Wednesday, May 21, 2025
Home Blog

सीएम हेल्पलाइन – मुख्यमंत्री ने शिकायतकर्ताओं से पूछा आपका काम हुआ कि नहीं?

0

 – सीएम हेल्पलाइन की सक्रियता जांचने के क्रम में सीएम ने शिकायतकर्ताओं से की बातचीत
 – सीएम ने पिछली बैठक में विभागों के लिए तय की थी डेडलाइन, अब सभी शिकायतों का समाधान हुआ
देहरादून(आरएनएस)।   सीएम हेल्पलाइन 1905 पर दर्ज होने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए दिए जाने वाले निर्देशों पर विभाग कितनी तत्परता से काम कर रहे हैं, यह जांचने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कई आवेदकों से बातचीत कर फीडबैक लिया। इस दौरान सभी शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री के पिछले दिशा-निर्देश के बाद अब उनकी शिकायतों का निस्तारण हो चुका है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत दिनों सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा की थी। इसमें कुछ प्रकरण ऐसे थे, जिनमें मुख्यमंत्री ने विभागों को तय समय सीमा के भीतर निस्तारण के निर्देश दिए थे। इन्हीं प्रकरणों में विभागों के स्तर से क्या कार्रवाई की गई, यह जानने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के दौरान कई शिकायतकर्ताओं से बातचीत की। पहले मामले में उत्तरकाशी निवासी लक्ष्मी देवी ने शिक्षा विभाग से पारिवारिक पेंशन नहीं लग पाने की शिकायत की थी। सीएम से बातचीत में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के पिछले दिशा-निर्देश के बाद विभाग ने उनकी पारिवारिक पेंशन स्वीकृत कर दी है। इसी तरह रुद्रप्रयाग निवासी
जगदम्बा प्रसाद नौटियाल ने शिक्षा विभाग से मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो पाने की शिकायत की थी। बुधवार को उन्होंने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को बताया कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद लंबित बिलों का भुगतान हो गया है। इसी तरह उद्यान विभाग से रिटायर्ड नैनीताल निवासी बहादुर सिंह बिष्ट ने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को बताया कि सीएम के गत दिशा-निर्देशों के क्रम में विभाग ने उनका जीपीएफ का भुगतान कर लिया है। सभी शिकायतकर्ताओं ने इसके लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।
सीएम ने दिखाई संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न सिर्फ सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज होने वाली शिकायतों की समीक्षा कर रहे हैं, बल्कि वह बैठकों के बाद होने वाली कार्रवाई पर भी संवेदनशीलता के साथ नजर बनाए हुए हैं। इसी क्रम में सीएम अब पुनः शिकायतकर्ताओं से वास्तविक फीडबैक ले रहे हैं। इससे विभागों पर भी शिकायतों के निस्तारण में तत्परता दिखाने का दबाव बन रहा है।
इस अवसर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी.अंशुमन, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।

कोरोना के नए वेरिएंटजेएन वन (JN1)  मिलने के बाद सभी राज्यों को सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश

0

 उत्तराखंड में मरीजों की स्क्रीनिंग; सर्विलांस पर भी फोकस
देहरादून(आरएनएस)। देश के कई राज्यों में कोरोना जेएन वन (JN1)वेरिएंट के मामले बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद धामी सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है। प्रदेशभर के सभी अस्पतालों को संक्रमितों की जांच करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ ही प्रदेशभर में सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, एशिया के कई देशों के साथ ही भारत के कई राज्यों में भी कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। मुंबई में हाल ही में दो लोगों की कोविड से मौत भी हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को कोरोना संक्रमण को देखते हुए सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सचिव स्वास्थ्य डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से कोविड सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत राज्य में आईडीएसपी की टीम को सभी जिलों में सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। खासकर किसी एक स्थान पर अधिक संख्या में लोगों के संक्रमित होने के लिए निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। इसके साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों को लक्षण के आधार पर मरीजों की स्क्रीनिंग और जांच कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय अभी तक कोविड का कोई भी केस सामने नहीं आया है। सूत्रों की बात मानें तो प्रदेश के सभी 13 जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। किसी भी संदिग्ध मरीज मिलने पर सूचित करने को भी कहा गया है।

बुजुर्ग से लूट, ताबड़तोड़ एक्शन के बाद पुलिस ने 24 घंटे में किया खुलासा, अभियुक्त को किया गिरफ्तार

0

–नशे की लत के कारण घरवालों द्वारा घर से निकालने पर अपने नशे की पूर्ति के लिए अभियुक्त द्वारा दिया गया था घटना को अंजाम

देहरादून, नरेंद्र विहार कोलागढ़ रोड के स्थानीय लोगों द्वारा 19 मई को सायं कोतवाली कैंट पर सूचना दी कि एक 92 वर्षीय बुजुर्ग ओमप्रकाश सूद के घर में एक व्यक्ति द्वारा घुसकर उनके पैसे छीन लिए और मौके से भाग गया।
सूचना पर चौकी प्रभारी बिन्दाल मय पुलिस बल के तत्काल मौके पहुंचे तथा पीड़ित व्यक्ति से घटना के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए घटनास्थल व आस पास के सीसीटीवी कैमरे चेक किये गए।
घटना के सम्बन्ध में पीड़ित बुजुर्ग ओमप्रकाश सूद पुत्र स्वर्गीय ज्ञान चंद सूद निवासी 17 नरेंद्र विहार बल्लूपुर रोड कोतवाली कैंट द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर कोतवाली कैंट पर मु0अ0सं0 – 77/2025 धारा 309(4) 309(6), 333, 351 (2) का अभियोग पंजीकृत किया गया।
बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हुई उक्त घटना की गंभीरता को देखते हुए घटना के 24 घंटे के अन्दर मुखबिर की सूचना पर घटना में शामिल अभियुक्त अभिषेक रावत पुत्र अनिल रावत निवासी ब्लॉक नंबर 8 गांधी कॉलोनी कोलाघाट रोड देहरादून को राजेंद्र नगर स्थित पार्क से घटना में लूटी गई नगदी ₹1000 तथा घटना में प्रयुक्त औजार के साथ गिरफ्तार किया गया।

विवरण पूछताछ :
पूछताछ में अभियुक्त द्वारा बताया गया वह नशे का आदि है, लगभग 01 साल पहले नरेंद्र बिहार में स्थानीय लोगों के साथ मंदिर के लिए चंदा मांगने के दौरान उसकी मुलाकात नरेंद्र बिहार में उक्त बुजुर्ग के घर में उनकी पत्नी से हुई थी, तब से उसे जानकारी थी कि उक्त घर मे केवल दो बुजुर्ग दंपति रहते हैं तथा उनके अलावा और कोई नहीं रहता है।
अभियुक्त की नशे की लत के कारण 02 दिन पूर्व उसके पिता ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था, इस दौरान रात्रि में राजेंद्र नगर नरेंद्र बिहार की ओर घूमने हुए अभियुक्त शाम के समय बुजुर्ग व्यक्ति के घर के पास पहुँचा तथा घर के बाहर लोगो की आवाजाही कम होती देखकर गेट से अंदर घुस गया तथा पेंचकस दिखाकर बुजुर्ग व्यक्ति को डरा धमकाकर उनसे ₹ 1000 छीन कर मौके से भाग गया था l

बरामदगी :
1000/- रुपए नगद, घटना में प्रयुक्त 1 बड़ा पेचकस

पुलिस टीम :
उ०नि० कमलेश प्रसाद, चौकी प्रभारी बिंदाल
का0 योगेश कुमार
का0 अवनीश
का0 अजय कुमार
का0 रंजीत राणा

क्याड़…! भीमल के रेशे और छिलके निकालना एक उत्सव

0

(मनखी की कलम)

15 मई के बाद यानी जेठ महिना छिल्ले निकालने का माह होता था। पूर्व में एक पखवाड़ा इसी के लिए समर्पित था। हमारे पहाड़ की आर्थिकी का आधार कृषि और पशुपालन था। बिना मवेशियों की खेती नहीं होती थी, और बिना खेती के मवेशी नहीं पलते थे। यह एक दूसरे के पूरक थे। इनके साथ ही इनको आगे बढ़ाने में भीमल के तने जिनको हमारे ईधर केड़े कहते हैं, उनकी महत्पवूर्ण भूमिका थी। उस दौर में जिसके सबसे ज्यादा भीमल का पेड़ होता था वह उतना धनी था। गॉव की मातृ शक्ति सबसे ज्यादा खेत के मेंड़ों में भीमल के पेड़ को ही उगाती थी।
भीमल का पेड़ अर्थव्यवस्था यानी कि घर, खेती और पशुपालन में बहुत ही उपयोगी होता था। भीमल के पेड़ का घास बहुत अच्छा माना जाता है, जिसे गाय चारा के रूप में सर्वाधिक पंसद करती हैं, विशेषकर दूध देने वाली गाय को भीमल का चारा खिलाया जाता था। भीमल के पेड़ के तने जिनको हम केड़े कहते हैं, उनको अप्रैल माह के शुरू में नदी में पानी रोककर जिसको हम रौ या डंण्डी कहते हैं, उसमें तरीके से बिछाकर रखे जाते हैं। एक दिन पूरा परिवार सारे भीमल के तने यानी केड़े लेकर गदेरे या नदी में जाते थे और पूरा दिन व्यवस्थित तरीके से उन्हें पानी में बिछाकर आते थे, केड़े को पानी के डंडी में इस तरह से बिछाये जाते थे कि केडे के अगला हिस्सा जो पतला होता है, उन्हें लंबवत् इस तरह बिछाया जाता कि उनके दोनों ओर से सिरे मिल जाय। उनके ऊपर दो तीन मोटे मोटे तने वाले केड़े को दोनों ज़ड़ और सिरों की ओर से पड़ी रेखा की तरह रख दिया जाता है, साथ ही बड़े बड़े पत्थर रखे जाते थे ताकि पानी में डूबे रहें। लगभग सवा महीना तक पानी में रखने के बाद इनको निकाला जाता है।
केड़ा निकालना भी गॉव में उत्सव जैसा होता था, सब सामूहिक रूप में गदेरे मेंं जाते थे और एक दूसरे की केड़े निकालने में मदद करते थे। पहले पानी से उनको निकालना, वहॉ पर उन्हें, बड़े पत्थरों पर जोर जोर से पटकर जिसको हम स्थानीय भाषा पछोड़कर मारते थे, ताकि ऊपर की छाल निकल जाय। कई बार पानी में धोना फिर छपोड़ना इस तरह प्रकिया जारी रहती, उसके बाद कुछ रेशे और छिल्ले वहीं निकाले जाते थे, और कुछ रेशे के साथ घर लेकर आते थे।
मई के अतिंम दो सप्ताह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह तक बड़े बुजुर्ग एवं बच्चे सभी मिलकर छाॕव में बैठकर, छिल्ले से रेशे अलग करते रहते थे। फिर उन रेशे (स्योळू) को सुखाते थे और छिल्लों को तोड़कर छोटी छोटी गठरी बनाकर रख देते थे। यह छिल्ले आग जलाने के काम आते थे। गोठ में वाड़ में जाते हुए, रामलीला, दूर गॉव में शादी विवाह में आते जाते वक्त इन छिल्लों को जलाकर ले जाते थे। कुल मिलाकर यह टॉर्च के जैसे इस्तेमाल होते थे।
वहीं स्योळू यानी रेशा तो कृषि का मुख्य आधार था। रेशे से गाय बैलों के लिए रस्सी बनती थी, घर में जितनी भी रस्सियॉ मसलन जूड़े, म्वाळ, तंझले, नाड़ू, हळ जोत, चारपाई बुनने के लिए नयार, बैलों के गले पर घंटी बॉधने के लिए दौणी, घास बॉधकर लाने के लिए रस्सी, बर्तनों के नीचे रखने के और सिर पर पानी लाने के लिए डीलू बनता था। यानी कि भीमल के यह रेशे बहुत ही उपयोगी थे। इसके अलावा कच्चे भीमल की रस्सी से सिर धोते थे जिसको सिरसळू कहते थे।
मई के अतिंम दो सप्ताह में पूरे घर गांव के आगे पीछे सब जगह छिल्ले और स्योळू ही नजर आता था। यह भी उस समय का एक प्रमुख कार्य था, जिसके जितने अधिक छिल्ले वह उतना ही अधिक सम्पन्न होता था। आज गॉव में भीमल के रेशे की जगह प्लास्टिक के कट्टे अथवा साड़ियों ने ले ली है। छिल्लों की जगह गैंस ने ले ली है, कुछ लोग आज भी थोड़े मात्रा में उपयोग कर रहे हैं।
गांव में हर कोई कार्य मेहनत के साथ साथ सामूहिक उत्सव का भी होता था जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर कार्य करते थे, इससे सामुदायिकता और एकता और परस्पर प्रेम भाव बना रहता था। आज सर्व सम्पन्नता है किंतु आपसी प्रेम को सम्पन्नता ने संकीर्ण कर दिया है।

विकास के नाम पर पहाड़ी राज्यों के साथ ठगी : सोनम वांगचुक

0

“उत्तराखंड महिला मंच और उत्तराखंड इंसानियत मंच के विचार गोष्ठी में बोले”

(एल. मोहन लखेड़ा)

देहरादून, पहाड़ के राज्यों में विकास के नाम पर यहां के लोगों के साथ ठगी हो रही है। जो विकास जनता से पूछ कर किया जाना चाहिए था, वह कॉर्पोरेट के दबाव में किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए इन राज्यों की जनता को संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा।
यह बात प्रख्यात वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने कही। वे शहीद स्मारक पर उत्तराखंड महिला मंच और उत्तराखंड इंसानियत मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे।
सोनम वांगचुक ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई थी और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाया था तो लद्दाख के लोगों को लगा कि इससे उनका विकास होगा। इस उम्मीद के साथ उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया। लेकिन जब केंद्र शासित राज्य बनाने का जश्न खत्म हुआ, तब पता चला कि यह तो लद्दाख के लोगों के साथ धोखा है, क्योंकि अब इस क्षेत्र का कोई प्रतिनिधि लोकसभा या विधानसभा में नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था संभवत: इसलिए की गई ताकि कॉर्पोरेट द्वारा संचालित परियोजनाएं बिना स्थानीय लोगों की सहमति के बनाई जा सकें। उनका कहना था कि उत्तराखंड सहित सभी पहाड़ी राज्यों में विकास कॉर्पोरेट के दबाव में किया जा रहा है। लद्दाख की जनता छठी अनसूची की मांग कर रही है, ताकि स्थानीय लोगों की सहमति के बिना कोई परियोजना लद्दाख में न बने।
उन्होंने कहा कि लद्दाख एक दुर्गम क्षेत्र है। वहां के लोग दिन में सिर्फ 5 से 10 लीटर पानी इस्तेमाल करते हैं। जब शहर के लोग वहां पहुंचेंगे तो उन्हें 200 से 500 लीटर प्रतिदिन पानी चाहिए। लद्दाख उन्हें इतना पानी नहीं दे पाएगा। इसी तरह की तमाम दूसरी भी संगतिया भी लद्दाख में पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि 27 मई को इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ उनकी बातचीत होनी है। यदि यह बातचीत उनके पक्ष में नहीं हुई तो लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा।
उत्तराखंड़ इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि जो स्थितियां लद्दाख में हैं, कामोवेस वही स्थितियां उत्तराखंड में भी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन का साक्षी रहा है। लद्दाख के राज्य आंदोलन की लड़ाई में उत्तराखंड हमेशा उनके साथ रहेगा।
उत्तराखंड़ महिला मंच की कमला पंत ने उत्तराखंड राज्य संघर्ष को याद किया और कहा कि जिस उद्देश्य के लिए इस राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी, वह पूरा नहीं हो पाया। आज उत्तराखंड तमाम तरह की विसंगतियों से गुजर रहा है। राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसके साथ ही यहां की फिजा में सांप्रदायिक और क्षेत्रवाद का रंग घोला जा रहा है, जो इस राज्य के लिए बेहद खतरनाक साबित होने वाला है। सतीश धौलाखंडी ने नदी तू बहती रहना जनगीत गाया।
कार्यक्रम में त्रिलोचन भट्ट, निर्मला बिष्ट, नंद नंदन पांडे, तुषार रावत, विजय भट्ट, रजिया बेग, हरिओम पाली, आरिफ खान, विजय भट्ट, विजय नैथानी, हेमलता नेगी, सीमा नेगी, हिमांशु अरोड़ा, इला सिंह, हिमांशु चौहान सहित कई लोग मौजूद थे।

गुप्त सूचना पर रुकवाई 17 वर्षीय लड़के और 12 वर्षीय लड़की की सगाई

0

रुद्रप्रयाग- जनपद में बाल विवाह और नाबालिग बच्चों की सगाई गंभीर समस्या का रूप धारण कर रही है। समाज में बाल विवाह गंभीर रोग की तरह फैल रहा है। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास द्वारा लगातार किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों से इस वर्ष अब तक आज सहित 21 मामले रुकवाए जा चुके हैं।

गुप्त सूचना के आधार पर 17 वर्षीय नाबालिग बालक और 12 वर्षीय बालिका की सगाई रूकवाई गई। मिली जानकारी के अनुसार जखोली ब्लॉक के जखवाडी निवासी 17 साल के नाबालिग बालक की सगाई कपनिया निवासी 12 वर्षीय नाबालिग बालिका की साथ तय होने की सूचना मिलते ही जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मिश्रा के निर्देश पर वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट, चाइल्ड हेल्पलाइन से समन्वयक अरविंद सिंह, केस वर्कर अखिलेश सिंह, बाल कल्याण समिति की सदस्य पूजा त्रिवेदी, जखोली चैकी से प्रभारी विनोद कुमार, पटवारी नरेंद्र रावत तथा आंगनवाड़ी कार्यकत्री राजेश्वरी देवी द्वारा तत्काल पहले नाबालिग बालिका के घर तथा बाद में नाबालिग बालक के घर पर जाकर दोनों के परिजनों को सख्त हिदायत दी गई कि जब तक बालिका की उम्र 18 वर्ष और बालक की उम्र 21 नहीं हो जाती है तब तक वह न सगाई करेंगे और ना ही उनके विवाह के बारे में सोचेंगे।

टीम द्वारा परिजनों को बताया गया कि यदि उनके द्वारा जबरदस्ती यह कार्य किया जाता है तो वह कानूनी शिकंजे में फंस सकते हैं और उन्हें इस अपराध के लिए सजा और जुर्माना दोनों से दंडित किया जा सकता है। उन्हें यूसीसी की जानकारी भी प्रदान की गई जिसके तहत बाल विवाह करने पर सख्त दंड का प्रावधान है।

देश में फिर कोरोना की दहशत!, मुंबई में 53 मरीज मिले पॉजिटिव-2 की मौत; अलर्ट पर विभाग

0

मुंबई , (आरएनएस)। मुंबई में एक बार फिर कोरोना संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में अब तक कुल 53 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। वहीं, संक्रमण के चलते दो मरीजों की मौत भी दर्ज की गई है। हालांकि, दोनों ही मरीज पहले से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे—एक को मुंह का कैंसर था और दूसरा नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित था। दोनों ही मरीजों का इलाज मुंबई के केईएम अस्पताल में चल रहा था।
बीएमसी ने कोविड मरीजों की संख्या बढ़ते देख अपने अस्पतालों में विशेष बिस्तर और अलग कमरे तैयार किए हैं। सेवन हिल्स अस्पताल में 20 रूढ्ढष्ट बेड, 20 बेड बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए तथा 60 सामान्य बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। कस्तूरबा अस्पताल में फिलहाल 2 ढ्ढष्ट बेड और 10 बेड का वार्ड मौजूद है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ज़रूरत पड़ने पर यह क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।
जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 तक कोविड मामलों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन मई के पहले सप्ताह से इसमें बढ़ोतरी देखी गई है। बीएमसी ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, लेकिन सतर्क रहें और लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कोविड-19 के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं- बुखार, सूखी या कफ के साथ खांसी, गले में खराश, थकावट और शरीर में दर्द, सिरदर्द, कभी-कभी नाक बहना, सर्दी, गंध या स्वाद का न आना। यदि किसी व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या होती है तो यह गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना आवश्यक है।
बीएमसी ने कहा है कि नगर निगम के अस्पतालों में उपचार, परामर्श और जांच की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही, नागरिकों से अपील की गई है कि वे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क का उपयोग करें, हाथों की सफाई का ध्यान रखें, और स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

लुटेरी दुल्हन सात महीनों में बनी 25 दूल्हों की दुल्हन, हर पति के साथ अंधेरे में किया ये काम

0

नई दिल्ली, राजस्थान के सवाई माधोपुर से रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां की मानटाउन थाना पुलिस ने मुकदमे में वांछित ‘लुटेरी दुल्हन’ अनुराधा को गिरफ्तार किया है। ये लुटेरी दुल्हन 7 महीनों में 25 शादियां कर चुकी है और हर बार शादी होने के कुछ दिन बाद ही वह फरार हो गई।
अनुराधा फर्जी शादी के लिए लड़कों को फंसाने के लिए नया नाम, नया शहर और नई पहचान चुनती थी। रिपोर्ट के मुताबिक वो एक परफेक्ट दुल्हन और आदर्श बहू का खेल खेलती थी और फिर जेवर व नकदी लेकर भाग जाती थी। हालांकि, उसे फंसाने के लिए सवाई माधोपुर पुलिस ने उल्टा दांव खेला और उसे ही फर्जी शादी के लिए फंसाया और बाद में गिरफ्तार कर लिया। अपने टारगेट को वह यह कहानी सुनाती थी कि वह अकेली है, गरीब है, लाचार है। उसका एक बेरोजगार भाई है। वह शादी करना चाहती है, लेकिन आर्थिक तंगी उसे अपने जीवन की नई शुरुआत करने से रोकती है। हालांकि, यह सब उसका लड़कों को फंसाने का पैंतरा मात्र है। असलियत में वह फर्जी शादी करने वाले गिरोह की सरगना है, जो लोगों का भरोसा हासिल करके पैसा ठगने के लिए जानी जाती है। अनुराधा के गिरोह के सदस्य उनकी तस्वीरें और प्रोफ़ाइल भावी दूल्हों के पास ले जाते हैं, ताकि उनके लिए एक आदर्श मैच की तलाश की जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार मैचमेकर, जो मूल रूप से गिरोह का सदस्य है, मैच सेट करने के लिए 2 लाख रुपये लेता है। एक बार सौदा पक्का हो जाने के बाद, मैरेज कंसेंट लेटर तैयार किया जाता है। जोड़े रीति-रिवाजों के अनुसार मंदिर या घर में शादी करते हैं। और फिर शुरू होता है नाटक। अनुराधा दूल्हे और अपने ससुराल वालों के साथ बहुत ही प्यारी और भोली-भाली बन जाती है। उनका विश्वास जीतने के लिए, वह परिवार के हर सदस्य के साथ एक रिश्ता बनाती है। हालांकि, कुछ ही दिनों में, वह अपनी प्लानिंग का आखिरी काम करती है – खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर गहने, नकदी और अन्य कीमती सामान लेकर भाग जाना। 20 अप्रैल को, सवाई माधोपुर के रहने वाले विष्णु शर्मा ने मध्य प्रदेश की अनुराधा से शादी की। शादी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, दोस्तों और परिवार की मौजूदगी में हुई। शादी दलाल पप्पू मीना के ज़रिए तय की गई थी, जिसके लिए विष्णु ने उसे दो लाख रुपये दिए थे। शादी के दो हफ्ते के भीतर ही अनुराधा 1.25 लाख रुपये के जेवर, 30,000 रुपये नकद और 30,000 रुपये कीमत का मोबाइल फोन लेकर फरार हो गई। विष्णु ने कहा, “मैं ठेला चलाता हूं और कर्ज लेकर शादी की है। मैंने मोबाइल भी उधार लिया था, वो वह भी ले गई। मुझे कभी नहीं लगा कि वह मुझे धोखा देगी।”
विष्णु ने उस रात को याद करते हुए कहा कि मैं देर रात काम से लौटा और रात के खाने के तुरंत बाद सो गया। उन्होंने कहा, “मैं आमतौर पर ज्यादा नहीं सोता, लेकिन उस रात मैं गहरी नींद में सोया, जैसे किसी ने मुझे नींद की गोली दे दी हो।” इस घटना के बाद विष्णु की मां भी सदमे में हैं। पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उल्टा चाल खेलने की सोची। विष्णु द्वारा शेयर की गई जानकारी के आधार पर सवाई माधोपुर पुलिस ने अनुराधा के लिए जाल बिछाया। एक कांस्टेबल को संभावित दूल्हे के रूप में पेश किया गया। वह एजेंट के पास पहुंचा जिसने कई महिलाओं की तस्वीरें दिखाईं। पुलिस अधिकारी ने बताया, “जांच के बाद सभी दस्तावेज और शादी के समझौते फर्जी पाए गए। हमने अपनी टीम से एक कांस्टेबल को दूल्हे के रूप में तैयार किया और महिला को शादी का झांसा दिया।” अनुराधा इस जाल में फंस गई, जिसके बाद उसे गिरफ्तार भोपाल में गिरफ्तार किया गया(साभार उत्तम हिन्दू न्यूज)।

महिला सशक्तिकरण के बिना विकसित राष्ट्र की संकल्पना अधूरी : डॉ धन सिंह रावत

0

-महिलाओं व व स्वयं सहायता समूह के लाभार्थियों को बांटे 65 लाख के चेक

देहरादून/अल्मोड़ा, अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में आज विकासभवन सभागार में “सहकारिता से महिला सशक्तिकरण” विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का आयोजन अल्मोड़ा सहकारी बैंक तथा सहकारिता विभाग अल्मोड़ा द्वारा किया गया। गोष्ठी में सहकारिता मंत्री उत्तराखंड डॉ धन सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में बेहतर कार्य करने वाले स्वयं सहायता समूहों एवं महिलाओं को कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा सम्मानित किया गया तथा महिलाओं एवं स्वयं सहायता समूहों को ब्याज रहित 0% पर 65.00 लाख के चेक भी वितरित किए । यह धनराशि महिलाओं को रोजगार प्रेरक कार्य करने हेतु प्रदान की गई है।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास की संकल्पना नहीं की जा सकती। महिला सशक्तिकरण में ही किसी भी देश का विकास परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि इसी मूलमंत्र को अपनाते हुए हमारी सरकार महिलाओं को आगे लाने का निरंतर प्रयास कर रही है। महिलाओं के विकास के लिए भिन्न भिन्न योजनाएं धरातल पर उतर रहीं हैं। लखपति दीदी कार्यक्रम हो या महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत का आरक्षण। ये सभी महिला सशक्तिकरण को लेकर हमारी उपलब्धियां हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग के माध्यम से महिलाओं को ऋण देकर उन्हें आत्मनिर्भर करने का प्रयास भी हमारी सरकार कर रही है। अब महिलाएं स्वयं घर की मुखिया बन रही हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में राज्य में 2 लाख लखपति दीदी बनने का लक्ष्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने रखा है। इस लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं। 40 कार्य चिन्हित किए जा चुके हैं, जो महिला स्वयं सहायत समूह के माध्यम से किए जा सकते हैं, इन समूहों को आर्थिक रूप से मदद भी हम उपलब्ध करवा रहें हैं।
इस गोष्ठी में महिलाओं ने भी अपने अपने विचार रखे तथा अपने अनुभव साझा किए। साथ ही अन्य वक्ताओं ने भी महिला सशक्तिकरण एवं सहकारिता को लेकर विचार व्यक्त किए।

इस दौरान विधायक जागेश्वर मोहन सिंह मेहरा, जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय, मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी, जिलाध्यक्ष भाजपा महेश नयाल, प्रभारी उप निबंधक कुमाऊँ मंडल हरीश खंडूरी ,पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, डीसीबी के पूर्व चेयरमैन ललित लटवाल, सहकारिता विभाग तथा अल्मोड़ा सहकारी बैंक के अधिकारी समेत मातृ शक्ति तथा अन्य उपस्थित रहे।

विविध रंग और उल्लास के भावों से पूरित हैं प्रदीप डबराल की कविताएं : सोमवारी लाल उनियाल

0

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज शिक्षाविद प्रदीप डबराल के काव्य संग्रह ‘तरंग‘ का लोकार्पण एवं ततपश्चात एक साहित्यिक चर्चा का आयोजन किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार सोमवारी लाल अनियाल ‘प्रदीप‘ की अध्यक्षता में सम्पन्न इस आयोजन में कई साहित्यकार व साहित्य प्रेमी शामिल रहे. लोककला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र हे. न. ब. केंद्रीय विश्व विद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. डी.आर. पुरोहित, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुनीराम सकलानी ‘मुनीन्द्र‘ व जनकवि डॉ.अतुल शर्मा द्वारा पुस्तक के आलोक में समीक्षात्मक विचार दिए गए ।
जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने रचनाकार की रचनाओं की समीक्षा करते हुये कहा कि सेवा निवृत्ति के बाद प्रदीप डबराल द्वारा विभिन्न विषयों पर निरंतर लेखन कार्य किया जा रहा है। प्रस्तुत कविता संग्रह की कविताओं को पढ़कर स्पष्ट होता है कि उनकी लेखन शैली निरंतर निखरती जा रही है, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.मुनीराम सकलानी ‘मुनीन्द्र‘ ने कहा कि डबराल की कवितायें जहां एक ओर समकालीन वातावरण का वास्तविक दस्तावेज हैं वहीं यह कवि मन की सुकोमल भावनाओं का उच्छवास भी है। उन्होंने कहा कि छोटी बहन की अन्तिम समय की पीढ़ा को कवि ने बड़े ही मार्मिक रूप में व्यक्त किया है।
प्रो.डी. आर. पुरोहित ने अपने विद्धता पूर्ण उद्बोधन में कहा कि ‘तरंग‘ की कविताओं में जहां हिन्दी के छायावादी कवियों की कविता प्रतिध्वनित होती हैं वही अंग्रेजी कवि वर्डसवर्थ के प्रकृति प्रेम के भी दर्शन होते हैं.
कार्यक्रम अध्यक्ष सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप‘ ने कहा कि उन्होंनें इन सभी कवितायों को मन की आंखों से पढ़ा हैं। 55 कवितायें 145 पृष्ठों के विस्तार में लिखी गयी है। कवितायें लम्बी व नये ढब ढंग से गढ़ी गयी हैं. इन कविताओं में जीवन के विविध रंग और उल्लास के भाव संदेश दिये गये हैं। कविताओं में मानवीय व्यवहार करने की अपेक्षा की गयी हैै ।
कुल मिलाकर काव्य संग्रह की कवितायें पाठक की संवेदनाओं को प्रकृति से जोड़ती है। यह कविताओं के इस संग्रह में पर्वत, पंछी ,बचपन, पलायन, जैसे विषयों को प्रधानता दी गयी है।
श्री गुरू राम राय इ. का. भाऊवाला की 10 वीं कक्षा की छात्रा नम्रता नौगाईं द्वारा ‘तरंग‘ कविता संग्रह की एक कविता ‘प्रश्नों की भूख‘ का वाचन किया गया. सुपरिचित गायक एवं संगीतकार शैलेंन्द्र मैठाणी ने इस कविता के गायन अपने मधुर स्वर में देकर सभी के मन मोह लिया।
काव्य संग्रह के रचनाकार प्रदीप डबराल ने कहा कवितायें किसी विशेष काव्य विधा की सीमा में नही बंधी हैं। कुछ कवितायें छन्द युक्त हैं तो अधिकांश छंद मुक्त शैली में हैं. मुख्य तौर पर उनमें भावों का प्रवाह देने की कोशिस की गयी है।
कवि ने पुस्तक प्रकाशन हेतु आर्थिक सहयोग देने के लिये उत्तराखण्ड भाषा संस्थान का आभार व्यक्त किया और पुस्तक के प्रकाशन के लिये विन्सर पब्लिकेशन का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्य क्रम का संचालन आवाज साहित्यिक संस्था के संयोजक डॉ. सुनील थपलियाल ने किया.
कार्यक्रम के अंत में केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने मंचसीन अतिथि जनों व उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम में डॉ. डी. एं. भटकोटी,गणनाथ मनोड़ी, डॉ. लालता प्रसाद, सुरेन्द्र सजवान, रविन्द्र जुगरान, दर्द गढ़वाली,विजय भट्ट, कुलभूषण नैथानी, हरिचंद निमेष,डॉली डबराल, शोभा शर्मा,सुंदर सिंह बिष्ट, रंजना शर्मा, दयानन्द अरोड़ा, जगदीश सिंह महर, शैलेन्द्र नौटियाल, सतीश धौलाखंडी,शान्ति प्रकाश जिज्ञासु, रजनी कुकरेती, प्रदीप कुकरेती, डॉ.वी. के. डोभाल देहरादून के कई साहित्य प्रेमी, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक व प्रधानाचार्य सहित पाठक गण व शहर के अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।