Wednesday, May 7, 2025
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राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मॉक ड्रिल की निगरानी

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-सचिव गृह शैलेश बगौली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन पहुंचे एसईओसी
-मॉक ड्रिल के संचालन को लेकर विस्तारपूर्वक ली जानकारी, जरूरी निर्देश दिए
देहरादून(आरएनएस)।  गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर बुधवार को देहरादून जनपद में नागरिकों की सुरक्षा के दृष्टिगत आयोजित सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की निगरानी यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र तथा जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से की गई। सचिव गृह शैलेश बगौली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ तथा सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मॉक ड्रिल की मॉनीटरिंग की। जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से जिलाधिकारी सविन बंसल और आईआरएस तंत्र के तहत उनकी पूरी टीम राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से वर्चुअली जुड़ी रही।

बुधवार को सायरन बजने के निर्धारित समय से पूर्व सचिव गृह शैलेश बगौली तथा पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे। इस दौरान राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से घटनास्थलों, स्टेजिंग एरिया, इंसीडेंट कमांड पोस्ट तथा रिलीफ सेंटरों को भी जोड़ा गया। सचिव शैलेश बगौली ने मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न घटनाओं के बारे में जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में उपस्थित जिलाधिकारी सविन बंसल से विस्तारपूर्वक जानकारी ली। उन्होंने पूछा कि किस प्रकार घटना की सूचना प्राप्त होने पर फोर्सेज को रवाना किया गया, किन-किन टीमों को भेजा गया, शेल्टर कहां बनाए गए तथा उनकी क्षमता क्या है, स्टेजिंग एरिया में क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं तथा कौन-कौन से संसाधन हैं, आईआरएस को कैसे एक्टिवेट किया गया।

इंसिडेंट कमाण्ड पोस्ट की व्यवस्थाओं के बारे में भी उन्होंने विस्तार से पूछा। इस दौरान उन्होंने आईआरएस यानी घटना प्रतिक्रिया प्रणाली के तहत किस अधिकारी की तथा किस विभाग की क्या जिम्मेदारी है, इसके बारे में भी संबंधित अधिकारियों से ही जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आईआरएस एक सशक्त प्रणाली है, जिसके माध्यम से आपदाओं का प्रभावी तरीके से सामना किया जा सकता है, इसलिए यह आवश्यक है कि राज्य स्तर से लेकर जनपद स्तर तथा तहसील स्तर तक आईआरएस के तहत किस विभाग की तथा किस अधिकारी की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए।

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने इस दौरान फील्ड पर मौजूद अधिकारियों से रिजर्व संसाधनों तथा उपकरणों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिए कि जब भी एंबुलेंस तथा राहत और बचाव दलों के वाहनों का मूवमेंट हो, उस समय ट्रैफिक की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने निर्देश दिए कि मॉक अभ्यास के दौरान जो भी गैप्स तथा लूपहोल्स रहे हैं, उनको चिन्हित किया जाए तथा डीब्रीफिंग कर उनके बारे में चर्चा कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि यह कोशिश की जाएगी कि भविष्य में होने वाले मॉक अभ्यासों में इन्हें दूर किया जा सके।

इस दौरान राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से यह भी लगातार सुनिश्चित किया जाता रहा कि घटनास्थल के लिए जिन भी संसाधनों, उपकरणों अथवा सहायता की मांग की जा रही है, वह समय पर पहुंच रही हैं अथवा नहीं। बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार, मनीष कुमार भगत, रोहित कुमार, डॉ. वेदिका पन्त, डॉ. पूजा राणा, हेमंत बिष्ट, सुश्री तंद्रिला सरकार आदि मौजूद थे।

निःशुल्क चिकित्सा शिविर में की गयी बालिकाओं एवं बाह्य रोगियों की जांच

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देहरादून, स्वामी विवेकानंद फाउंडेशन एवं पीएम श्री विद्यालय राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, राजपुर रोड द्वारा विशाल निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का शुभारंभ राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
इस शिविर में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्तुति त्यागी (एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच) ने लगभग 1000 बालिकाओं एवं बाह्य रोगियों की निःशुल्क जांच की। डॉ. त्यागी ने कहा कि बढ़ती उम्र में बालिकाओं के हार्मोन निरंतर रूप से बदलते हैं, इसलिए यदि मासिक धर्म के दौरान कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो बालिकाओं को तुरंत अपने नजदीकी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। साथ ही, शिविर में निःशुल्क रक्त जांच भी की गई।
विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी सचिन गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “स्वस्थ शरीर के बिना शिक्षा असंभव है, इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह आयोजन स्वास्थ्य एवं जनसेवा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रहा, जिसमें छात्राओं के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों को भी लाभ प्राप्त हुआ।
इस मौके पर प्रधानाचार्या श्रीमती प्रेमलता बौड़ाई, संदीप पठानी, सागर, दीपक जोशी, एवं अभय शिवहरे सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

अर्पित फाउंडेशन ने मुख्यमंत्री धामी को किया सम्मानित

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देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सीएम कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में अर्पित फाउंडेशन द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में शामिल हुए।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनका व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता के सहयोग और समर्थन का प्रतीक है, जिन्होंने हर ऐतिहासिक निर्णय में सरकार का साथ दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहले नकल और पेपर लीक जैसी समस्याओं से युवाओं के सपने टूटते थे, राज्य में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद पारदर्शिता से परीक्षाएं हो रही हैं और पिछले साढ़े तीन वर्षों में 23 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं को सशक्त करने के लिए अनेक योजनाएं लागू की गई हैं। संसद में एक तिहाही आरक्षण, उज्ज्वला योजना, लखपति दीदी योजना जैसी अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी दिशा में उत्तराखंड सरकार ने भी मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, महालक्ष्मी योजना, वात्सल्य योजना, आंचल अमृत योजना और पोषण अभियान जैसे कई प्रभावी कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता को लागू किया गया है, जिससे समाज में समरसता और महिलाओं को समान अधिकार मिले हैं। लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य कर महिलाओं और बच्चों को कानूनी संरक्षण देने का कार्य किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण, लव जिहाद, लैंड जिहाद जैसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। दंगारोधी कानून और सख्त भू-कानून लागू कर राज्य को सुरक्षित और संरक्षित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। ये सभी निर्णय उत्तराखंड को एक आदर्श और सुरक्षित राज्य बनाने की दिशा में मजबूत नींव हैं। राज्य सरकार प्रदेश को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द मुनी महाराज, स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरी, स्वामी कृष्ण गिरी, स्वामी भरत गिरी, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री श्याम जाजू, विधायक श्री दुर्गेश्वर लाल, अर्पित फाउण्डेशन की अध्यक्ष श्रीमती हनी पाठक और सामाजिक और सैनिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

यात्रा शुरू होने तक 16 हज़ार घोड़े- खच्चरों की सैंपलिंग की गयी : सचिव पशुपालन

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-22 से अधिक डॉक्टरों की टीम को यात्रा मार्ग में किया गया तैनात

देहरादून, सचिव पशुपालन डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने बुधवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में केदारनाथ मार्ग में संचालित घोड़े खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के बारे में पशुपालन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रभावी कदम के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वायरस की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं पशुपालन मंत्री श्री सौरव बहुगुणा के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं।
सचिव पशुपालन ने बताया कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान ने बीते 26 मार्च 2025 को रूद्रप्रयाग जिले के दो गांव में घोड़े खच्चरों की सैंपलिंग की थी, जिसमें एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित घोड़े होने की सूचना मिली थी। उसके बाद पशुपालन विभाग ने कई तैयारियां की, 4 अप्रैल से यात्रा शुरू होने तक उत्तराखंड में 16 हज़ार घोड़े- खच्चरों की सैंपलिंग की गई हैं, सैंपलिंग में जो घोड़े नेगेटिव आए हैं, उन्हीं घोड़ों को यात्रा में ले जाने की अनुमति दी गई। 16 हज़ार घोड़ों की सैंपलिंग में 152 सैंपल पॉजिटिव आए हैं , एवं इन 152 सैंपल का पुनः आर.टी.पी.सी.आर टेस्ट भी कराया गया। जिसमें किसी भी घोड़े खच्चर की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं पाई गई।
सचिव पशुपालन ने बताया कि 2 दिन की यात्रा में 13 घोड़े खच्चरो की मृत्यु होने की सूचना प्राप्त हुई है। जिसमें 8 घोड़ों की मृत्यु “डायरिया” एवं 5 घोड़ों की मृत्यु “एक्यूट कोलिक“ से हुई है, इसके साथ ही विस्तृत रिपोर्ट के लिए इनके सैंपल आई.वी.आर.आई.बरेली भेजे गए हैं। उन्होंने बताया मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 से अधिक डॉक्टरों की टीम को यात्रा मार्ग में तैनात किया गया है।
सचिव पशुपालन ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा इस स्थिति से निपटने के लिए जनपद में एक मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, दो उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, 22 पशु चिकित्सक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के दो वैज्ञानिकों की टीम तैनात की गई है। सचिव पशुपालन ने बताया इसके अतिरिक्त पंतनगर विश्वविद्यालय के दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती भी की हा रही है। दोनों विशेषज्ञ डॉक्टर वर्ष 2009 में भी इस बीमारी के रोकथाम में सक्रिय रूप के कार्य कर चुके हैं।
सचिव पशुपालन ने बताया कि यात्रा को सुचारू करने के लिए स्वस्थ एवं अस्वस्थ घोड़े खच्चरों को चिन्हित किया जा रहा है। अस्वस्थ घोड़े को यात्रा मार्ग में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही स्वस्थ घोड़ों की सैंपलिंग कर रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उन्हें यात्रा मार्ग में ले जाने की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि हर वर्ष यात्रा मार्ग पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से 2-3 हजार घोड़े खच्चर आते हैं। एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाव के चलते यूपी से आने वाले घोड़ों- खच्चरों पर वर्तमान समय तक पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया है। सचिव पशुपालन ने बताया कि एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस में जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण नहीं फैलाता है, परंतु यह घोड़े- खच्चरों में इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। सचिव पशुपालन ने बताया कि केदार घाटी में घोड़े- खच्चरों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्थानीय लोगों एवं घोड़े-खच्चर व्यवसायियों व अन्य संगठनों द्वारा भी यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चरों पर लगी रोक को आगे बढाने का अनुरोध किया गया है।
ताकि यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चरों में और संक्रमण बढ़ने की स्थिति उत्पन्न ना हो। उन्होंने बताया कि घोड़े खच्चरों के पुनः संचालन के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

नन्हें फरिश्तों को मिला आशियाना, 174 मासूमों ने पाया नया परिवार

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देहरादून, प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बिना माता-पिता के रह रहे 174 बच्चों को नया परिवार मिला है। इनमें से 23 बच्चों को विदेशी दंपतियों ने गोद लिया, जिनमें तीन दिव्यांग बच्चे भी शामिल हैं। शेष 151 बच्चों को भारत के विभिन्न राज्यों के परिवारों द्वारा गोद लिया गया है। यह प्रक्रिया केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के माध्यम से पूरी की गई, जो भारत सरकार की संस्था है और देश में गोद लेने की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। यह पहल बच्चों को बेहतर जीवन, शिक्षा और संरक्षण देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष रूप से यह देखना प्रेरणादायक है कि दिव्यांग बच्चों को भी अपनाया जा रहा है।
मौजूदा समय में भी राज्य के देहरादून, हरिद्वार और अल्मोड़ा स्थित विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (एसएए) के केंद्रों पर 22 बच्चे दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में हैं। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में 170 के आसपास दत्तक ग्रहण के आवेदन लंबित हैं। प्रतीक्षा में करीब दो साल का वक्त लग रहा है। सामान्य प्रक्रिया के तहत पांच साल तक के उन बच्चों को गोद दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं है या संतान को त्याग चुके हैं। जिन 23 बच्चों को विदेशों में गोद लिया गया है, उनमें ज्यादातर कनाडा, स्पेन, इटली, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड व फ्रांस में गोद लिए गए हैं।

चारधाम यात्रा, राष्ट्रीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाए- मुख्यमंत्री

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केंद्रीय गृह मंत्री के साथ आयोजित वर्चुअल बैठक के बाद सीएम धामी ने ली उच्चस्तरीय बैठक

अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती के निर्देश, लोगों से अफवाहों से बचने की अपील

देहरादून, मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की परिस्थितियों को देखते हुए चारधाम यात्रा, उत्तराखंड में स्थित महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और बांधों और ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतेजाम किये जाएं। उन्होंने शासन, प्रशासन और पुलिस को भी अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिये हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की वर्चुअल बैठक में प्रतिभाग करने के बाद, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे राज्य के सभी क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता इंतजाम किए जाएं, सीमांत क्षेत्रों में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जाए। उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में चारधाम यात्रा चल रही है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री प्रतिभाग कर रहे हैं, इसलिए यात्रा मार्ग सहित चारों धामों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई राष्ट्रीय महत्व के प्रतिष्ठान हैं, इन संस्थानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी तरह की आपात स्थिति के लिए जिला और तहसील स्तर पर खाद्यान सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाये रखी जाए। अस्पतालों को आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अलर्ट रखा जाए। सभी आवश्यक दवाओं का पूर्ण प्रबंध किया जाय। उन्होंने कहा कि नागरिक सुरक्षा दल और स्वयंसेवी संस्थाओं को बचाव और राहत कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को भी सही सूचनाओं के साथ सतर्क किया जाए, साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए कि जन सामान्य के पास हर तरह से सही और प्रमाणित सूचनाएं ही पहुंचे, ताकि वो अफवाह से दूर रह सकें। साथ ही अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती की जाए। सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर लगातार निगरानी रखी जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़ते हुए, कार्मिकों के अवकाश मंजूर न किए जाएं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को अपने-अपने जिलों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के निर्देश दिए। लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि शासन – प्रशासन हर तरह से मदद के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा के लिए अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बल उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह का विशेष आभार व्यक्त किया है।

बैठक में मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, डीजीपी श्री दीपम सेठ, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री वीके सुमन शामिल हुए।

स्कूलों में बच्चों को पाठ्यचर्या में श्रीमद् भगवत गीता का अध्ययन भी कराया जाए : सीएम

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“बरसात शुरू होने से पहले राज्य के सभी स्कूलों का निरीक्षण किया जाए”

देहरादून, प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि स्कूलों में बच्चों को पाठ्यचर्या में श्रीमद् भगवत गीता का अध्ययन भी कराया जाए। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार का अगले 10 सालों के स्पष्ट प्लान पर कार्य किया जाए। शिक्षा विभाग द्वारा दिसम्बर 2026 तक शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों का रजतोत्सव कलेण्डर बनाया जाए। बरसात शुरू होने से पहले राज्य के सभी स्कूलों का निरीक्षण किया जाए और स्कूल के रास्तों और पुलों की स्थिति के साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाओं को भी देखा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कलस्टर विद्यालयों में आवसीय हॉस्टल की सुविधा के लिए अन्य राज्यों की बैस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन कर प्रस्ताव बनाया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों को आवसीय हॉस्टल में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों। पहले चरण में प्रत्येक जनपद में एक-एक आवासीय हॉस्टल बनाया जाए। 559 कलस्टर विद्यालयों के 15 किमी के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं की परिवहन व्यवस्था के लिए जल्द प्रस्ताव बनाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर साल बच्चों को पाठ्य-पुस्तकें समय पर मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में ट्रासंफर की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता रहे, इसके लिए सभी पहलुओं का गहनता से अध्ययन कर प्रस्ताव बनाया जाए। जनपद, मण्डल और राज्य स्तरीय कैडर में सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाए। स्कूलों में एनसीसी और एन.एस.एस को बढ़ावा दिया जाए, जिन स्कूलों में अभी इनकी सुविधा नहीं हैं, चरणबद्ध तरीके से स्कूलों का चयन किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए राज्य के औद्योगिक प्रतिष्ठानों से सी.एस.आर फण्ड के तहत सहयोग के लिए अनुरोध भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीर्ण-शीर्ण विद्यालयों में मरम्मत के कार्यों में तेजी लाई जाए। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। बच्चों की सुरक्षा से सबंधित किसी भी मामले में लापरवाई करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में छात्रों की क्षमता के अनुसार पूर्ण उपलब्धता हो, इसके लिए प्रतीक्षा सूची भी बनाई जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए आवश्यक संसाधनों में कोई कमी नहीं होने दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का राज्य में प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में और तेजी से कार्य किये जाएं। बच्चों को नैतिक शिक्षा, पर्यावरणीय शिक्षा, राज्य की सांस्कृतिक विरासत, महानुभावों का उल्लेख, क्षेत्रीय आवश्यकताओं के हिसाब से कौशल विकास, स्वास्थ्य शिक्षा, लोककथा, लोक साहित्य, संगीत और कला को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव श्रीमती रंजना, महानिदेशक माध्यमिक शिक्षा सुश्री झरना कमठान, अपर सचिव बेसिक शिक्षा एम.एम. सेमवाल, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती, बेसिक शिक्षा निदेशक श्री अजय नौडियाल अरौर शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मौसम विभाग के अलर्ट पर एक्शन में आपदा प्रबंधन विभाग

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“एलर्ट को देखते हुए सभी प्रभावी सुरक्षात्मक कदम उठाने के निर्देश”

देहरादून, मौसम विज्ञान विभाग द्वारा उत्तरकाशी जनपद के लिए 07 और 08 मई को भारी से बहुत भारी वर्षा, बर्फबारी, आकाशीय बिजली चमकने, ओलावृष्टि के रेड अलर्ट तथा शेष अन्य जनपदों के लिए 06, 07 एवं 08 मई को ऑरेंज तथा येलो अलर्ट के पूर्वानुमान जारी किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग विनोद कुमार सुमन से जानकारी ली तथा जनपदों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश पर उपाध्यक्ष, राज्य सलाहकार समिति, आपदा प्रबंधन विभाग विनय कुमार रुहेला तथा सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग विनोद कुमार सुमन ने सोमवार को सभी जनपदों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर एलर्ट को देखते हुए सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस संबंध में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भी भेजा है।
विनय कुमार रुहेला ने कहा कि सीएम धामी द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट को सभी जनपद गंभीरता से लें और सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित गति से रिस्पांस किया जाए। यदि अत्यधिक बारिश हो रही हो तो चारधाम यात्रियों को कुछ समय के लिए सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया जाए और बारिश रुकने के बाद ही उन्हें आगे रवाना किया जाए।
बैठक के दौरान सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग विनोद कुमार सुमन ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपदाओं का प्रभावी तरीके से सामना करने के लिए समुदायों को जोड़ने की पहल प्रारंभ कर दी गई है। इस दिशा में शुरुआत टिहरी जनपद द्वारा की गई है। टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने प्रत्येक गांव में पांच लोगों का एक समूह बनाया है, जो किसी भी प्रकार की आपदा घटित होने पर इसकी सूचना जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र को देंगे। इनके नंबर डीईओसी में उपलब्ध रहेंगे। यदि इस ग्रुप के एक सदस्य का फोन नहीं लगेगा तो दूसरे के फोन पर संपर्क किया जा सकेगा। आपदा संबंधी किसी भी प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान में इस समूह की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी और उनके द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं पर तीव्र गति से एक्शन लिया जाएगा। इससे सूचना मिलने पर प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत ही राहत और बचाव कार्य संचालित करने तथा आवश्यक राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, रोहित कुमार, डॉ. वेदिका पन्त, डॉ. पूजा राणा, हेमंत बिष्ट, सुश्री तंद्रिला सरकार आदि मौजूद थे।

भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में तैनात करें आवश्यक उपकरण :

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि यात्रा मार्ग में जो भी भूस्खलन संभावित क्षेत्र हैं, वहां जेसीबी तथा अन्य उपकरणों की तैनाती सुनिश्चित की जाए और मार्ग को जल्द से जल्द खोलने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि कैप यानी कॉमन एलर्ट प्रोटोकॉल के माध्यम से लोगों को मौसम संबंधी एलर्ट को लेकर एसएमएस भेजा जाता है। यह अलर्ट आम लोगों को समय पर मिल रहे हैं या नहीं इसकी भी जांच की जाए और इस संबंध में शीघ्र ही राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र को अवगत भी कराया जाए। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के अलर्ट प्रत्येक नागरिक तक पहुंचें, इसके लिए ग्रामीणों को जोड़ते हुए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए तथा व्हाट्सएप के माध्यम से अलर्ट तथा आवश्यक जानकारियां प्रेषित करना सुनिश्चित किया जाए।

लोग सूचना दे रहे हैं तो उन्हें गंभीरता से लें :

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि यदि लोग किसी भी प्रकार की आपदा से संबंधित सूचना दे रहे हैं तो उसे गंभीरता से लिया जाए और उस पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यदि कोई लोग भ्रामक सूचनाएं देते हैं तो ऐसे लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए।

यात्रियों को रोक रहे हैं तो जलपान की व्यवस्था भी करें :

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि यदि यात्रियों को मौसम खराब होने के कारण ऐसे स्थान पर रोका जा रहा है, जहां पर दुकानें नहीं हैं, तो वहां यात्रियों के लिए जलपान की समुचित व्यवस्था की जाए। साथ ही दूसरे जनपदों के साथ समन्वय स्थापित किया जाए और यदि यह महसूस हो कि किसी जनपद में बारिश के कारण यात्रियों को रोकने की स्थिति में यात्रियों की संख्या अधिक हो गई है, अथवा जाम लगने की संभावना हो तो यात्रियों को दूसरे जनपद में ही रोक लिया जाए।

नालों की सफाई अभी से करें :

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि मानसून से आने से पहले नालों की सफाई कर ली जाए ताकि जब मानसून आए तो उस समय जलभराव की दिक्कत ना हो। उन्होंने कहा कि अभी जो बारिश हो रही है, उसमें यह पता भी लग जाएगा कि किन क्षेत्रों में जल भराव हो रहा है और उसके कारण क्या हैं।

चारधाम यात्रा : आरंभ में ही अव्यवस्थाओं का बोलबाला, सरकार पर उठे सवाल

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देहरादून, उत्तराखंड की पहचान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली चार धाम यात्रा के शुरुआती दिनों में ही अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिल रहा है। स्थानीय जनता, श्रद्धालु और पंडा पुरोहित समाज सरकार के इंतजामों से खासे नाखुश नजर आ रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब पिछले वर्ष यात्रा के दौरान भारी अव्यवस्थाएं सामने आई थीं और राज्य सरकार ने मृतकों, बीमारों और संपत्ति के नुकसान का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया था। उम्मीद थी कि पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार बेहतर प्रबंधन होगा, लेकिन तीन धामों के कपाट खुलने और चौथे धाम बद्रीनाथ के कपाट आज खुलने के बाद स्थिति निराशाजनक दिख रही है।
केदारनाथ धाम से लगातार ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। इन वीडियो में यात्रा प्रबंधन को लेकर लोगों की नाराजगी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि बीमार घोड़ा-खच्चरों का समय पर इलाज न हो पाने के कारण धामों तक रसद और खाद्यान्न की आपूर्ति बाधित हो रही है। केदारनाथ में भारी बारिश की चेतावनी के बीच खाद्यान्न खराब होने का खतरा भी मंडरा रहा है।
स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि मंदिर की सजावट के लिए गुजरात से लोगों को बुलाया गया है। वहीं, केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर में बड़े मंच, माइक और कैमरों के आयोजन पर भी सवाल उठ रहे हैं। इतना ही नहीं, आनन-फानन में किए गए बद्री केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति पर भी उंगलियां उठ रही हैं। सवाल यह है कि जब यात्रा की तिथि पहले से निर्धारित थी, तो इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में इतना विलंब क्यों हुआ? नियुक्त किए गए लोगों की काबिलियत और पृष्ठभूमि पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
इस गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि यात्रा का अभी आरंभ है और यह लंबी चलेगी। इसलिए, समय रहते प्रबंधों को दुरुस्त किया जाना चाहिए, ताकि एक सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का संदेश देश-विदेश में जा सके। दसौनी ने जोर देकर कहा कि चार धाम यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की आजीविका का भी आधार है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और पिछली गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए।

युद्ध की आहट के बीच गृह मंत्रालय का बड़ा कदम, 1971 के बाद पहली बार 7 मई को राज्यों में सिविल डिफेंस मॉकड्रिल के निर्देश

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नई दिल्ली , (आरएनएस)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और सैन्य टकराव की आशंका के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एमएचए ने देश के कई राज्यों को आगामी 7 मई को नागरिक सुरक्षा (ष्टद्ब1द्बद्य ष्ठद्गद्घद्गठ्ठष्द्ग) सुनिश्चित करने के लिए व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है और किसी भी समय जंग छिडऩे जैसी स्थिति बनी हुई है। सूत्रों ने बताया कि इस तरह का देशव्यापी नागरिक सुरक्षा अभ्यास आखिरी बार साल 1971 में किया गया था, जिस साल भारत और पाकिस्तान के बीच दो मोर्चों पर युद्ध हुआ था। 53 साल बाद इस तरह के अभ्यास का निर्देश मौजूदा तनाव की गंभीरता और केंद्र सरकार की तैयारियों को दर्शाता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों को भेजे गए विस्तृत निर्देश में 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल के दौरान कई तरह के अभ्यास करने को कहा गया है। इन अभ्यासों में शत्रुतापूर्ण हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन सिस्टम का संचालन और इसके प्रति नागरिकों को जागरूक करना, संभावित हमले की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए नागरिकों, छात्रों और आम लोगों को नागरिक सुरक्षा के बुनियादी पहलुओं पर प्रशिक्षण देना, हमले के दौरान और उसके बाद सुरक्षित रहने और नुकसान को कम करने के उपायों के बारे में लोगों को जानकारी देना और उनका पूर्वाभ्यास कराना शामिल है।
इसके अलावा, युद्ध के समय में महत्वपूर्ण संयंत्रों और प्रतिष्ठानों, जैसे कि सरकारी भवन, पावर स्टेशन आदि, को संभावित हमलों से बचाने और संरक्षित करने के उपायों का अभ्यास करने तथा आपात स्थिति में आबादी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए निकासी योजना (श्व1ड्डष्ह्वड्डह्लद्बशठ्ठ क्कद्यड्डठ्ठ) को अद्यतन करने और उसका पूर्वाभ्यास करने का निर्देश भी दिया गया है।