तरीके से उन्हें पानी में बिछाकर आते थे, केड़े को पानी के डंडी में इस तरह से बिछाये जाते थे कि केडे के अगला हिस्सा जो पतला होता है, उन्हें लंबवत् इस तरह बिछाया जाता कि उनके दोनों ओर से सिरे मिल जाय। उनके ऊपर दो तीन मोटे मोटे तने वाले केड़े को दोनों ज़ड़ और सिरों की ओर से पड़ी रेखा की तरह रख दिया जाता है, साथ ही बड़े बड़े पत्थर रखे जाते थे ताकि पानी में डूबे रहें। लगभग सवा महीना तक पानी में रखने के बाद इनको निकाला जाता है।
केड़ा निकालना भी गॉव में उत्सव जैसा होता था, सब सामूहिक रूप में गदेरे मेंं जाते थे और एक दूसरे की केड़े निकालने में मदद करते थे। पहले पानी से उनको निकालना, वहॉ पर उन्हें, बड़े पत्थरों पर जोर जोर से पटकर जिसको हम स्थानीय भाषा पछोड़कर मारते थे, ताकि ऊपर की छाल निकल जाय। कई बार पानी में धोना फिर छपोड़ना इस तरह प्रकिया जारी रहती, उसके बाद कुछ रेशे और छिल्ले वहीं निकाले जाते थे, और कुछ रेशे के साथ घर लेकर आते थे।
मई के अतिंम दो सप्ताह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह तक बड़े बुजुर्ग एवं बच्चे सभी मिलकर छाॕव में बैठकर, छिल्ले से रेशे अलग करते रहते थे। फिर उन रेशे (स्योळू) को सुखाते थे और छिल्लों को तोड़कर छोटी छोटी गठरी बनाकर रख देते थे। यह छिल्ले आग जलाने के काम आते थे। गोठ में वाड़ में जाते हुए, रामलीला, दूर गॉव में शादी विवाह में आते जाते वक्त इन छिल्लों को जलाकर ले जाते थे। कुल मिलाकर यह टॉर्च के जैसे इस्तेमाल होते थे।
वहीं स्योळू यानी रेशा तो कृषि का मुख्य आधार था। रेशे से गाय बैलों के लिए रस्सी बनती थी, घर में जितनी भी रस्सियॉ मसलन जूड़े, म्वाळ, तंझले, नाड़ू, हळ जोत, चारपाई बुनने के लिए नयार, बैलों के गले पर घंटी बॉधने के लिए दौणी, घास बॉधकर लाने के लिए रस्सी, बर्तनों के नीचे रखने के और सिर पर पानी लाने के लिए डीलू बनता था। यानी कि भीमल के यह रेशे बहुत ही उपयोगी थे। इसके अलावा कच्चे भीमल की रस्सी से सिर धोते थे जिसको सिरसळू कहते थे।
मई के अतिंम दो सप्ताह में पूरे घर गांव के आगे पीछे सब जगह छिल्ले और स्योळू ही नजर आता था। यह भी उस समय का एक प्रमुख कार्य था, जिसके जितने अधिक छिल्ले वह उतना ही अधिक सम्पन्न होता था। आज गॉव में भीमल के रेशे की जगह प्लास्टिक के कट्टे अथवा साड़ियों ने ले ली है। छिल्लों की जगह गैंस ने ले ली है, कुछ लोग आज भी थोड़े मात्रा में उपयोग कर रहे हैं।
गांव में हर कोई कार्य मेहनत के साथ साथ सामूहिक उत्सव का भी होता था जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर कार्य करते थे, इससे सामुदायिकता और एकता और परस्पर प्रेम भाव बना रहता था। आज सर्व सम्पन्नता है किंतु आपसी प्रेम को सम्पन्नता ने संकीर्ण कर दिया है।